ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 19 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 19 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ उन्नीसवाँ अध्याय ब्रह्मा द्वारा माली-सुमाली को सूर्य के कवच और स्तोत्र की प्राप्ति तथा सूर्य की कृपा से उन दोनों का नीरोग होना नारदजी के पूछने पर नारायण बोले — नारद! मैं श्रीसूर्य के पूजन का क्रम तथा सम्पूर्ण पापों और व्याधियों से… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 18 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 18 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ अठारहवाँ अध्याय गणेश शिरश्छेदन के वर्णन के प्रसङ्ग में शंकर द्वारा सूर्य का मारा जाना, कश्यप का शिव को शाप देना, सूर्य का जीवित होना और माली-सुमाली की रोगनिवृत्ति नारद ने पूछा — महाभाग नारायण ! आप तो वेदवेदाङ्गों के पारगामी विद्वान् हैं… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 17 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 17 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सत्रहवाँ अध्याय कार्तिकेय का अभिषेक तथा देवताओं द्वारा उन्हें उपहार प्रदान श्रीनारायणजी कहते हैं — नारद ! तदनन्तर जगदीश्वर विष्णु प्रसन्नमन से शुभ मुहूर्त निश्चय करके कार्तिकेय को एक रमणीय रत्नसिंहासनप र बैठाया और कौतुकवश नाना प्रकार के झाँझ- मँजीरा तथा यन्त्रमय बाजे… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 16 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 16 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सोलहवाँ अध्याय कार्तिकेय का नन्दिकेश्वर के साथ कैलास पर आगमन, स्वागत, सभा में जाकर विष्णु आदि देवों को नमस्कार करना और शुभाशीर्वाद पाना श्रीनारायणजी कहते हैं — नारद! शंकरसुवन कार्तिकेय नन्दिकेश्वर से यों कहकर शीघ्र ही कृत्तिकाओं को समझाते हुए नीतियुक्त वचन बोले… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 15 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 15 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ पन्द्रहवाँ अध्याय शिवजी का कृत्तिकाओं के पास दूतों को भेजना, वहाँ कार्तिकेय और नन्दी का संवाद श्रीनारायण कहते हैं — मुने ! पुत्र का समाचार मिल जाने पर जब विष्णु, देवगण, मुनिसमुदाय और पर्वतों ने पार्वतीसहित शंकरको प्रेरित किया, तब उन्होंने लाखों क्षेत्रपाल,… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 14 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 14 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चौदहवाँ अध्याय पार्वती को देवताओं द्वारा कार्तिकेय का समाचार प्राप्त होना तदनन्तर, पहले शंकर का वीर्य पृथ्वी पर गिरने से कार्तिकेय के उत्पन्न होने की बात आयी थी, उसी के सम्बन्ध में बात छिड़ने पर — श्रीधर्म ने कहा — भगवन् ! प्रकोप… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 13 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 13 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तेरहवाँ अध्याय विष्णु आदि देवताओं द्वारा गणेश की अग्रपूजा, पार्वतीकृत विशेषोपचार सहित गणेशपूजन, विष्णुकृत गणेशस्तवन और ‘संसारमोहन’ नामक कवच का वर्णन श्रीनारायणजी कहते हैं — नारद! तदनन्तर विष्णु ने शुभ समय आने पर देवों तथा मुनियों के साथ सर्वश्रेष्ठ उपहारों से उस बालक… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 12 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 12 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ बारहवाँ अध्याय पार्वती के कहने से शनैश्चर का गणेश पर दृष्टिपात करना, गणेश के सिर का कटकर गोलोक में चला जाना, पार्वती की मूर्च्छा, श्रीहरि का आगमन और गणेश के धड़ पर हस्ती का सिर जोड़कर जीवित करना, फिर पार्वती को होश में… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 11 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 11 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ ग्यारहवाँ अध्याय गणेश को देखने के लिये शनैश्चर का आना और पार्वती के पूछने पर अपने द्वारा किसी वस्तु के न देखने का कारण बताना श्रीनारायणजी कहते हैं — नारद! इस प्रकार उस बालक को आशीर्वाद देकर श्रीहरि उस सभा में देवताओं और… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 10 ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 10 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ दसवाँ अध्याय शिव, पार्वती तथा देवताओं द्वारा अनेक प्रकार का दान दिया जाना, बालक को देवताओं एवं देवियों का शुभाशीर्वाद और इस मङ्गलाध्याय के श्रवण का फल श्रीनारायणजी कहते हैं — नारद! तदनन्तर उन दोनों पति-पत्नी — शिव-पार्वती ने बाहर जाकर पुत्र की… Read More