June 29, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 186 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ एक सौ छियासीवाँ अध्याय दशमी तिथि के व्रत दशमीव्रतं अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ! अब मैं दशमी सम्बन्धी व्रत के विषय में कहता हूँ, जो धर्म-कामादि की सिद्धि करनेवाला है। दशमी को एक समय भोजन करे और व्रत के समाप्त होने पर दस गौओं और स्वर्णमयी प्रतिमाओं का दान करे। ऐसा करने से मनुष्य ब्राह्मण आदि चारों वर्णों का अधिपति होता है ॥ १-२ ॥’ ॥ इस प्रकार आदि आग्नेय महापुराण में ‘दशमी के व्रतों का वर्णन’ नामक एक सौ छियासीवां अध्याय पूरा हुआ ॥ १८६ ॥ अग्निपुराणम् षडशीत्यधिकशततमोऽध्यायः दशमीव्रतानि ॥ अग्निरुवाच ॥ दशमीव्रतकं वक्ष्ये धर्मकामादिदायकं । दशम्यामेकभक्ताशी समाप्ते दशधेनुदः ॥ ०१ ॥ दिशश्च काञ्चनीर्दद्याद्ब्राह्मणाधिपतिर्भवेत् ॥ ०२ ॥ ॥ इत्याग्नेये महापुराणे दशमीव्रतानि नाम षडशीत्यधिकशततमोऽध्यायः ॥ १८६ ॥ Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe