भ॰ गहिनीनाथ परम्परा के शाबर मन्त्र
१॰ “ॐ निरञ्जन जट-स्वाही तरङ्ग ह्राम् ह्रीम् स्वाहा”
२॰ “ॐ रा रा ऋतं रौभ्यं स्तौभ्यं रिष्टं तथा भगम्।
धियं च वर्धमानाय सूविर्याय नमो नमः।।”
विधि-
नित्य प्रातःकाल स्नान के बाद उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें। ऐसा ८ दिन करने से मन्त्र सिद्ध होते हैं। बाद में नित्य २७ बार जप करें। इससे सभी संकट, क्लेश दूर होते हैं।

Please follow and like us:
Pin Share

One comment on “भ॰ गहिनीनाथ परम्परा के शाबर मन्त्र

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.