शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 06 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 06 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] छठा अध्याय महेश्वरकी महत्ताका प्रतिपादन मुनि बोले – [ हे देव! ] आपने पूर्वमें पशु तथा पाशके विषयमें बताया है, अब इन दोनोंसे विलक्षण तथा इनपर शासन करनेवाले किसी [तत्त्व] अर्थात् पशुपतिके विषयमें बताइये ॥… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 05 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 05 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] पाँचवाँ अध्याय ऋषियोंके पूछनेपर वायुदेवद्वारा पशु, पाश एवं पशुपतिका तात्त्विक विवेचन सूतजी बोले – हे महाभाग्यवान् ऋषियो ! नैमिषारण्यनिवासी उन ऋषियोंने विधिपूर्वक वायुदेवको प्रणामकर उनसे पहले पूछा ॥ १ ॥ नैमिषारण्यके ऋषियोंने पूछा – देव!… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 04 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 04 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] चौथा अध्याय नैमिषारण्यमें दीर्घसत्रके अन्तमें मुनियोंके पास वायुदेवताका आगमन सूतजी बोले – उस समय उत्तम व्रतका पालन करनेवाले महाभाग्यवान् उन ऋषियोंने महादेवका अर्चन करते हुए उस स्थानमें यज्ञानुष्ठान प्रारम्भ किया ॥ १ ॥ उन महर्षियोंका… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 03 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 03 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] तीसरा अध्याय ब्रह्माजीके द्वारा परमतत्त्वके रूपमें भगवान् शिवकी महत्ताका प्रतिपादन तथा उनकी आज्ञासे सब मुनियोंका नैमिषारण्यमें आना ब्रह्माजी बोले – मनके साथ वाणी जिनको प्राप्त किये बिना ही लौट आती है, जिनके आनन्दमय स्वरूपको प्राप्तकर… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 02 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 02 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] दूसरा अध्याय ऋषियोंका ब्रह्माजीके पास जाकर उनकी स्तुति करके उनसे परमपुरुषके विषयमें प्रश्न करना और ब्रह्माजीका आनन्दमग्न हो ‘रुद्र’ कहकर उत्तर देना सूतजी बोले- पूर्व समयमें अनेक कल्पोंके पुनः- पुनः बीत जानेके बाद जब यह… Read More
शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 01 शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड] — अध्याय 01 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [ पूर्वखण्ड ] पहला अध्याय ऋषियोंद्वारा सम्मानित सूतजीके द्वारा कथाका आरम्भ, विद्यास्थानों एवं पुराणोंका परिचय तथा वायुसंहिताका प्रारम्भ नमः शिवाय सोमाय सगणाय ससूनवे । प्रधानपुरुषेशाय सर्गस्थित्यन्तहेतवे ॥ शक्तिरप्रतिमा यस्य ह्यैश्वर्यं चापि सर्वगम् । स्वामित्वं च विभुत्वं च… Read More
शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 23 शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 23 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता तेईसवाँ अध्याय यतिके द्वादशाह – कृत्यका वर्णन, स्कन्द और वामदेवका कैलासपर्वतपर जाना तथा सूतजीके द्वारा इस संहिताका उपसंहार स्कन्दजी बोले – [ वामदेव !] बारहवें दिन प्रातःकाल उठकर श्राद्धकर्ता पुरुष स्नान और नित्यकर्म करके शिवभक्तों, यतियों अथवा शिवके प्रति… Read More
शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 22 शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 22 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता बाईसवाँ अध्याय यतिके लिये एकादशाह – कृत्यका वर्णन स्कन्दजी बोले – मुनिश्रेष्ठ वामदेव ! यतिका एकादशाह प्राप्त होनेपर जो विधि बतायी गयी है, उसका मैं तुम्हारे स्नेहवश वर्णन करता हूँ । मिट्टीकी वेदी बनाकर उसका सम्मार्जन और उपलेपन करे… Read More
शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 21 शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 21 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता इक्कीसवाँ अध्याय यतिके अन्त्येष्टिकर्मकी दशाहपर्यन्त विधिका वर्णन वामदेवजी बोले – जो मुक्त यति हैं, उनके शरीरका दाहकर्म नहीं होता। मरनेपर उनके शरीरको गाड़ दिया जाता है, यह मैंने सुना है । मेरे गुरु कार्तिकेय ! आप प्रसन्नतापूर्वक यतियोंके उस… Read More
शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 20 शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 20 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता बीसवाँ अध्याय यतियोंके क्षौर – स्नानादिकी विधि तथा अन्य आचारोंका वर्णन सुब्रह्मण्य बोले – हे वामदेव ! हे महामुने ! अब मैं क्षौर तथा स्नानविधि कहता हूँ, जिसके करनेसे यतिकी तत्क्षण परम शुद्धि होती है ॥ १ ॥ हे… Read More