ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 16 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः सोलहवाँ अध्याय मालावती के पूछने पर ब्राह्मण द्वारा वैद्यकसंहिता का वर्णन, आयुर्वेद की आचार्य परम्परा, उसके सोलह प्रमुख विद्वानों तथा उनके द्वारा रचित तन्त्रों का नाम-निर्देश, ज्वर आदि चौंसठ रोग, उनके हेतुभूत वात, पित्त, कफ की उत्पत्ति के कारण और उनके निवारण के… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 15 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः पन्द्रहवाँ अध्याय ब्राह्मण द्वारा अपनी शक्ति का परिचय, मृतक को जीवित करने का आश्वासन, मालावती का पति के महत्त्व को बताना और काल, यम, मृत्युकन्या आदि को ब्राह्मण द्वारा बुलवाकर उनसे बात करना, यम आदि का अपने को ईश्वर की आज्ञा का पालक… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 14 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः चौदहवाँ अध्याय ब्राह्मण-बालक रूपधारी विष्णु का मालावती के साथ संवाद, ब्राह्मण के पूछने पर मालावती का अपने दुःख और इच्छा को व्यक्त करना तथा ब्राह्मण का कर्मफल के विवेचनपूर्वक विभिन्न देवताओं की आराधना से प्राप्त होने वाले फल का वर्णन करना, श्रीकृष्ण एवं… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 13 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः तेरहवाँ अध्याय ब्रह्मा जी के शाप से उपबर्हण का योगधारण द्वारा अपने शरीर को त्याग देना, मालावती का विलाप एवं प्रार्थना करना, देवताओं को शाप देने के लिये उद्यत होना, आकाशवाणी द्वारा भगवान् का आश्वासन पाकर देवताओं का कौशिकी के तट पर मालावती… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 12 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः बारहवाँ अध्याय ब्रह्मा जी की अपूज्यता का कारण, गन्धर्वराज की तपस्या से संतुष्ट हुए भगवान् शंकर का उन्हें अभीष्ट वर देना तथा नारद जी का उनके पुत्र रूप से उत्पन्न हो उपबर्हण नाम से प्रसिद्ध होना तदनन्तर शौनक जी के पूछने पर सौति… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 11 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ग्यारहवाँ अध्याय सूर्य के अनुरोध से सुतपा का अश्विनी कुमारों को शाप मुक्त करना तथा संध्या-निरत वैष्णव ब्राह्मण की प्रशंसा शौनक जी ने पूछा — महाभाग सूतनन्दन! उस ब्राह्मण ने अपनी पत्नी का त्याग करके शेष जीवन में कौन-सा कार्य किया? अश्विनी कुमारों… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 10 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः दसवाँ अध्याय जाति और सम्बन्ध का निर्णय तदनन्तर सौति ने मुनिश्रेष्ठ बालखिल्यादि, बृहस्पति, उतथ्य, पराशर, विश्रवा, कुबेर, रावण, कुम्भकर्ण, महात्मा विभीषण, वात्स्य, शाण्डिल्य, सावर्णि, कश्यप तथा भरद्वाज आदि की; ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और अनेकानेक वर्णसंकर जातियों की उत्पत्ति के प्रसंग सुनाकर कहा–… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 09 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः नौवाँ अध्याय मरीचि आदि ब्रह्मकुमारों तथा दक्षकन्याओं की संतति का वर्णन, दक्ष के शाप से पीड़ित चन्द्रमा का भगवान् शिव की शरण में जाना, अपनी कन्याओं के अनुरोध पर दक्ष का चन्द्रमा को लौटा लाने के लिये जाना, शिव की शरणागत वत्सलता तथा… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 08 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः आठवाँ अध्याय सावित्री से वेद आदि की सृष्टि, ब्रह्मा जी से सनकादि की, सस्त्रीक स्वायम्भुव मनु की, रुद्रों की, पुलस्त्यादि मुनियों की तथा नारद की उत्पत्ति, नारद को ब्रह्मा का और ब्रह्मा जी को नारद का शाप सौति कहते हैं — तदनन्तर सावित्री… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 07 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः सातवाँ अध्याय सृष्टि का क्रम – ब्रह्मा जी के द्वारा मेदिनी, पर्वत, समुद्र, द्वीप, मर्यादा पर्वत, पाताल, स्वर्ग आदि का निर्माण; कृत्रिम जगत् की अनित्यता तथा वैकुण्ठ, शिवलोक तथा गोलोक की नित्यता का प्रतिपादन सौति कहते हैं —  शौनक जी! तब भगवान् की… Read More