भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७९ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७९ कल्पलता-दान का वर्णन युधिष्ठिर बोले — भगवन् ! आप समस्त प्राणियों के स्वामी हैं समस्त लोक आपको नमस्कार करता है अतः लोक हितार्थ कोई अन्य बात बताने की कृपा करें । देवेश ! जिस दान, व्रत… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७७ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७७ सुवर्ण निर्मित ब्रह्माण्डदान का वर्णन श्रीकृष्ण बोले — नृपशार्दूल ! प्राचीन काल में अगस्त्य जी ने दोनों का परमोत्तम विधान बताया है, मैं तुम्हें वही बता रहा हूँ, सुनो ! राजन् ! जिस विधान द्वारा दान… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७६ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७६ सुवर्णदान (हिरण्यगर्भदान) का वर्णन युधिष्ठिर बोले — भगवन् ! आप समस्त प्राणियों के अधीश्वर हैं सम्पूर्ण प्राणी आप को नमस्कार करते हैं, अतः लोगों के अनुग्रहार्थ आप कोई अन्य विषय बताने की कृपा करें । देवेश… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७५ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७५ तुला-पुरुष-दान का वर्णन श्रीकृष्ण बोले — प्राचीन काल में स्वायम्भुव पुत्र राजा प्रियव्रत ने (अपने राज्यकाल में) इस वसुधा का पालन पोषण एक अपर प्रजापति की भॉति किया था । उस विभु राजा ने तीस सहस्र… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७४ विद्यादान का वर्णन महाराज युधिष्ठिर ने कहा — भगवन् ! अनेक प्रकार के गोदान और भूमिदान की विधि एवं माहात्म्य आदि सुनने के बाद अब मैं विद्यादान की महिमा सुनना चाहता हूँ, उसे आप बतलायें ।… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७३ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७३ अग्नीष्टिका (अँगीठी) दान का वर्णन युधिष्ठिर बोले — शिशिर ऋतु में शीतभीरु प्राणियों द्वारा जो अत्यन्त कारुणिक होते हैं, समस्त प्राणियों के उपकारार्थ अग्नीष्टिका (अंगीठी) का दान किस भाँति किया जाता है । श्रीकृष्ण बोले —… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७२ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७२ प्रपा दान (प्याऊ या पौंसला) विधि का वर्णन युधिष्ठिर बोले — देवकीनन्दन ! मुझे प्रपा (प्याऊ) दान का महत्त्व बताने की कृपा करें, वह दान किस विधान द्वारा और किस समय दिया जाता है एवं उस… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७१ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७१ दासीदान का वर्णन श्रीकृष्ण बोले — अरिसूदन ! तुम्हारी भक्ति और स्नेह वश मैं तुम्हें दासी दान बता रहा हूँ, जिसे कहीं कोई जानता ही नहीं । चारो आश्रमों में गृहस्थाश्रम सर्वश्रेष्ठ कहा गया है, गृहस्थ… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १७० ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १७० स्थालीदान की महिमा में द्रौपदी के पूर्वजन्म की कथा महाराज युधिष्ठिर ने कहा — भगवन् ! आपके द्वारा अन्नदान के माहात्म्य को सुनकर मुझे भी एक बात स्मरण आ रही है । जिसे मैंने अपनी आँखों… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १६९ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १६९ अन्नदान की महिमा के प्रसंग में राजा श्वेत और एक वैश्य की कथा भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं — महाराज ! किसी समय मुनियों ने अन्नदान का जो माहात्म्य कहा था, उसे मैं कह रहा हूँ, आप… Read More