॥ गायत्र्यथर्वशीर्षम् ॥ ॥ गायत्र्यथर्वशीर्षम् ॥ ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ नमस्कृत्य भगवान् याज्ञवल्क्यः स्वयं परिपृच्छति- त्वं ब्रूहि भगवन् ! गायत्र्या उत्पत्तिं श्रोतुमिच्छामि ॥ १ ॥ ब्रह्मोवाच – प्रणवेन व्याहृतयः प्रवर्तन्ते । तमसस्तु परं ज्योतिः कः पुरुषः स्वयम्भूर्विष्णुरिति हताः स्वाङ्गुल्याः मथयेत् पाठान्तर – … Read More
गणपति अथर्वशीर्ष गणपति अथर्वशीर्ष अथर्वशीर्ष की परम्परा में ‘गणपति अथर्वशीर्ष’ का विशेष महत्त्व है। प्रायः प्रत्येक मांगलिक कार्यों में गणपति-पूजन के अनन्तर प्रार्थना रुप में इसके पाठ की परम्परा है। यह भगवान् गणपति का वैदिक-स्तवन है। इसका पाठ करने वाला किसी प्रकार के विघ्न से बाधित न होता हुआ महापातकों से मुक्त हो जाता है। ।। श्री… Read More