ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 113 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 113 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ तेरहवाँ अध्याय पार्वती द्वारा दुर्वासा के प्रति अकारण पत्नी-त्याग के दोष का वर्णन, दुर्वासा का पुनः लौटकर द्वारका जाना, श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर के राजसूययज्ञ में पधारना, शिशुपाल का वध, उसके आत्मा द्वारा श्रीकृष्ण का स्तवन, श्रीकृष्ण चरित का निरूपण श्रीनारायण… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 112 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 112 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ बारहवाँ अध्याय प्रद्युम्नाख्यान-वर्णन, श्रीकृष्ण का सोलह हजार आठ रानियों के साथ विवाह और उनसे संतानोत्पत्ति का कथन, दुर्वासा का द्वारका में आगमन और वसुदेव-कन्या एकानंशा के साथ विवाह, श्रीकृष्ण के अद्भुत चरित्र को देखकर दुर्वासा का भयभीत होना, श्रीकृष्ण का… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 111 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 111 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ ग्यारहवाँ अध्याय राधिका द्वारा ‘राम’ आदि भगवन्नामों की व्युत्पत्ति और उनकी प्रशंसा तथा यशोदा के पूछने पर अपने ‘राधा’ नाम की व्याख्या करना राधिका ने कहा — यशोदे ! स्त्री जाति तो वस्तुतः यों ही अबला, मूढ़ और अज्ञान में… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 110 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 110 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ दसवाँ अध्याय श्रीकृष्ण के कहने से नन्द-यशोदा का ज्ञान प्राप्ति के लिये कदलीवन में राधिका के पास जाना, वहाँ अचेतनावस्था में पड़ी हुई राधा को श्रीकृष्ण के संदेश द्वारा चैतन्य करना और राधा का उपदेश देने के लिये उद्यत होना… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 109 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 109 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ नौवाँ अध्याय बारात की बिदाई, भीष्मक द्वारा दहेज-दान और द्वारका में मङ्गलोत्सव श्रीनारायण कहते हैं — इसी समय रुक्मिणी की माता महारानी सुन्दरी सुभद्रा आनन्दमग्न हो पति-पुत्रवती साध्वी महिलाओं के साथ वहाँ आयीं और निर्मन्थन आदि मङ्गल-कार्य करके दम्पति को… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 108 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 108 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ आठवाँ अध्याय रुक्मिणी और श्रीकृष्ण का विवाह श्रीनारायण कहते हैं— नारद! इसी समय महालक्ष्मी स्वरूपा रुक्मिणीदेवी मुनियों और देवताओं के साथ सभा में आयीं और रत्नसिंहासन पर विराजमान हुईं। वे रत्नाभरणों से विभूषित थीं और उनके शरीर पर अग्निशुद्ध साड़ी… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 107 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 107 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ सातवाँ अध्याय रुक्मी आदि का यादवों के साथ युद्ध, शाल्व का वध, रुक्मी की सेना का पलायन, बारात का पुरी में प्रवेश और स्वागत-सत्कार, शुभलग्न में श्रीकृष्ण का बारातियों तथा देवों के साथ राजा के आँगन में जाना, भीष्मक द्वारा… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 106 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 106 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ छठवाँ अध्याय रेवती और बलराम के विवाह का वर्णन तथा रुक्मी, शाल्व, शिशुपाल और दन्तवक्र का श्रीकृष्ण को कटुवचन कहना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! इसी समय महाबली राजा ककुद्मी अपनी कन्या के लिये वर की तलाश में ब्रह्मलोक से… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 105 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 105 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ पाँचवाँ अध्याय भीष्मक द्वारा रुक्मिणी के विवाह का प्रस्ताव, शतानन्द का उन्हें श्रीकृष्ण के साथ विवाह करने की सम्मति देना, रुक्मी द्वारा उसका विरोध और शिशुपाल के साथ विवाह करने का अनुरोध, भीष्मक का श्रीकृष्ण तथा अन्यान्य राजाओं को निमन्त्रित… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 104 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 104 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ चारवाँ अध्याय द्वारकापुरी को देखने के लिये देवताओं और मुनियों का आना और उग्रसेन का राज्याभिषेक श्रीनारायणजी कहते हैं — नारद! इसी समय ब्रह्मा, हर, पार्वती, अनन्त, धर्म, सूर्य, अग्नि, कुबेर, वरुण, वायु, यम, महेन्द्र, चन्द्र, रुद्र, आदित्य, वसु, दैत्य,… Read More