ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 103 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ तीनवाँ अध्याय द्वारकापुरी का निर्माण श्रीनारायण कहते हैं — नारद! तदनन्तर सर्वव्यापी श्रीहरि ने बलराम के साथ मथुरापुरी में आकर पिता को प्रणाम किया और वटवृक्ष के नीचे बैठकर आदरसहित गरुड़, क्षारसागर और विश्वकर्मा का स्मरण किया । वहाँ उन्होंने… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 102 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ दोवाँ अध्याय बलराम सहित श्रीकृष्ण का विद्या पढ़ने के लिये महर्षि सांदीपनि के निकट जाना, गुरु और गुरुपत्नी द्वारा उनका स्वागत और विद्याध्ययन के पश्चात् गुरुदक्षिणारूप में गुरु के मृतक पुत्र को उन्हें वापस देकर घर लौटना श्रीनारायण कहते हैं… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 101 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ एकवाँ अध्याय नन्द आदि समागत अभ्यागतों की बिदाई और वसुदेव-देवकी का अनेकविध वस्तुओं का दान करना नारायण बोले —  मुने! इस प्रकार जब देवताओं और मुनियों ने मन-ही-मन श्रीकृष्ण की स्तुति करके विराम लिया, तब आँगन में पीले वस्त्र से… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 100 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) सौवाँ अध्याय अदिति आदि देवियों द्वारा पार्वती का स्वागत-सत्कार, वसुदेवजी का देव-पूजन आदि माङ्गलिक कार्य करके बलराम और श्रीकृष्ण का उपनयन करना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! तदनन्तर अदिति, दिति, देवकी, रोहिणी, रति, सरस्वती, पतिव्रता यशोदा, लोपामुद्रा, अरुन्धती, अहल्या तथा तारका —… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 99 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) निन्यानबेवाँ अध्याय गर्गजी का आगमन और वसुदेवजी से पुत्रों के उपनयन के लिये कहना, उसी प्रसङ्ग में मुनियों और देवताओं का आना, वसुदेवजी द्वारा उनका सत्कार और गणेश का अग्र-पूजन श्रीनारायण कहते हैं — नारद! इसी समय तपस्वी गर्गजी, जो सदा संयम… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 98 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) अट्ठानबेवाँ अध्याय श्रीकृष्णद्वारा गोकुलका वृत्तान्त पूछे जानेपर उद्धवका उसे कहते हुए राधा की दशाका विशेषरूपसे वर्णन करना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! तदनन्तर उद्धव यशोदा को प्रणामकर उतावली के साथ हर्षपूर्वक खर्जूर-कानन को बाँयें करके यमुना-तट पर गये। वहीं स्नान-भोजन करके वे… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 97 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) सत्तानबेवाँ अध्याय राधा का उद्धव को बिदा करना, बिदा होते समय उद्धव द्वारा राधा-महत्त्व – वर्णन तथा उद्धव के यशोदा के पास चले जाने पर राधा का मूर्च्छित होना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! उद्धव को जाने के लिये उद्यत देखकर श्रीहरि… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 96 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) छियानबेवाँ अध्याय उद्धव को उपदेश देकर मथुरा जाने की आज्ञा देना श्रीनारायण कहते हैं — तदनन्तर माधवी की प्रेरणा से उद्धव के पूछने पर श्रीराधा ने उनको उपदेश दिया। राधिका बोलीं — ‘वत्स! लोकों के स्वामी, कालके काल, जगद्गुरु, निर्गुण, इच्छारहित और… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 95 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) पंचानबेवाँ अध्याय उद्धव का कथन सुनकर राधा का चैतन्य होना और अपना दुःख सुनाना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! उद्धव के वचन सुनकर राधिका की चेतना लौट आयी। वे उठकर उत्तम रत्न-सिंहासन पर जा विराजीं । उस समय सात गोपियाँ भक्तिपूर्वक श्वेत… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 94 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) चौरानबेवाँ अध्याय सखियों द्वारा श्रीकृष्ण की निन्दा एवं प्रशंसा और उद्धव का मूर्च्छित हुई राधा को सान्त्वना प्रदान करना श्रीनारायण कहते हैं — मुने ! राधिकाको मूर्च्छित देखकर उद्धव को महान् विस्मय और भय प्राप्त हुआ। वे राधा की सच्ची भक्ति और… Read More