August 28, 2015 | Leave a comment महामृत्युञ्जयस्तोत्रम् विनियोग- ॐ अस्य श्री महा-मृत्युञ्जय-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीमार्कण्डेय ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीमृत्युञ्जयो देवता, गौरी शक्तिः, मम सर्वारिष्ट-समस्त-मृत्यु-अपमृत्यु-शान्त्यर्थं च जपे विनियोगः। ऋष्यादि-न्यास- श्रीमार्कण्डेय ऋषये नमः शिरसि। अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे। श्रीमृत्युञ्जयो देवतायै नमः हृदि। गौरी शक्तये नमः नाभौ। मम सर्वारिष्ट-समस्त-मृत्यु-अपमृत्यु-शान्त्यर्थं च जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे। ध्यान- चन्द्रार्काग्नि-विलोचनं स्मित-मुखं पद्म-द्वयान्तः-स्थितम्। मुद्रा-पाश-मृगाक्ष-सूत्र-विलसत्पाणिं हिमांशु-प्रभम् | कोटीन्दु-प्रगलत्सुधाऽऽप्लुत-तनुं हारादि-भूषोज्ज्वलं कान्तं विश्व-विमोहनं पशुपतिं मृत्युञ्जयं भावयेत् || ।।मूल-स्तोत्र।। ॐ रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नील-कण्ठमुमापतिम् | नमामि शिरसा देवं, किं नो मृत्युः करिष्यति || १|| नील-कन्ठं काल-मूर्त्तिं कालज्ञं काल-नाशनम् | नमामि शिरसा देवं, किं नो मृत्युः करिष्यति || २|| नील-कण्ठं विरूपाक्षं निर्मलं निलय-प्रदम् | नमामि शिरसा देवं, किं नो मृत्युः करिष्यति || ३|| वामदेवं महा-देवं लोक-नाथं जगद्गुरुम् | नमामि शिरसा देवं, किं नो मृत्युः करिष्यति || ४|| देवदेवं जगन्नाथं देवेशं वृषभ-ध्वजम् | नमामि शिरसा देवं, किं नो मृत्युः करिष्यति || ५|| त्र्यक्षं चतुर्भुजं शान्तं जटामकुटधारिणम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || ६|| भस्मोद्धूलितसर्वाङ्गं नागाभरणभूषितम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || ७|| अनन्तमव्ययं शान्तं अक्षमालाधरं हरम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || ८|| आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपददायिनम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || ९|| अर्द्धनारीश्वरं देवं पार्वतीप्राणनायकम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || १०|| प्रलयस्थितिकर्त्तारमादिकर्त्तारमीश्वरम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || ११|| व्योमकेशं विरूपाक्षं चन्द्रार्द्धकृतशेखरम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || १२|| गङ्गाधरं शशिधरं शङ्करं शूलपाणिनम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || १३|| अनाथः परमानन्तं कैवल्यपदगामिनि | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || १४|| स्वर्गापवर्ग-दातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारणम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || १५|| कल्पायुर्द्देहि मे पुण्यं यावदायुररोगताम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || १६|| शिवेशानां महादेवं वामदेवं सदाशिवम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || १७|| उत्पत्ति-स्थिति-संहार-कर्तारमीश्वरं गुरुम् | नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति || १८|| ।। फलश्रुति।। मार्कण्डेयकृतं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसन्निधौ | तस्य मृत्युभयं नास्ति नाग्निचौरभयं क्वचित् || १९|| शतावर्त्तं प्रकर्तव्यं संकटे कष्टनाशनम् | शुचिर्भूत्वा पथेत्स्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम् || २०|| मृत्युञ्जय महादेव त्राहि मां शरणागतम् | जन्ममृत्युजरारोगैः पीडितं कर्मबन्धनैः || २१|| तावकस्त्वद्गतः प्राणस्त्वच्चित्तोऽहं सदा मृड | इति विज्ञाप्य देवेशं त्र्यम्बकाख्यमनुं जपेत् || २३|| नमः शिवाय साम्बाय हरये परमात्मने | प्रणतक्लेशनाशाय योगिनां पतये नमः || २४|| || इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे मार्कण्डेयकृत महामृत्युञ्जयस्तोत्रं संपूर्णम् || Related