शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 26 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] छब्बीसवाँ अध्याय ब्रह्माजीद्वारा दुष्कर्मी बतानेपर भी गौरीदेवीका शरणागत व्याघ्रको त्यागनेसे इनकार करना और माता – पितासे मिलकर मन्दराचलको जाना वायुदेवता कहते हैं— कौशिकीको उत्पन्न करके उसे ब्रह्माजीके हाथमें देनेके पश्चात् गौरी देवीने प्रत्युपकारके लिये पितामहसे… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 25 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] पच्चीसवाँ अध्याय पार्वतीकी तपस्या, व्याघ्रपर उनकी कृपा, ब्रह्माजीका देवीके साथ वार्तालाप, देवीके द्वारा काली त्वचाका त्याग और उससे उत्पन्न कौशिकीके द्वारा शुम्भ-निशुम्भका वध वायुदेव कहते हैं— महर्षियो ! तदनन्तर पतिव्रता माता पार्वती पतिकी परिक्रमा करके… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 24 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] चौबीसवाँ अध्याय शिवका तपस्याके लिये मन्दराचलपर गमन, मन्दराचलका वर्णन, शुम्भ-निशुम्भ दैत्यकी उत्पत्ति, ब्रह्माकी प्रार्थनासे उनके वधके लिये शिव और शिवाके विचित्र लीला – प्रपंचका वर्णन तदनन्तर ऋषियोंने पूछा – प्रभो ! अपने गणों तथा देवीके… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [पूर्वखण्ड] — अध्याय 23 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] तेईसवाँ अध्याय पराजित देवोंके द्वारा की गयी स्तुतिसे प्रसन्न शिवका यज्ञकी सम्पूर्ति करना तथा देवताओंको सान्त्वना देकर अन्तर्धान होना वायुदेव बोले— [हे विप्रवरो ! ] इस प्रकार अस्त्रोंसे छिन्न-भिन्न अंगोंवाले विष्णु आदि देवता क्षणमात्रमें कष्टको प्राप्तकर… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [पूर्वखण्ड] — अध्याय 22 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] बाईसवाँ अध्याय वीरभद्रके पराक्रमका वर्णन वायु बोले – [ हे ब्राह्मणो !] उसी समय आकाशमें एक रथ प्रकट हुआ, जो हजारों सूर्योंके समान, मनोहर वस्त्रमें वृषचिह्नवाली ध्वजासे युक्त, दो [ वेगवान् तथा ] श्रेष्ठ अश्वोंसे युक्त,… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [पूर्वखण्ड] — अध्याय 21 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [पूर्वखण्ड] इक्कीसवाँ अध्याय वीरभद्रका दक्षके यज्ञमें आये देवताओंको दण्ड देना तथा दक्षका सिर काटना वायु बोले – [ हे विप्रगण ! ] तब देवताओंमें प्रमुख वे विष्णु, इन्द्रादि उस भयंकर [ वीरभद्र ] – से संत्रस्त हो गये… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 20 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] बीसवाँ अध्याय गणोंके साथ वीरभद्रका दक्षकी यज्ञभूमिमें आगमन तथा उनके द्वारा दक्ष के यज्ञका विध्वंस वायु बोले— इसके पश्चात् वीरभद्रने विष्णुके नेतृत्ववाले तेजस्वी देवगणोंसे युक्त उस महायज्ञको देखा, जो चित्र-विचित्र ध्वजाओंसे सुशोभित था, जहाँ सीधे-… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 19 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] उन्नीसवाँ अध्याय दक्षयज्ञका उपक्रम, दधीचिका दक्षको शाप देना, वीरभद्र और भद्रकालीका प्रादुर्भाव तथा उनका यज्ञध्वंसके लिये प्रस्थान ऋषि बोले- धर्मकार्यमें प्रवृत्त हुए दुरात्मा दक्षके कर्ममें महेश्वरने किस प्रकार विघ्न किया, हमलोग यह जानना चाहते हैं… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 18 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] अठारहवाँ अध्याय दक्षके शिवसे द्वेषका कारण ऋषि बोले- पूर्वकालमें दक्षकी पुत्री सती देवी दक्षसे उत्पन्न हुए अपने शरीरका त्यागकर किस तरह हिमालयपत्नी मेनामें जन्म लेकर हिमालयकी पुत्री हुईं ? महात्मा दक्षने रुद्रकी निन्दा क्यों की… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 17 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] सत्रहवाँ अध्याय ब्रह्माके आधे शरीरसे शतरूपाकी उत्पत्ति तथा दक्ष आदि प्रजापतियोंकी उत्पत्तिका वर्णन वायुदेवने कहा – इस प्रकार मैथुनजन्य सृष्टि करनेकी इच्छावाले प्रजापति ब्रह्मा सदाशिवसे पराशक्ति प्राप्तकर स्वयं भी आधे भागसे स्त्री तथा आधे भागसे… Read More