शिवमहापुराण माहात्म्य – अध्याय 04 शिवमहापुराण माहात्म्य – अध्याय 04 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः चौथा अध्याय चंचुला की प्रार्थना से ब्राह्मण का उसे पूरा शिवपुराण सुनाना और समयानुसार शरीर छोड़कर शिवलोक में जा चंचुला का पार्वतीजी की सखी होना चंचुलायाः सद्गतिः ॥ ब्राह्मण उवाच ॥… Read More
शिवमहापुराण माहात्म्य – अध्याय 03 शिवमहापुराण माहात्म्य – अध्याय 03 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः तीसरा अध्याय चंचुला का पाप से भय एवं संसार से वैराग्य चंचुलावैराग्यवर्णनम् ॥ शौनक उवाच ॥ सूत सूत महाभाग सर्वज्ञोऽसि महामते । त्वत्प्रसादात्कृतार्थोऽहं कृतार्थोऽहं पुनः पुनः ॥ १ ॥ इतिहासमिमं श्रुत्वा मनो मेऽतीव मोदते । अन्यामपि कथां शम्भोर्वद प्रेमविवर्द्धिनीम् ॥ २ ॥ नामृतम्पिबतां लोके… Read More
शिवमहापुराण माहात्म्य – अध्याय 02 शिवमहापुराण माहात्म्य – अध्याय 02 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः दूसरा अध्याय शिवपुराण के श्रवण से देवराज को शिवलोक की प्राप्ति ॥ शौनक उवाच ॥ सूत सूत महाभाग धन्यस्त्वं परमार्थवित् । अद्भुतेयं कथा दिव्या श्राविता कृपया हि नः ॥ १ ॥ अघौघविध्वंसकरी मनःशुद्धिविधायिनी । शिवसन्तोषजननी कथेय नः श्रुताऽद्भुता ॥ २ ॥ एतत्कथासमानं न भुवि… Read More
शिवमहापुराण माहात्म्य – अध्याय 01 शिवमहापुराण माहात्म्य – अध्याय 01 श्री गणेशाय नमः श्री साम्बसदाशिवाय नमः पहला अध्याय शौनकजी के साधनविषयक प्रश्न करने पर सूतजी का उन्हें शिवमहापुराण की महिमा सुनाना ॥ श्रीशौनक उवाच ॥ हे हे सूत महाप्राज्ञ सर्वसिद्धान्तवित्प्रभो । आख्याहि मे कथासारं पुराणानां विशेषतः ॥ १ ॥ सदाचारश्च सद्भक्तिर्विवेको वर्द्धते कथम् । स्वविकारनिरासश्च सज्जनैः क्रियते कथम् ॥ २… Read More