शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 16 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 16 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] सोलहवाँ अध्याय महादेवजीके शरीरसे देवीका प्राकट्य और देवीके भ्रूमध्यभागसे शक्तिका प्रादुर्भाव वायुदेव बोले- इसके पश्चात् प्रभु महादेवजी महामेघकी गर्जनाके समान मधुर – गम्भीर, मंगलदायिनी एवं कोमल वर्णोंवाली, अर्थयुक्त पदोंवाली, नृपोचित अनुशासनभावसे युक्त, अपने समस्त कथनीय… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 15 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 15 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] पन्द्रहवाँ अध्याय अर्धनारीश्वररूपमें प्रकट शिवकी ब्रह्माजीद्वारा स्तुति (अर्धनारीश्वर स्तोत्र ) वायुदेव बोले- जब ब्रह्माजीद्वारा रची गयी प्रजाओंका पुनः विस्तार नहीं हुआ, तब ब्रह्माजीने मैथुनी सृष्टि करनेका विचार किया । पूर्व समयमें तबतक स्त्रियोंका कुल ईश्वरसे… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 14 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 14 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] चौदहवाँ अध्याय प्रत्येक कल्पमें ब्रह्मासे रुद्रकी उत्पत्तिका वर्णन वायुदेव बोले- अब मैं प्रत्येक कल्पमें रुद्रके आविर्भावका कारण बताऊँगा, जिससे ब्रह्मसृष्टिका प्रवाह अविच्छिन्न रूपसे चलता रहता है ॥ १ ॥ ब्रह्माण्डको उत्पन्न करनेवाले ब्रह्माजी प्रत्येक कल्पमें… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 13 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 13 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] तेरहवाँ अध्याय कल्पभेदसे त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र ) – के एक- दूसरेसे प्रादुर्भावका वर्णन ऋषि बोले – [ हे वायुदेव ! ] आपने परमात्मा शिवकी उत्पत्ति ब्रह्माजीके मुखसे बतायी, इस विषयमें हमलोगों को संशय हो… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 12 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 12 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] बारहवाँ अध्याय ब्रह्माजीकी मानसी सृष्टि, ब्रह्माजीकी मूर्च्छा, उनके मुखसे रुद्रदेवका प्राकट्य, सप्राण हुए ब्रह्माजीके द्वारा आठ नामोंसे महेश्वरकी स्तुति तथा रुद्रकी आज्ञासे ब्रह्माद्वारा सृष्टि – रचना वायु बोले- इसके पश्चात् बुद्धिपूर्विका सृष्टिका चिन्तन करते हुए… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 11 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 11 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] ग्यारहवाँ अध्याय अवान्तर सर्ग और प्रतिसर्गका वर्णन मुनि बोले – [ हे देव !] अब सभी मन्वन्तरों, समस्त कल्पभेदों और उनमें होनेवाले अवान्तर सर्ग तथा प्रतिसर्गका वर्णन हमलोगोंसे कीजिये ॥ १ ॥ वायु बोले –… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 10 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 10 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] दसवाँ अध्याय ब्रह्माण्डकी स्थिति, स्वरूप आदिका वर्णन वायु बोले- पहले ईश्वरकी आज्ञासे पुरुषसे समन्वित अव्यक्तसे बुद्धि आदिसे लेकर विशेषपर्यन्त सभी विकार क्रमशः उत्पन्न हुए ॥ १ ॥ इसके बाद उन्हीं विकारोंसे रुद्र, विष्णु एवं पितामह—ये… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 09 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 09 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] नौवाँ अध्याय सृष्टिके पालन एवं प्रलयकर्तृत्वका वर्णन मुनिगण बोले – [ हे वायुदेव ! ] परमात्मा शिव किस प्रकारसे इस सम्पूर्ण जगत्का निर्माणकर पुनः इसे स्थापित करके अपनी शक्तिके साथ उत्तम क्रीड़ा करते हैं? ॥… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 08 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 08 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] आठवाँ अध्याय कालका परिमाण एवं त्रिदेवोंके आयुमानका वर्णन ऋषिगण बोले- इस कालमें किस प्रमाणके द्वारा आयु – गणनाकी कल्पना की जाती है और संख्यारूप कालकी परम अवधि क्या है ? ॥ १ ॥ वायुदेव बोले-… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 07 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 07 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] सातवाँ अध्याय कालकी महिमाका वर्णन मुनिगण बोले- कालसे ही सब कुछ उत्पन्न होता है और कालसे ही सब कुछ नष्ट हो जाता है । कालके बिना कहीं कुछ भी नहीं होता है ॥ १ ॥… Read More