विविध फल-दायिनी श्रीचित्रसेन-साधना
मन्त्रः-
“क्लीं राजन् गन्धर्व-गगनाश्रय-चित्रसेन ! कन्यां प्रयच्छ मे स्वाहा ।”
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीचित्रसेन-मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः । विराट् छन्दः । गन्धर्व-प्रवर-श्रीचित्रसेन देवता । अभीष्ट-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि-न्यासः- ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसि । विराट् छन्दसे नमः मुखे । गन्धर्व-प्रवर-श्रीचित्रसेन देवतायै नमः हृदि । अभीष्ट-सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।

षडङ्ग-न्यास  कर-न्यास अंग-न्यास
क्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः
राजन् तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा
गन्धर्व मध्यमाभ्यां नमः शिखायै वषट्
गगनाश्रय अनामिकाभ्यां नमः कवचाय हुं
चित्रसेन कनिष्ठिकाभ्यां नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्
कन्यां प्रयच्छ मे स्वाहा करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट्

ध्यानः-
द्वादश-स्त्री-परिवृतं सुर-संघ-पुरस्सरम् ।
कामदं चित्र-सेनाख्यं, कन्या-दान-सुदीक्षीतम् ।।
वन्दे गन्धर्व-राजानं, मणि-माला-विभूषितम् ।
सुधर्माधिष्ठितं नित्यं, शुद्ध-चामीकर-प्रभम् ।।
उक्त ध्यान कर मानसिक-पूजन कर जप करें । पूर्व-सेवा (पुरश्चरण) की आवश्यकता नहीं है । सीधे ‘प्रयोग’ किए जा सकते हैं ।
१॰ छः मास तक, नित्य १०८ ‘जप’ करने से अभीष्ट कन्या की प्राप्ति होती है ।
२॰ नित्य लाजा और पुष्पों से २२ बार ‘हवन’ और १२ बार ‘तर्पण’ करें, तो सुन्दर कन्या की प्राप्ति होती है ।
३॰ बच, पिप्पली (लैड़ी पीपर) और निर्गुण्डी (सम्हालू की जड़) – सभी सम-भाग लेकर, शुभ दिन उक्त मन्त्र से ८०० बार अभिमन्त्रित कर सेवन करने वाला गान-विद्या में निपुण हो जाता है ।
४॰ दस दिनों तक गो-घृत को १०८ बार उपर्युक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करके पीने-वाला गन्धर्व के समान सुन्दर रुपवाला हो जाता है ।
५॰ सोमवार या गुरुवार को घी के साथ जिस रंग के पुष्पों से ५०० बार उक्त मन्त्र से ‘हवन’ किया जाता है, साधक को उसी रंग के कपड़े मिलते हैं ।
६॰ सोमवार के दिन विनायक (गणेश) पूजन करके, उत्तराभिमुख होकर, उक्त मन्त्र का ८०० जप करके, दूध से ४०० बार हवन करें और बचे हुए दूध को पी जाए तो साधक की वाणी नदी के समान वेगवती हो जाती है ।

Please follow and like us:
Pin Share

Discover more from Vadicjagat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

One comment on “विविध फल-दायिनी श्रीचित्रसेन-साधना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.