शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [चतुर्थ-कुमारखण्ड] – अध्याय 04 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [चतुर्थ-कुमारखण्ड] – अध्याय 04 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः चौथा अध्याय पार्वती के कहने पर शिव द्वारा देवताओं तथा कर्मसाक्षी धर्मादिकों से कार्तिकेय के विषय में जिज्ञासा करना और अपने गणों को कृत्तिकाओं के पास भेजना, नन्दिकेश्वर तथा कार्तिकेय का वार्तालाप, कार्तिकेय का कैलास के लिये प्रस्थान नारदजी बोले —… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [चतुर्थ-कुमारखण्ड] – अध्याय 03 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [चतुर्थ-कुमारखण्ड] – अध्याय 03 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः तीसरा अध्याय महर्षि विश्वामित्र द्वारा बालक स्कन्द का संस्कार सम्पन्न करना, बालक स्कन्द द्वारा क्रौंचपर्वत का भेदन, इन्द्र द्वारा बालक पर वज्र प्रहार, शाख-विशाख आदि का उत्पन्न होना, कार्तिकेय का षण्मुख होकर छः कृत्तिकाओं का दुग्धपान करना नारदजी बोले — हे… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [चतुर्थ-कुमारखण्ड] – अध्याय 02 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [चतुर्थ-कुमारखण्ड] – अध्याय 02 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः दूसरा अध्याय भगवान् शिव के तेज से स्कन्द का प्रादुर्भाव और सर्वत्र महान् आनन्दोत्सव का होना ब्रह्माजी बोले — देवताओं एवं विष्णु की स्तुति सुनकर योगज्ञानविशारद भगवान् शंकर यद्यपि निष्काम हैं तथापि उन्होंने भोग का परित्याग नहीं किया । फिर वे… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [चतुर्थ-कुमारखण्ड] – अध्याय 01 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [चतुर्थ-कुमारखण्ड] – अध्याय 01 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः पहला अध्याय कैलास पर भगवान् शिव एवं पार्वती का विहार वन्दे वन्दनतुष्टमानसमतिप्रेमप्रियं प्रेमदं पूर्णं पूर्णकरं प्रपूर्णनिखिलेश्वर्यैकवासं शिवम् । सत्यं सत्यमयं त्रिसत्यविभवं सत्यप्रियं सत्यदं विष्णुब्रह्मनुतं स्वकीयकृपयोपात्ताकृतिं शंकरम् ॥ वन्दना करने से जिनका मन प्रसन्न हो जाता है, जिन्हें प्रेम अत्यन्त प्रिय है,… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 55 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 55 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः पचपनवाँ अध्याय शिव-पार्वती तथा बरात की विदाई, भगवान् शिव का समस्त देवताओं को विदा करके कैलास पर रहना और शिव-विवाहोपाख्यान के श्रवण की महिमा ब्रह्माजी बोले — [हे नारद!] इस प्रकार ब्राह्मणी ने देवी पार्वती को पातिव्रत्यधर्म का उपदेश देकर मेना… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 54 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 54 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः चौवनवाँ अध्याय मेना की इच्छा के अनुसार एक ब्राह्मणपत्नी का पार्वती को पातिव्रतधर्म का उपदेश देना ब्रह्माजी बोले — उसके बाद सप्तर्षियों ने हिमालय से कहा — आज गिरिजा की विदाई के लिये उत्तम मुहूर्त है, अतः आप अपनी पुत्री पार्वती… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 53 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 53 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः तिरपनवाँ अध्याय चतुर्थीकर्म, बरात का कई दिनों तक ठहरना, सप्तर्षियों के समझाने से हिमालय का बरात को विदा करने के लिये राजी होना, मेना का शिव को अपनी कन्या सौंपना तथा बरात का पुरी के बाहर जाकर ठहरना ब्रह्माजी बोले —… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 52 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 52 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः बावनवाँ अध्याय हिमालय द्वारा सभी बरातियों को भोजन कराना, शिव का विश्वकर्मा द्वारा निर्मित वासगृह में शयन करके प्रातःकाल जनवासे में आगमन ब्रह्माजी बोले — हे तात ! इसके बाद भाग्यवान् एवं बुद्धिमान् पर्वतश्रेष्ठ हिमालय ने सबको भोजन कराने के लिये… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 51 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 51 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः इक्यावनवाँ अध्याय रति के अनुरोध पर श्रीशंकर का कामदेव को जीवित करना, देवताओं द्वारा शिवस्तुति ब्रह्माजी बोले — उस अवसर पर अनुकूल समय जानकर प्रसन्नता से पूर्ण रति दीनवत्सल शंकर से कहने लगी — ॥ १ ॥ रति बोली — [हे… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 50 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 50 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः पचासवाँ अध्याय शिवा-शिव के विवाह-कृत्य-सम्पादन के अनन्तर देवियों का शिव से मधुर वार्तालाप ब्रह्माजी बोले — हे नारद ! तदनन्तर मैंने शिवजी की आज्ञा से मुनियों के साथ परमप्रीति से शिवा-शिव के विवाह के शेष कृत्यों का सम्पादन किया । उन… Read More