भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय ४ भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय ४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय ४ संसार के दोषों का वर्णन महाराज युधिष्ठिर ने पूछा — भगवन् ! यह जीव किस कर्म से देवता, मनुष्य और पशु आदि योनियों में उत्पन्न होता है ? बालभाव में कैसे पुष्ट होता है और किस… Read More
भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय ३ भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय ३ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय ३ नारदजी को विष्णु-माया का दर्शन राजा युधिष्ठिर ने पूछा — भगवन ! यह विष्णु-भगवान की माया किस प्रकार की है ? जो इस चराचर-जगत को व्यामोहित करती है । भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा — महाराज !… Read More
भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २ भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २ भुवनकोश का संक्षिप्त वर्णन महाराज युधिष्ठिर ने पूछा — भगवन् ! यह जगत् किसमें प्रतिष्ठित है ? कहाँ से उत्पन्न होता है ? इसका किसमें लय होता है ? इस विश्व का हेतु क्या हैं ?… Read More
भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १ भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १ महाराज युधिष्ठिर के पास व्यासादि महर्षियों का आगमन एवं उनसे उपदेश करने के लिये युधिष्ठिर की प्रार्थना कल्याणानि ददातु वो गणपतिर्यस्मिन्नतुष्टे सति क्षोदीयस्यपि कर्मणि प्रभवितुं ब्रह्मापि जिह्यायते । भेजे यश्चरणारविन्दमसकृत्सौभाग्यभाग्योदयै- स्तेनैषा जगति प्रसिद्धिमगमददेवेन्दलक्ष्मीरपि ॥ शश्वत्पूण्यहिरण्यगर्भरसनासिंहासनाध्यासिनी सेयं… Read More