December 12, 2018 | aspundir | Leave a comment भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५८ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (ब्राह्मपर्व) अध्याय – ५८ सूर्यनारायण की रथयात्रा का फल ब्रह्माजीने कहा — हे महादेव ! इस प्रकार अमित ओजस्वी भगवान् भास्कर को रथयात्रा करने वाला और दूसरे से कराने वाला व्यक्ति परार्ध वर्षों (ब्रह्माजीकी आधी आयु)तक सूर्यलोक में निवास करता है । उस व्यक्ति के कुल में न कोई दरिद्र होता है न कोई रोगी । सूर्यभगवान् के अभ्यङ्ग के लिये घी समर्पण करने वाले तथा अनेक प्रकार का तिलक करने वाले व्यक्ति को सूर्यलोक प्राप्त होता है। गङ्गा आदि तीर्थों से जल लाकर जो सूर्यनारायण को स्नान कराता है, वह वरुणलोक में निवास करता करता हैं । लाल रंग का भात और गुड़ का नैवेद्य समर्पित करने वाला व्यक्ति प्रजापति लोक को प्राप्त करता है । भक्तिपूर्वक सूर्यनारायण को स्नान कराकर पूजन करनेवाला व्यक्ति सूर्यलोक में निवास करता है । जो व्यक्ति सूर्यदेव को रथपर चढ़ाता है, रथ के मार्ग को पवित्र करता और पुष्प, तोरण, पताका आदि से अलंकृत करता है, वह वायुलोक में निवास करता है। जो व्यक्ति नृत्य-गीत आदि के द्वारा वृहद् उत्सव मनाता है, वह सूर्यलोक को प्राप्त करता है । जब सूर्यदेव रथपर विराजमान होते हैं, उस दिन जागरण करनेवाला पुण्यवान् व्यक्ति निरन्तर आनन्द प्राप्त करता है । जो व्यक्ति भगवान् सूर्य को सेवा आदि के लिये व्यक्ति को नियोजित करता है, वह सभी कामनाओं को प्राप्तकर सूर्यलोक में निवास करता है । रथारूढ भगवान् सूर्य का दर्शन रथ करना बड़े ही सौभाग्य की बात है । जब रथ की यात्रा उत्तर अथवा दक्षिण दिशा की ओर होती है, उस समय दर्शन करने वाला व्यक्ति धन्य है । जिस दिन रथयात्रा हो, उसके साल भर बाद उसी दिन पुनः रथयात्रा करनी चाहिये । यदि वर्ष के बाद यात्रा न करा सके तो बारहवें वर्ष अतिशय उत्साह के साथ उत्सव सम्पन्न कर यात्रा सम्पन्न करानी चाहिये । बीचमें यात्रा नहीं करनी चाहिये । इसी प्रकार इन्द्रध्वज के उत्सवमें भी यदि विघ्न हो जाय तो बारहवें वर्ष में ही उसे सम्पन्न करना चाहिये । जो व्यक्ति रथयात्रा की व्यवस्था करता है, वह इन्द्रादि लोकपाल के सायुज्य को प्राप्त करता है । यात्रा में विप्न करने वाले व्यक्ति मंदेह जाति के राक्षस होते हैं । सूर्यनारायण की पूजा किये बिना जो अन्य देवताओं की पूजा करता है, वह पूजा निष्फल है । रथयात्रा के समय जो सूर्यनारायण का दर्शन करता है, वह निष्पाप हो जाता है । षष्ठी, सप्तमी, पूर्णिमा, अमावास्या और रविवार के दिन दर्शन करने से बहुत पुण्य होता है । आषाढ़, कार्तिक और माघ की पूर्णिमा को दर्शन करने से अनन्त पुण्य होता है। इन तीन मासों में भी रथयात्रा करनी चाहिये । इनमें भी कार्तिक (कार्तिक-पूर्णिमा)- को विशेष फलदायक होने से महाकार्तिकी कहा गया है । इन समयों में उपवासकर जो भक्तिपूर्वक भगवान् सूर्य की पूजा करता है, वह सद्गति को प्राप्त करता है । संसारपर अनुग्रह करने के लिये प्रतिमा में स्थित होकर सूर्यदेव स्वयं पूजन ग्रहण करते हैं । जो व्यक्ति मुण्डन कराकर स्नान, जप, होम, दान आदि करता है, वह दीक्षित होता है । सूर्यभक्त को अवश्य ही मुण्डन कराना चाहिये । जो व्यक्ति इस प्रकार दीक्षित होकर सूर्यनारायण की आराधना करता है, वह परम गति को प्राप्त करता है । महादेवजी ! इस रथयात्रा के विधान का मैंने वर्णन किया । इसे जो पढ़ता है, सुनता है, वह सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है और विधिपूर्वक रथयात्रा का सम्पादन करनेवाला व्यक्ति सूर्यलोक को जाता है। (अध्याय ५८) See Also :- 1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२ 2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3 3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४ 4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५ 5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६ 6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७ 7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९ 8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५ 9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६ 10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७ 11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८ 12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९ 13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २० 14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१ 15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२ 16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३ 17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६ 18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७ 19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८ 20. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २९ से ३० 21. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३१ 22. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३२ 23. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३३ 24. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३४ 25. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३५ 26. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३६ से ३८ 27. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३९ 28. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४० से ४५ 29. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४६ 30. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४७ 31. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४८ 32. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४९ 33. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५० से ५१ 34. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५२ से ५३ 35. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५४ 36. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५५ 37. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५६-५७ Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe