श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय ३० ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय तीसवाँ अध्याय यदुकुल का संहार राजा परीक्षित् ने पूछा — भगवन् ! जब महाभागवत उद्धवजी बदरीवन को चले गये, तब भूतभावन भगवान् श्रीकृष्ण ने द्वारका में क्या लीला रची ? ॥ १ ॥ प्रभो ! यदुवंशशिरोमणि भगवान् श्रीकृष्ण… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २९ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय उनतीसवाँ अध्याय | भागवतधर्मों का निरूपण और उद्धवजी का बदरिकाश्रम गमन उद्धवजी ने कहा — अच्युत ! जो अपना मन वश में नहीं कर सका है, उसके लिये आपकी बतलायी हुई इस योगसाधना को तो मैं बहुत ही… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २८ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय अट्ठाईसवाँ अध्याय परमार्थ-निरूपण भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं — उद्धवजी ! यद्यपि व्यवहार में पुरुष और प्रकृति-द्रष्टा और दृश्य के भेद से दो प्रकार का जगत् जान पड़ता है, तथापि परमार्थ-दृष्टि से देखने पर यह सब एक अधिष्ठान-स्वरूप ही… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २७ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय सत्ताईसवाँ अध्याय क्रियायोग का वर्णन उद्धवजी ने पूछा — भक्तवत्सल श्रीकृष्ण ! जिस क्रियायोग का आश्रय ले जो भजन जिस प्रकार से जिस उद्देश्य से आपकी अर्चा-पूजा करते हैं, आप अपने उस आराधनरूप क्रियायोग का वर्णन कीजिये ॥… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २६ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय छब्बीसवाँ अध्याय पुरूरवा की वैराग्योक्ति भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं — उद्धवजी ! यह मनुष्य शरीर मेरे स्वरूपज्ञान की प्राप्ति का — मेरी प्राप्ति का मुख्य साधन है । इसे पाकर जो मनुष्य सच्चे प्रेम से मेरी भक्ति करता… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २५ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय पचीसवाँ अध्याय तीनों गुणों की वृत्तियों का निरूपण भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं — पुरुषप्रवर उद्धवजी ! प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग गुणों का प्रकाश होता है । उनके कारण प्राणियों के स्वभाव में भी भेद हो जाता है ।… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय चौबीसवाँ अध्याय सांख्ययोग भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं — प्यारे उद्धव ! अब मैं तुम्हें सांख्यशास्त्र का निर्णय सुनाता हूँ । प्रचीन काल के बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों ने इसका निश्चय किया है । जब जीव इसे भलीभाँति समझ लेता है,… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २३ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय तेईसवाँ अध्याय एक तितिक्षु ब्राह्मण का इतिहास श्रीशुकदेवजी कहते हैं — परीक्षित् ! वास्तव में भगवान् की लीला-कथा ही श्रवण करने योग्य है । वे ही प्रेम और मुक्ति के दाता हैं । जब उनके परमप्रेमी भक्त उद्धवजी… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २२ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय बाईसवाँ अध्याय तत्त्वों की संख्या और पुरुष-प्रकृति-विवेक उद्धवजी ने कहा — प्रभो ! विश्वेश्वर ! ऋषियों ने तत्त्वों की संख्या कितनी बतलायी है ? आपने तो अभी ( उन्नीसवें अध्याय में) नौ, ग्यारह, पाँच और तीन अर्थात् कुल… Read More


श्रीमद्भागवतमहापुराण – एकादशः स्कन्ध – अध्याय २१ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय इक्कीसवाँ अध्याय गुण-दोष-व्यवस्था का स्वरूप और रहस्य भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं — प्रिय उद्धव ! मेरी प्राप्ति के तीन मार्ग हैं — भक्तियोग, ज्ञानयोग और कर्मयोग । जो इन्हें छोड़कर चञ्चल इन्द्रियों के द्वारा क्षुद्र भोग भोगते रहते… Read More