सप्त-दिवसीय श्रीदुर्गा-सप्तशती-पाठ का परिचय एवं विधि सप्त-दिवसीय श्रीदुर्गा-सप्तशती-पाठ का परिचय एवं विधि १॰ सप्त-दिवसीय श्रीदुर्गा-सप्तशती-पाठ के अन्तर्गत श्रीदुर्गा-सप्तशती के १३ अध्यायों का पाठ सात दिनों में किया जाता है। २॰ “पा – ठोऽ – यं – व – र – का – रः” – सूत्र के अनुसार पहले दिन एक अध्याय (प), दूसरे दिन दो अध्याय (ठ), तीसरे दिन एक अध्याय… Read More
श्रीदुर्गा-सप्तशती श्रीदुर्गा-सप्तशती (क) दुर्गा-सप्तशती श्रीमार्कण्डेय पुराणान्तर्गत सात सौ पद्यों का इसमें समावेश होने से इसे “सप्तशती” का नाम दिया गया है। वैसे इसमें सात सतियों की प्रधानता होने से इसे “सप्तसती” भी कहते हैं। दुर्गा सप्तशती में ७०० मन्त्र हैं, किन्तु वे उवाचमन्त्र, अर्ध-श्लोक एवं त्रिपाद-श्लोकों के संग्रह से पूर्ण होते हैं। हजारों वर्षों से लाखों… Read More
भगवती सीता की शक्ति तथा पराक्रम भगवती सीता की शक्ति तथा पराक्रम एक बार भगवान् श्रीराम जब सपरिकर सभा में विराज रहे थे, विभीषण बड़ी विकलतापूर्वक अपनी स्त्री तथा चार मन्त्रियों के साथ दौड़े आये और बार-बार उसाँस लेते हुए कहने लगे – ‘राजीवनयन राम ! मुझे बचाइये, बचाइये । कुम्भकर्ण के पुत्र मूलकासुर नामक राक्षस ने, जिसे मूल नक्षत्र में… Read More
भगवती स्वाहा (स्वाहा देवी) का उपाख्यान भगवती स्वाहा (स्वाहा देवी) का उपाख्यान श्रीब्रह्मवैवर्त्त-पुराण के प्रकृति-खण्ड के 40 वें अध्याय में भगवती ‘स्वाहा’ का सुन्दर उपाख्यान वर्णित है । नारदजी के पुछे जाने पर भगवान् नारायण कहते है – मुने ! सृष्टि के प्रारम्भिक समय की बात है – देवता भोजन की व्यवस्था के लिये ब्रह्मलोक की मनोहारिणी सभा में गये ।… Read More
नवार्ण-मन्त्र जप विधानम् ।। अथ नवार्ण-मन्त्र जप विधानम् ।। “मन्त्र-महोदधि” व “श्रीदुर्गाकल्पतरु” में मन्त्र का उद्धार इस प्रकार है – ‘अथ नवाक्षरं मन्त्रं वक्ष्ये चण्डी-प्रवृत्तये । वाङ्-माया मदनो दीर्घा लक्ष्मीस्तन्द्री श्रुतीन्दु-युक्। डायै सदृग्-जलं कूर्म-द्वयं झिण्टीश-संयुतं – “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” ।’ “मन्त्र-महार्णव” में उद्धार में प्रणव का उल्लेख नहीं है, किन्तु स्पष्ट मन्त्र को “ॐ” सहित दिया… Read More
