शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 19 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः उन्नीसवाँ अध्याय भगवान् शिव की नेत्रज्वाला से कामदेव का भस्म होना और रति का विलाप, देवताओं द्वारा रति को सान्त्वना प्रदान करना और भगवान् शिव से काम को जीवित करने की प्रार्थना करना नारदजी बोले — हे ब्रह्मन् ! हे विधे… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 18 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः अठारहवाँ अध्याय कामदेव द्वारा असमय में वसन्त-ऋतु का प्रभाव प्रकट करना, कुछ क्षण के लिये शिव का मोहित होना, पुनः वैराग्य-भाव धारण करना ब्रह्माजी बोले — शिवजी की माया से मोहित होकर वह महाभिमानी तथा मोह उत्पन्न करनेवाला काम शिवजी के… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 17 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः सत्रहवाँ अध्याय इन्द्र के स्मरण करने पर कामदेव का उपस्थित होना, शिव को तप से विचलित करने के लिये इन्द्र द्वारा कामदेव को भेजना ब्रह्माजी बोले — उन देवताओं के चले जाने पर दुरात्मा तारकासुर से अत्यन्त पीड़ित हुए इन्द्र ने… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 16 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः सोलहवाँ अध्याय तारकासुर से उत्पीड़ित देवताओं को ब्रह्माजी द्वारा सान्त्वना प्रदान करना ब्रह्माजी बोले — उसके बाद तारकासुर से पीड़ित वे समस्त देवता मुझ प्रजापति को भली-भाँति प्रणामकर परम भक्ति से स्तुति करने लगे ॥ १ ॥ देवताओं की यथार्थ एवं… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 15 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः पन्द्रहवाँ अध्याय वरांगी के पुत्र तारकासुर की उत्पत्ति, तारकासुर की तपस्या एवं ब्रह्माजी द्वारा उसे वरप्राप्ति, वरदान के प्रभाव से तीनों लोकों पर उसका अत्याचार ब्रह्माजी बोले — तदनन्तर वरांगी ने आदरपूर्वक गर्भ धारण किया । वह बहुत वर्षों तक परम… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 14 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः चौदहवाँ अध्याय तारकासुर की उत्पत्ति के प्रसंग में दितिपुत्र वज्रांग की कथा, उसकी तपस्या तथा वरप्राप्ति का वर्णन नारदजी बोले — हे विष्णुशिष्य ! हे महाशैव ! हे विधे ! आपने यह शिवा एवं शिवजी के परम पवित्र चरित्र का अच्छी… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 13 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः तेरहवाँ अध्याय पार्वती और परमेश्वर का दार्शनिक संवाद, शिव का पार्वती को अपनी सेवा के लिये आज्ञा देना, पार्वती का महेश्वर की सेवा में तत्पर रहना भवानी बोलीं — हे योगिन् ! आपने तपस्वी होकर भी मेरे पिता से क्या कह… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 12 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः बारहवा अध्याय हिमवान् का पार्वती को शिव की सेवामें रखने के लिये उनसे आज्ञा माँगना, शिव द्वारा कारण बताते हुए इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर देना ब्रह्माजी बोले — [हे नारद!] तदनन्तर शैलराज हर्षित होकर उत्तम फल-फूल का समूह लेकर अपनी… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 11 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः ग्यारहवाँ अध्याय भगवान् शिव का तपस्या के लिये हिमालय पर आगमन, वहाँ पर्वतराज हिमालय से वार्तालाप ब्रह्माजी बोले — हिमालय की वह लोकपूजित पुत्री पार्वती उनके घर में बढ़ती हुई जब आठ वर्ष की हो गयी, तब हे नारद ! उसका… Read More


शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [तृतीय-पार्वतीखण्ड] – अध्याय 10 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः दसवाँ अध्याय शिवजी के ललाट से भौमोत्पत्ति नारदजी बोले — हे विष्णुशिष्य ! हे महाभाग ! हे विधे ! हे शिवभक्तों में श्रेष्ठ ! हे प्रभो ! आप शिवजी की इस लीला को प्रीतिपूर्वक विस्तार से मुझसे कहिये ॥ १ ॥… Read More