|| गोरक्षनाथाष्टकम् || (हंसचित्रम्) योगीन्द्राप्त-हितोपदेश-विशदा देशार्थ-तत्वं शिरो। ज्ञानं कर्म च दक्षिणोत्तर-गता, वक्षोभ्यपक्षा-वसौ। आत्मा योगवरः स्वरूप-विषया पुच्छे प्रतिष्ठा-चितो । माया यस्य जगत्वयं विजयते हंसः स नाथो विभुः ॥ 1॥ द्वैतं दक्षिणपक्ष एष विहितोऽद्वैतं विविच्योत्तरः पक्षो योग-शिरो विशेष-परमा द्वैतं तदात्मा महान् । पुच्छं केवल-भाव एक विदुषां, हृत्पद्मनीड मह, न्माया यस्य जगत्त्रय विजयते, हंसः स नाथोविभु ॥ 2… Read More


|| गोरक्ष संकट मोचन || बाल योगी भये रूप लिये तब, आदि नाथ लियो अवतारो । ताहि समै सुख भयो सिद्धो का, तब शिव गोरक्ष नाथ उचारो || भेष भगवान ने की विनती, तब अनुपान शिला पे ज्ञान विचारो। को नहि जानत है जग में, शिव गोरक्षनाथ है नाम तुम्हारो ॥१ ॥ सतयुग में भये… Read More


|| श्री नाथस्तोत्र राजः || नमोऽहं कलये हंसो, हंसोऽहं कलयेऽन्वहम्। नमोऽहं कलये हंसो, हंसोऽहं कलयऽन्वहम् ॥1॥ अनन्यमानसो हंसो, मानसं पदमाश्रितः। अनन्यमानसो हंसो, मानसं पदमाश्रितः ॥ 2 ॥ रक्षा मा दक्ष गोरक्ष ! क्षरमोक्षद माऽक्षर। जयकाम महाराज, जराहा मम कायज ॥ 3 ॥ घनसारद नाथाय, यथा नाद रसा नघ। ते स्तुमो नरधामारे, हेमाधार ! नमोऽस्तुते ॥… Read More


|| गोरक्ष गायत्री || ॐ गुरुजी! सत् नम: आदेश ! गुरूजी को आदेश। ओऽमकारो शिव रुपी, मध्याह्ने हंसरुपी सन्ध्याया साधु रुपी, परमहंस दो अक्षर, गुरू तो गोरख काया तो गायत्री ॐ ब्रह्म, सोहम् शक्ति, शून्य माला अवगत पिता, विहंगम जात, अभय पन्थ, सूक्ष्म वेद, असंख्य शाखा, हरमुख प्रवर, निरंजन गौत्र, त्रिकुटी क्षैत्र, जुगति जोत, जल… Read More


श्री गोरक्षनाथ स्तवन कैलाशाचल चारु श्रंग रचिता वेदी यदी यासनं, शान्तं शंख शशांक कुन्दकुमुस स्फितश्रियालिंगितम् । बालार्करुणतीर्णकोण किरण ज्योतिर्जटा मण्डितं, तज्जयोतिर्मयमैश्वर वपुरिदं गोरक्ष ! ते धीमहि ।। आत्म-खलु विश्व-मूलम् ॐ कृण्वन्तो विश्वमार्यम् । गोरक्ष-बालं गुरु-शिष्य-पालं शेष-हिमालं शशि-खण्ड-भालम् ।। कालस्य-कालं जित-जन्म-जालं वन्दे जटालं जगदाब्जनालम् । गोरक्षनाथ ! भवरुप भवाब्धि पोत, भक्तार्ति-नाशन विभो करुणैकमूर्ते । त्वपाद–पद्म–मकरन्द–मधुव्रतोऽहं, तापं… Read More


विघ्नों का निवारण मन्त्रः- “ॐ नमो आदेश । गुरु जी को आदेश । पहिला गण गणपती । चौदा विद्यांचा सारथी । जती सती कैलास- पती । बल भीम मारुती । आले विघ्न निवारी । साईं गोरखनाथ की द्वाही । गुरू की शक्ति – मेरी भक्ति । चले मन्त्र, ईश्वरी वाचा । पिण्ड कच्चा, गुरू गोरखनाथ… Read More


किसान बन्धुओं के लिए मन्त्र गाय की चोरी होने पर मन्त्रः- “ॐ नमो आदेश । गुरु जी को आदेश । गुरू की क्रिया भण्डारी । धनञ्जय देवेन्द्रनाथ उतारी । बाबा हमदे । गाय गुरु के परि सुखे । नदी को चलवे तीर । गाय गोरख की । बखरी मच्छिन्द्र की । भय से राजा बारसव… Read More


टोना झारने के मन्त्र (१) “मन्त्रा-तन्त्रा की ऐसी – तैसी, पारबती के मन्त्रा वैसी । जिहाँ पठाऊँ, तिहाँ तैं जाय, फोर करेजा भीतर खाय । काली कमाख्या का नाम है, पार्वती का काम है । आ रे ! टोनही के टोना जादू पाँगन होखे तो फिर जाबे । मोर फूकें, मोर गुरू के फूकें ।… Read More


गर्भ-स्तम्भन मन्त्र मन्त्रः- “गौरी गण्डा दे गई, ईश्वर दे गया वाचा । महा – देव थापा घर गया, शब्द भया साँचा । दथ त्रिया की चिन्ता, मेरी दश मांस । बाँधु बीस पाख, बाँधु उसका पैर । गर्भ खिसके, तो गुरू गोरखनाथ की दुहाई । मेरी शक्ति, गुरू की शक्ति, सत्-नाम आदेश गुरू की ।”… Read More


शत्रु-स्तम्भन मन्त्र मन्त्रः- “जल बाँधु, जल-वायु बाँधु । बाँधु जल के तीर । पाँचो काला कलवा बाँधों । बाँधु हनुमन्त वीर ! सहदेव तेरी लाकड़ी, अर्जुन तेरो बाण । ‘अमुक’ की गति थाम दे, यति हनुमत की आन । शब्द साँचा-पिण्ड काँचा, मेरे गुरू का इल्म साँचा । फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा । दुहाई गोरख-… Read More