त्रयोदश-श्लोकी चण्डी त्रयोदश-श्लोकी चण्डी (त्रयोदश-श्लोकी दुर्गा) पूर्व-पीठिका ।। श्रीशिव उवाच ।। देवि ! त्वं भक्ति-सुलभे ! सर्व-कार्य-विधायिनी । कलौ हि कार्य-सिद्धयर्थमुपायं ब्रुहि यत्नतः ।। ।।श्रीदेवी उवाच ।। श्रृणु देव ! प्रवक्ष्यामि, कलौ सर्वेष्ट-साधनम् । मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बा-स्तुतिः प्रकाश्यते ।।… Read More
दुर्गा-सप्तशती श्री मार्कण्डेय-प्रोक्त लघु-दुर्गा-सप्तशती ॐ वींवींवीं वेणुहस्ते स्तुतिविधवटुके हां तथा तानमाता, स्वानंदेमंदरुपे अविहतनिरुते भक्तिदे मुक्तिदे त्वम् । हंसः सोहं विशाले वलयगतिहसे सिद्धिदे वाममार्गे, ह्रीं ह्रीं ह्रीं सिद्धलोके कष कष विपुले वीरभद्रे नमस्ते ।। १ ।।… Read More
रोग, उपद्रव की शान्ति हेतु सप्तशती-प्रयोग रोग, उपद्रव की शान्ति हेतु सप्तशती-प्रयोग विनियोगः- ॐ अस्य श्री ‘शरणागत-दीनार्त’ इति मन्त्रस्य श्रीवह्नि-पुरोगमा-ब्रह्मादयो सेन्द्रा सुराः ऋषयः, श्रीमहा-काली देवता, ग्लौं बीजं, श्रीछाया शक्तिः, श्रीकाल्यादि-दश-महा-विद्याः, तमो गुण-प्रधाना त्रिगुणाः, श्रोतृ-प्रधान-पञ्च-ज्ञानेन्द्रियाणि, शान्तः रसः, कर-प्रधाना पञ्च-कर्मेन्द्रियाणि, स्तवन स्वरः, पञ्चतत्त्वानि, पञ्च कलाः, ऐं ह्रीं श्रीं उत्कीलनं, स्तवनं मुद्रा मम क्षेम्-स्थैर्यायुरोग्याभि-वृद्धयर्थं श्रीजगदम्बा-योग-माया-भगवती-दुर्गा-प्रसाद-सिद्धयर्थं च नमो-युत-प्रणव-वाग्-वीज-स्व-वीज-लोम-विलोम-पुटितोक्त-मन्त्र-जपे विनियोगः ।… Read More
रोग नाशक देवी मन्त्र रोग नाशक देवी मन्त्र “ॐ उं उमा-देवीभ्यां नमः” ‘Om um uma-devibhyaM namah’ इस मन्त्र से मस्तक-शूल (headache) तथा मज्जा-तन्तुओं (Nerve Fibres) की समस्त विकृतियाँ दूर होती है – ‘पागल-पन'(Insanity, Frenzy, Psychosis, Derangement, Dementia, Eccentricity)तथा ‘हिस्टीरिया’ (hysteria) पर भी इसका प्रभाव पड़ता है ।… Read More
परशुराम-कृत श्रीदुर्गा-स्तोत्र परशुराम-कृत श्रीदुर्गा-स्तोत्र ।। परशुराम उवाच ।। श्रीकृष्णस्य च गो-लोके-परिपूर्णतमस्य चः । आविर्भूता विग्रहतः, परा सृष्ट्युन्मुखस्य च ।। सूर्य-कोटि-प्रभा-युक्ता, वस्त्रालंकार-भूषिता । वह्नि-शुद्धांशुकाधाना सुस्मिता, सुमनोहरा ।। नव-यौवन-सम्पन्ना सिन्दूर-विन्दु-शोभिता । ललितं कबरीभारं मालती-माल्य-मण्डितम् ।। अहोऽनिर्वचनीया त्वं, चारुमूर्ति च बिभ्रती । मोक्षप्रदा मुमुक्षूणां, महाविष्णोर्विधिः स्वयम् ।। मुमोह क्षणमात्रेण दृष्ट्वा, त्वां सर्वमोहिनीम् । बालैः सम्भूय सहसा, सस्मिता धाविता पुरा ।।… Read More