शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 20 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 20 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता बीसवाँ अध्याय तपस्यासे शिवलोककी प्राप्ति, सात्त्विक आदि तपस्याके भेद, मानवजन्मकी प्रशस्तिका कथन व्यासजी बोले – हे सर्वज्ञ ! सनत्कुमार! हे सत्तम ! अब आप उस [ शिवलोक ] – की प्राप्तिका वर्णन करें, जहाँ जाकर शिवभक्त मनुष्य फिर नहीं… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 19 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 19 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता उन्नीसवाँ अध्याय सूर्यादि ग्रहों की स्थितिका निरूपण करके जन आदि लोकोंका वर्णन सनत्कुमार बोले— [हे व्यासजी !] जहाँतक सूर्य एवं चन्द्रमाकी किरणें प्रकाश करती हैं, वहाँतक पृथ्वी है, उसीको भूलोक कहा जाता है ॥ १ ॥ पृथ्वीसे एक लाख… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 18 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 18 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता अठारहवाँ अध्याय भारतवर्ष तथा प्लक्ष आदि छः द्वीपोंका वर्णन सनत्कुमार बोले— [ हे व्यास!] अब मैं हिमालयके दक्षिण तथा समुद्रके उत्तर भागमें स्थित भारतवर्षका वर्णन करूँगा, जहाँ भारती सृष्टि है ॥ १ ॥ हे महामुने ! इसका विस्तार नौ… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 17 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 17 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता सत्रहवाँ अध्याय ब्रह्माण्डके वर्णन-प्रसंगमें जम्बूद्वीपका निरूपण सनत्कुमार बोले – हे पराशरपुत्र [ व्यासजी ! ] आप सातों द्वीपोंसे समन्वित भूमण्डलका संक्षेपमें वर्णन करते हुए मुझसे भलीभाँति सुनिये ॥ १ ॥ भूमण्डलमें जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलिद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप और सातवाँ… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 16 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 16 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता सोलहवाँ अध्याय विभिन्न पापकर्मोंसे प्राप्त होनेवाले नरकोंका वर्णन और शिव – नाम – स्मरणकी महिमा सनत्कुमार बोले – हे मुनिश्रेष्ठ ! उन लोकोंके ऊपर स्थित नरकोंको मुझसे सुनिये, जहाँपर पापीजन दुःख भोगते हैं ॥ १ ॥ रौरव, शूकर, रोध,… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 15 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 15 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता पन्द्रहवाँ अध्याय ब्रह्माण्डदानकी महिमाके प्रसंगमें पाताललोकका निरूपण व्यासजी बोले – हे सनत्कुमारजी ! जिस एक ही दानके करनेसे सभी दानोंका फल मिल जाता है, मनुष्योंके हितके लिये उस दानको आप मुझसे कहें ॥ १ ॥ सनत्कुमार बोले – समयपर… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 14 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 14 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता चौदहवाँ अध्याय दानमाहात्म्य तथा दानके भेदका वर्णन सनत्कुमार बोले – हे व्यासजी ! जो घोरदान तथा महादान कहे गये हैं, उन्हें सदा सत्पात्रको ही देना चाहिये, ये आत्माका उद्धार करते हैं ॥ १ ॥ हे द्विजोत्तम! सुवर्णदान, गोदान, भूमिदान… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 13 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 13 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता तेरहवाँ अध्याय पुराणमाहात्म्यनिरूपण सनत्कुमार बोले— हे मुने ! जो वनके कन्द-मूल एवं फल खाकर अरण्यमें तपस्या करता है और जो वेदकी एक ऋचामात्रका अध्ययन करता है, उन दोनोंका समान फल होता है ॥ १ ॥ श्रेष्ठ ब्राह्मण वेदके अध्ययनसे… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 12 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 12 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता बारहवाँ अध्याय जलदान, सत्यभाषण और तपकी महिमा सनत्कुमार बोले – [ हे व्यासजी !] जलका दान सभी दानोंमें सदा अति श्रेष्ठ है; क्योंकि वह सभी जीव- समुदायको तृप्त करनेवाला जीवन कहा गया है ॥ १ ॥ अतः बिना किसी… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 11 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 11 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता ग्यारहवाँ अध्याय दानके प्रभावसे यमपुरके दुःखका अभाव तथा अन्नदानका विशेष माहात्म्यवर्णन व्यासजी बोले- हे प्रभो ! पाप करनेवाले मनुष्य बड़े दुःखसे युक्त होकर यममार्गमें गमन करते हैं, अब आप उन धर्मोंको कहिये, जिनके द्वारा वे सुखपूर्वक यममार्गमें गमन करते… Read More