शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 49 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 49 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः उनचासवाँ अध्याय अग्नि परिक्रमा करते समय पार्वती के पदनख को देखकर ब्रह्मा का मोहग्रस्त होना, बालखिल्यों की उत्पत्ति, शिव का कुपित होना, देवताओं द्वारा शिवस्तुति ब्रह्माजी बोले — [हे नारद!] इसके अनन्तर मेरी आज्ञा से ईश्वर ने ब्राह्मणों द्वारा अग्निस्थापन करके… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 48 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 48 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः अड़तालीसवाँ अध्याय शिव-पार्वती के विवाह का प्रारम्भ, हिमालय द्वारा शिव के गोत्र के विषय में प्रश्न होने पर नारदजी के द्वारा उत्तर के रूपमें शिवमाहात्म्य प्रतिपादित करना, हर्षयुक्त हिमालय द्वारा कन्यादानकर विविध उपहार प्रदान करना ब्रह्माजी बोले — इसी समय वहाँ… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 47 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 47 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः सैंतालीसवाँ अध्याय पाणिग्रहण के लिये हिमालय के घर शिव के गमनोत्सव का वर्णन ब्रह्माजी बोले — तदनन्तर शैलराज ने प्रसन्नतापूर्वक बड़े उत्साह से वेदमन्त्रों के द्वारा शिवा एवं शिवजी का उपनयन-संस्कार सम्पन्न कराया । तदनन्तर विष्णु आदि देवताओं एवं मुनियों ने… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 46 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 46 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः छियालीसवाँ अध्याय नगर में बरातियों का प्रवेश, द्वाराचार तथा पार्वती द्वारा कुलदेवता का पूजन ब्रह्माजी बोले — तदनन्तर शिवजी प्रसन्नचित्त होकर अपने गणों, देवताओं, दूतों तथा अन्य सभी लोगों के साथ कुतूहलपूर्वक हिमालय के घर गये ॥ १ ॥ हिमालय की… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 45 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 45 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः पैंतालीसवाँ अध्याय भगवान् शिव का अपने परम सुन्दर दिव्य रूप को प्रकट करना, मेना की प्रसन्नता और क्षमा-प्रार्थना तथा पुरवासिनी स्त्रियों का शिव के रूप का दर्शन करके जन्म और जीवन को सफल मानना ब्रह्माजी बोले — हे मुने ! इसी… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 44 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 44 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः चौवालीसवाँ अध्याय शिवजी के रूप को देखकर मेना का विलाप, पार्वती तथा नारद आदि सभी को फटकारना, शिव के साथ कन्या का विवाह न करने का हठ, विष्णु द्वारा मेना को समझाना ब्रह्माजी बोले — [हे नारद!] चेतना प्राप्तकर शैलप्रिया सती… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 43 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 43 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः तैंतालीसवाँ अध्याय मेना द्वारा शिव को देखने के लिये महल की छत पर जाना, नारद द्वारा सबका दर्शन कराना, शिव द्वारा अद्भुत लीला का प्रदर्शन, शिवगणों तथा शिव के भयंकर वेष को देखकर मेना का मूर्च्छित होना मेना बोलीं — हे… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 42 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 42 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः बयालीसवाँ अध्याय हिमालय द्वारा प्रेषित मूर्तिमान् पर्वतों और ब्राह्मणों द्वारा बरात की अगवानी, देवताओं और पर्वतों के मिलाप का वर्णन ब्रह्माजी बोले — गिरिराज हिमालय सर्वव्यापी शिवजी को अपने नगर के निकट आया हुआ सुनकर बड़े प्रसन्न हुए ॥ १ ॥… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 41 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 41 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः इकतालीसवाँ अध्याय नारद द्वारा हिमालयगृह में जाकर विश्वकर्मा द्वारा बनाये गये विवाहमण्डप का दर्शन कर मोहित होना और वापस आकर उस विचित्र रचना का वर्णन करना ब्रह्माजी बोले — हे मुने ! उसके बाद आपस में विचार-विमर्शकर शंकरजी की आज्ञा लेकर… Read More
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 40 शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 40 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः चालीसवाँ अध्याय शिव बरात की शोभा, भगवान् शिव का बरात लेकर हिमालयपुरी की ओर प्रस्थान ब्रह्माजी बोले — तदनन्तर भगवान् शम्भु ने नन्दी आदि सब गणों को बुलाकर अपने साथ उन्हें वहाँ चलने की आज्ञा दी ॥ १ ॥ शिवजी बोले… Read More