ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 16 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 16 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सोलहवाँ अध्याय तुलसी को स्वप्न में शङ्खचूड़ के दर्शन, शङ्खचूड़ तथा तुलसी के विवाह के लिये ब्रह्माजी का दोनों को आदेश, तुलसी के साथ शङ्खचूड़ का गान्धर्व-विवाह तथा देवताओं के प्रति उसके पूर्वजन्म का स्पष्टीकरण भगवान् नारायण कहते हैं… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 15 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 15 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ पन्द्रहवाँ अध्याय भगवती तुलसी के प्रादुर्भाव का प्रसङ्ग भगवान् नारायण कहते हैं — नारद ! धर्मध्वज की पत्नी का नाम माधवी था। वह राजा के साथ गन्धमादन पर्वत पर सुन्दर उपवन में आनन्द करती थी । यों दीर्घकाल बीत… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 14 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 14 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चौदहवाँ अध्याय वेदवती की कथा, इसी प्रसङ्ग में भगवान् राम के चरित्र का एक अंश-कथन, भगवती सीता तथा द्रौपदी के पूर्वजन्म का वृत्तान्त भगवान् नारायण कहते हैं — मुने ! धर्मध्वज और कुशध्वज — इन दोनों नरेशों ने कठिन… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 13 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 13 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तेरहवाँ अध्याय तुलसी के कथा-प्रसङ्ग में राजा वृषध्वज का चरित्र – वर्णन नारदजी ने पूछा — प्रभो ! साध्वी तुलसी भगवान् श्रीहरि की पत्नी कैसे बनी ? इसका जन्म कहाँ हुआ था और पूर्वजन्म में यह कौन थी ?… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 12 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 12 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ बारहवाँ अध्याय गङ्गा का प्रकट होना, देवताओं के प्रति श्रीकृष्ण का आदेश तथा गङ्गा के विष्णुपत्नी होने का प्रसङ्ग नारद ने कहा — भगवन्! लक्ष्मी, सरस्वती, गङ्गा और जगत् को पावन बनाने वाली तुलसी — ये चारों देवियाँ भगवान्… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 11 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 11 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ ग्यारहवाँ अध्याय श्रीराधाजी का गङ्गा पर रोष, श्रीकृष्ण के प्रति राधा का उपालम्भ, श्रीराधा के भय से गङ्गा का श्रीकृष्ण के चरणों में छिप जाना, जलाभाव से पीड़ित देवताओं का गोलोक में जाना, ब्रह्माजी की स्तुति से राधा का… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 10 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 10 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ दसवाँ अध्याय गङ्गा की उत्पत्ति का विस्तृत प्रसङ्ग नारदजी ने कहा — वेदवेत्ताओं में श्रेष्ठ भगवन्! पृथ्वी का यह परम मनोहर उपाख्यान सुन चुका । अब आप गङ्गा का विशद प्रसङ्ग सुनाने की कृपा कीजिये। प्रभो! सुरेश्वरी, विष्णुस्वरूपा एवं… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 09 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 09 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ नौवाँ अध्याय पृथ्वी के प्रति शास्त्र विपरीत व्यवहार करने पर नरकों की प्राप्ति का वर्णन नारदजी बोले — भगवन्! पृथ्वी का दान करने से जो पुण्य तथा उसे छीनने, दूसरे की भूमि का हरण करने, अम्बुवाची में पृथ्वी का… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 08 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 08 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ आठवाँ अध्याय पृथ्वी की उत्पत्ति का प्रसङ्ग, ध्यान और पूजन का प्रकार तथा स्तुति नारदजी ने कहा — भगवन् ! आपने बतलाया है कि श्रीकृष्ण के निमेषमात्र में ब्रह्मा की आयु पूरी हो जाती है। उन का सत्ता-शून्य हो… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 07 ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 07 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सातवाँ अध्याय कलियुग के भावी चरित्र का, कालमान का तथा गोलोक की श्रीकृष्ण-लीला का वर्णन भगवान् नारायण कहते हैं — नारद ! तदनन्तर सरस्वती अपनी एक कला से तो पुण्यक्षेत्र भारतवर्ष में पधारीं तथा पूर्ण अंश से उन्हें भगवान्… Read More