ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 73 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) तिहतरवाँ अध्याय श्रीकृष्ण का नन्द को अपना स्वरूप और प्रभाव बताना; गोलोक, रासमण्डल और राधा-सदन का वर्णन; श्रीराधा के महत्त्व का प्रतिपादन तथा उनके साथ अपने नित्य सम्बन्ध का कथन और दिव्य विभूतियों का वर्णन श्रीनारायण कहते हैं — नारद! तदनन्तर शोक… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 72 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) बहतरवाँ अध्याय पुरी की शोभा का वर्णन, कुब्जा पर कृपा, माली को वरदान, धोबी का उद्धार, कुब्जा का गोलोकगमन, कंस का दुःस्वप्न, रङ्गभूमि में कंस का पधारना, धनुर्भङ्ग, हाथी का वध, कंस का उद्धार, उग्रसेन को राज्यदान, माता-पिता के बन्धन काटना, वसुदेवजी… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 71 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) इकहतरवाँ अध्याय शुभ लग्न में यात्रासम्बन्धी मङ्गलकृत्य करके श्रीकृष्ण का मथुरापुरी को प्रस्थान श्रीनारायण कहते हैं — नारद! जब वायु से सुवासित, चन्दननिर्मित और फूलों से बिछी हुई शय्या पर राधिकाजी सो गयीं तथा गोपिकाएँ भी गाढ़ निद्रा में निमग्न हो गयीं,… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 70 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) सतरवाँ अध्याय अक्रूरजी के शुभ स्वप्न तथा मङ्गलसूचक शकुन का वर्णन, उनका रासमण्डल और वृन्दावन का दर्शन करते हुए नन्दभवन में जाना, नन्द द्वारा उनका स्वागत-सत्कार, उन्हें श्रीकृष्ण के विविध रूपों में दर्शन, उनके द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति तथा श्रीकृष्ण को मथुरा… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 69 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) उनहत्तरवाँ अध्याय श्रीराधा के सो जाने पर ब्रह्मा आदि देवताओं का आना और स्तुति करके श्रीकृष्ण को मथुरा जाने के लिये प्रेरित करना, श्रीकृष्ण का जाना, श्रीराधा का उठना और प्रियतम के लिये विलाप करके मूर्च्छित होना, श्रीकृष्ण का लौटकर आना, रत्नमाला… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 68 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) अड़सठवाँ अध्याय श्रीकृष्ण को व्रज में जाते देख राधा का विलाप एवं मूर्च्छा, श्रीहरि का उन्हें समझाना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! पुरातन परमेश्वर श्यामसुन्दर श्रीकृष्ण ने पुष्प-शय्या से उठकर निद्रा में निमग्न हुई अपनी प्राणोपमा प्रियतमा श्रीराधा को तत्काल ही जगाया… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 67 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) सड़सठवाँ अध्याय श्रीकृष्ण के बिना अपनी दयनीय स्थिति का चित्रण करना, श्रीकृष्ण का उन्हें सान्त्वना देना और आध्यात्मिक योग का श्रवण कराना तब राधा बोलीं — श्यामसुन्दर! जब मैं आपके साथ रहती हूँ, तब हर्ष से खिल उठती हूँ और आपके बिना… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 66 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) छियासठवाँ अध्याय श्रीराधा का श्रीकृष्ण को अपने दुःस्वप्न सुनाना श्रीनारायण कहते हैं — उसी दिन राधा ने रात्रि में बड़े बुरे सपने देखे । उन्होंने उठकर श्रीकृष्ण से कहा । राधिका बोली — प्रभो ! मैं रत्नसिंहासन पर रत्नमय छत्र धारण किये… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 65 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) पैंसठवाँ अध्याय भगवद्दर्शन की सम्भावना से अक्रूर के हर्षोल्लास एवं प्रेमावेश का वर्णन श्रीनारायण कहते हैं — नारद! कंस की बात सुनकर धर्मात्माओं में श्रेष्ठ शान्तस्वरूप अक्रूर के मन में बड़ी प्रसन्नता हुई; वे शान्तस्वभाव उद्धव से बोले । अक्रूर ने कहा… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 64 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) चौंसठवाँ अध्याय पुरोहित सत्यक का अरिष्ट-शान्ति के लिये धनुर्यज्ञ का अनुष्ठान बताना, कंस का नन्दनन्दन को शत्रु बताना और उन्हें व्रज से बुलाने के लिये वसुदेवजी को प्रेरित करना, वसुदेवजी के अस्वीकार करने पर अक्रूर को वहाँ जाने की आज्ञा देना, ऋषिगण… Read More