September 15, 2015 | aspundir | Leave a comment यात्रा से जुड़े शकुन ‘यथा सुराणां प्रवरो मुरारिर्गंगा नदीनां द्विपदां च विप्रः । तथा प्रधानः शकुनः प्रदिष्टो वाक्यम्भवो गर्ग पराशराद्यैः ।।’ जिस प्रकार सभी देवताओं में विष्णु श्रेष्ठ है, नदियों में गंगा श्रेष्ठ है, सभी द्विपदों में ब्राह्मण श्रेष्ठ है, उसी प्रकार ‘शकुन’ भी सब सूचक पदार्थों में प्रधान है । यह गर्ग, पाराशर आदि आचार्यों का कथन है । अन्य जन्मान्तरकृतं कर्म पुसांशुभाशुभम् । यत्तस्य शकुनः पाकं निवेदयति गच्छताम् ।। (वाराही संहिता) मनुष्यों के पूर्वजन्म में जो शुभ-अशुभ कर्म किए है, गमन के समय पक्षी आदि उस कर्म के पाक को प्रकाशित करते हैं, यही शकुन है । शकुन-शास्त्र में विभिन्न शकुनों का उल्लेख मिलता है । यहाँ कुछ मंगलकारी एवं अमंगलकारी शकुनों को वर्णित किया जा रहा है – १॰ यदि प्रस्थान के समय कोई लड़की, प्रस्थान की जाने वाली दिशा की ओर से सुन्दर एवं सौम्य रुप से भरा हुआ कलश लिए तथा बच्चे को लिए हुए आ रही हो, तो जिस उद्देश्य से यात्रा की जा रही है, वह निश्चित ही पूर्ण होती है । २॰ यदि यात्रा प्रारम्भ करते समय नग्न व्यक्ति या साधु सामने से आता हुआ दिखे और वह अपने शरीर को देखता हुआ चल रहा हो, तो उस यात्रा में भय, शोक एवं कष्ट मिलता है । ३॰ यदि यात्रा प्रारम्भ करते समय काला एवं बड़ा ग्राम शूकर (सुअर- Pig) सामने आ जाए, तो उस यात्रा में भय, शोक एवं कष्ट मिलता है । ४॰ यदि प्रस्थान के समय सामने से वही पक्षी आ जाए, जिसके विषय में मन में सोच हो अथवा ताजा मांस दिखे या कीचड़ में खड़ा हुआ सुअर दिख जाएँ अथवा बनी हुई मछली, पका फल या तैयार शराब दिख जाए तो कार्य में सफलता मिलती है । ५॰ चलते समय वाहन की खराबी धन-हानि की सूचक है । वाहन का नष्ट हो जाना या खो जाना स्व-शरीर की हानि का सूचक है । ६॰ चलते समय आँसू दिखने से अनेक दुःखों एवं शोकों का अनुभव होता है और चलते समय कलह होने से मार्ग में प्रयोज्य सामग्री की हानि होती है । ७॰ यदि प्रस्थान के समय सामने से हाथी आता हुआ दिखे, तो व्यक्ति को अपने कार्य में सफलता मिलती है । ८॰ यदि चलते समय बायाँ अंग फड़कने लगे, तो उसे अत्यन्त अशुभकारी माना जाता है और यदि दायाँ अंग फड़कने लगे तो बहुत शुभकर रहता है । ९॰ यदि प्रस्थान के समय बैल अचानक ही सामने आ जाए अथवा चकोर, खंजन, काकोलक, हारीत या चाप (नीलकंठ) पक्षी दिख जाए, तो शुभ फल प्राप्त होते हैं । १०॰ यदि हम किसी कार्य से घर से निकलें और सामने गाय अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई दिखे, तो यह शकुन जिस उद्देश्य से आप जा रहे हैं, उसके पूरा होने की सूचना देते हैं । ११॰ घर से प्रस्थान करते समय यदि सामने से कोई खाली घड़ा लेकर आ जाए, तो कार्य असफल रहता है । लेकिन यदि कुएं की ओर पानी भरने जा रहा है, तो उसे अशुभ नहीं माना जाता है । १२॰ प्रस्थान के समय छींक यदि सामने की तरफ से हो तो अनिष्टकारी होती है । स्वयं की छींक अत्यन्त अशुभ होती है । यदि सामने से गाय छींक दे, तो यात्रा में मृत्यु-तुल्य कष्ट होता है । १३॰ सन्मुख साँप का आना यात्रा के लिए जाने वाले को कष्टकारी रहता है । बाँयीं ओर से आना भी यात्रा को कष्टमय होने की सूचना देता है । १४॰ यदि यात्रा के समय कुत्ता यात्री का पाँव चाटें, कान फटफड़ाये, ऊपर दौड़ें तो यात्रा में विघ्न आता है । यदि कुत्ता अपने अंगों को खुजलावे, तो भी ठीक नहीं होता है । १५॰ एक या अधिक कु्त्ते इकठ्ठे होकर गावव के बीच में बीच में सूर्योदय के समय सूर्य की ओर मुख करके रोवें, तो उस गाँव के मुखिया का अरिष्ट होता है । मध्याह्न के समय रोना अग्नि-भय और मृत्यु-भय प्रकट करता है । सूर्यास्त के समय सूर्य की ओर मुख करके रोना किसानों के अशुभ की सूचना देता है । १६॰ गायों के साथ कुत्ते का खेलना अच्छी फसल, आनन्द एवं निरोगता की सूचना वहाँ के लोगों को देती है । १७॰ यदि किसी ग्राम या नगर के कुत्ते समूह में बार-बार शब्द करें, तो अनिष्ट की सूचना देते हैं । १८॰ रात्रि में गौ का बिना कारण के शब्द करना भय का कारण होता है, परन्तु बैल का शब्द मंगलकारी माना गया है । १९॰ यदि कौए किसी व्यक्ति के चारों ओर घुमें, तो उस व्यक्ति को भयकारी होता है । सामान्यतः कौवे रात्रि में नहीं बोलते हैं, यदि वे रात्रि में बोलने लगें, तो वहाँ के निवासियों को अशुभता की सूचना देते हैं । २०॰ यदि कौए अकारण ही किसी भवन के ऊपर इकठ्ठे होकर आवाज करें, तो यह उस भवन में रहने वालों को किसी अनिष्ट की सूचना देते हैं । २१॰ सियारी (गीदड़ी) का रोना अत्यन्त अशुभ माना गया है, यदि यह शाम के समय किसी गाँव या शहर की सीमा पर तीन दिन तक रोज बोलती रहे, तो वहाँ के रहवासियों को कष्टों के आगमन की सूचना देती है । Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe