ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 29 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 29 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ उनतीसवाँ अध्याय परशुराम का शिवलोक में जाकर शिवजी के दर्शन करके उनकी स्तुति करना नारायण कहते हैं — नारद! तदनन्तर परशुराम ने ब्रह्मा की बात सुनकर उन जगद्गुरु को प्रणाम किया और उनसे वरदान पाकर वे सफल-मनोरथ हो शिवलोक को चले । वायु… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 28 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 28 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ अट्ठाइसवाँ अध्याय रेणुका- भृगु-संवाद, रेणुका का पति के साथ सती होना, परशुराम का पिता की अन्त्येष्टि क्रिया करके ब्रह्मा के पास जाना और अपनी प्रतिज्ञा सुनाना, ब्रह्मा का उन्हें शिवजी के पास भेजना रेणुका ने पूछा — ब्रह्मन् ! अब मैं अपने प्राणनाथ… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 27 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 27 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सत्ताईसवाँ अध्याय जमदग्नि-कार्तवीर्य युद्ध, कार्तवीर्य द्वारा दत्तात्रेय दत्त शक्ति के प्रहार से जमदग्नि का वध, रेणुका का विलाप, परशुराम का आना और क्षत्रियवध की प्रतिज्ञा करना, भृगु का आकर उन्हें सान्त्वना देना नारायण कहते हैं — नारद! राजा घर लौट तो गया पर… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 26 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 26 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ छब्बीसवाँ अध्याय ब्रह्मा द्वारा जमदग्नि और कार्तवीर्य युद्ध का शमन नारायण कहते हैं — नारद! भूपाल के वचन को सुनकर मुनिवर ने श्रीहरि का स्मरण करके जो हितकर, सत्य और नीति का साररूप था, ऐसा वचन कहना आरम्भ किया । मुनि ने कहा… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 25 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 25 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ पच्चीसवाँ अध्याय जमदग्नि और कार्तवीर्य का युद्ध तथा ब्रह्मा द्वारा उसका निवारण नारायण कहते हैं — नारद! तदनन्तर कार्तवीर्य ने दुःखी हृदय से श्रीहरि का स्मरण किया और कुपित हो मुनि के पास दूत भेजकर कहलवाया- ‘मुनिश्रेष्ठ ! युद्ध कीजिये अथवा मुझ अतिथि… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 24 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 24 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चौबीसवाँ अध्याय गणेश के एकदन्त-वर्णन-प्रसङ्ग में जमदग्नि के आश्रम पर कार्तवीर्य का स्वागत सत्कार, कार्तवीर्य का बलपूर्वक कामधेनु को हरण करने की इच्छा प्रकट करना, कामधेनु द्वारा उत्पन्न की हुई सेना के साथ कार्तवीर्य की सेना का युद्ध नारदजी ने पूछा — हरि… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 23 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 23 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तेईसवाँ अध्याय देवताओं के स्तवन करने पर महालक्ष्मी का प्रकट होकर देवों और मुनियों के समक्ष अपने निवास-योग्य स्थान का वर्णन करना नारायण कहते हैं — नारद! तदनन्तर इन्द्र गुरु बृहस्पति तथा अन्यान्य देवों को साथ लेकर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिये प्रसन्न-मन… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 22 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 22 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ बाईसवाँ अध्याय श्रीहरि का इन्द्र को लक्ष्मी-कवच तथा लक्ष्मी स्तोत्र प्रदान करना नारदजी ने पूछा — तपोधन ! लक्ष्मीपति श्रीहरि ने प्रकट होकर इन्द्र को महालक्ष्मी का कौन-सा स्तोत्र और कवच प्रदान किया था, वह मुझे बतलाइये । नारायण ने कहा — नारद!… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 21 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 21 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ इक्कीसवाँ अध्याय इन्द्र का बृहस्पति के साथ ब्रह्मा के पास जाना, ब्रह्मा द्वारा दिये गये नारायणस्तोत्र, कवच और मन्त्र के जप से पुनः श्री प्राप्त करना नारद ने पूछा — प्रभो ! किस ब्रह्मशाप के कारण वे सभी देवता श्रीभ्रष्ट हो गये थे… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 20 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 20 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ बीसवाँ अध्याय भगवान् नारायण के निवेदित पुष्प की अवहेलना से इन्द्र का श्रीभ्रष्ट होना नारद बोले — आप भगवान् के अंश से उत्पन्न एवं बुद्धि, तेज और विक्रम में उन्हीं के समान हैं, अतः मेरा प्रश्न सुनने की कृपा करें । मैंने विघ्ननाशक… Read More