शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 39 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 39 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः उनतालीसवाँ अध्याय भगवान् शिव का नारदजी के द्वारा सब देवताओं को निमन्त्रण दिलाना, सबका आगमन तथा शिव का मंगलाचार एवं ग्रहपूजन आदि करके कैलास से बाहर निकलना नारदजी बोले — हे विष्णुशिष्य ! हे महाप्राज्ञ ! हे तात ! हे विधे… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 38 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 38 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः अड़तीसवाँ अध्याय हिमालयपुरी की सजावट, विश्वकर्मा द्वारा दिव्यमण्डप एवं देवताओं के निवास के लिये दिव्यलोकों का निर्माण करना ब्रह्माजी बोले — हे मुनिसत्तम ! इसके बाद हिमालय ने प्रसन्न होकर महोत्सवसम्पन्न अपने नगर को विचित्र प्रकार से सजाया ॥ १ ॥… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 37 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 37 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः सैंतीसवाँ अध्याय हिमालय द्वारा विवाह के लिये लग्नपत्रिकाप्रेषण, विवाह की सामग्रियों की तैयारी तथा अनेक पर्वतों एवं नदियों का दिव्य रूप में सपरिवार हिमालय के घर आगमन नारदजी बोले — हे तात ! हे महाप्राज्ञ ! हे प्रभो ! अब आप… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 36 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 36 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः छत्तीसवाँ अध्याय सप्तर्षियों के समझाने पर हिमवान् का शिव के साथ अपनी पुत्री के विवाह का निश्चय करना, सप्तर्षियों द्वारा शिव के पास जाकर उन्हें सम्पूर्ण वृत्तान्त बताकर अपने धाम को जाना ब्रह्माजी बोले — वसिष्ठजी की बात सुनकर अपने गणों… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 35 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 35 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः पैंतीसवाँ अध्याय धर्मराज द्वारा मुनि पिप्पलाद की भार्या सती पद्मा के पातिव्रत्य की परीक्षा, पद्मा द्वारा धर्मराज को शाप प्रदान करना तथा पुनः चारों युगों में शाप की व्यवस्था करना, पातिव्रत्य से प्रसन्न हो धर्मराज द्वारा पद्मा को अनेक वर प्रदान… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 34 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 34 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः चौंतीसवाँ अध्याय सप्तर्षियों द्वारा हिमालय को राजा अनरण्य का आख्यान सुनाकर पार्वती का विवाह शिव से करने की प्रेरणा देना वसिष्ठजी बोले — [हे गिरिश्रेष्ठ!] इन्द्रसावर्णि नामक चौदहवें मनु के वंश में वह अनरण्य नामक राजा उत्पन्न हुआ था ॥ १… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 33 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 33 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः तैंतीसवाँ अध्याय वसिष्ठपत्नी अरुन्धती द्वारा मेना को समझाना तथा सप्तर्षियों द्वारा हिमालय को शिवमाहात्म्य बताना ऋषि बोले — [हे हिमालय!] शिवजी जगत् के पिता कहे गये हैं और पार्वती जगत् की माता मानी गयी हैं । इसलिये आप अपनी कन्या महात्मा… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 32 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 32 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः बत्तीसवाँ अध्याय ब्राह्मण-वेषधारी शिव द्वारा शिवस्वरूप की निन्दा सुनकर मेना का कोपभवन में गमन, शिव द्वारा सप्तर्षियों का स्मरण और उन्हें हिमालय के घर भेजना, हिमालय की शोभा का वर्णन तथा हिमालय द्वारा सप्तर्षियों का स्वागत ब्रह्माजी बोले — [हे नारद!]… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 31 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 31 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः इकतीसवाँ अध्याय देवताओं के कहने पर शिव का ब्राह्मण-वेष में हिमालय के यहाँ जाना और शिव की निन्दा करना ब्रह्माजी बोले — हे नारद ! इस प्रकार मेना और शैलराज की शिव में अनन्य भक्ति देखकर इन्द्र आदि सभी देवताओं ने… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 30 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 30 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः तीसवाँ अध्याय पार्वती के पिता के घर में आनेपर महामहोत्सव का होना, महादेवजी का नटरूप धारणकर वहाँ उपस्थित होना तथा अनेक लीलाएँ दिखाना, शिव द्वारा पार्वती की याचना, किंतु माता-पिता के द्वारा मना करने पर अन्तर्धान हो जाना नारदजी बोले —… Read More