श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-14 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-14 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-चतुर्दशोऽध्यायः चौदहवाँ अध्याय श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण की महिमा श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण-श्रवणफलवर्णनम् सूतजी बोले — पराम्बा देवी के मुखकमल से वेद- सिद्धान्त का बोधक जो आधा श्लोक 1 निकला था और जिसका उपदेश स्वयं देवी ने वट-पट पर शयन करने वाले विष्णु को किया था,… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-13 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-13 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-त्रयोदशोऽध्यायः तेरहवाँ अध्याय राजा जनमेजय द्वारा अम्बा यज्ञ और श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण का माहात्म्य जनमेजयेनाम्बामखकरण-देवीभागवतश्रवणपूर्वकं स्वपित्रुद्धारवर्णनम् व्यासजी बोले — हे राजन् ! हे अनघ ! आपने मुझसे जो-जो पूछा था, वह मैंने आपको बता दिया, जिसे पूर्व में नारायण ने महात्मा नारद… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-12 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-12 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-द्वादशोऽध्यायः बारहवाँ अध्याय भगवती जगदम्बा के मण्डप का वर्णन तथा मणिद्वीप की महिमा मणिद्वीपवर्णनम् व्यासजी बोले — त्रिकोण के मध्यभाग में भगवती जगदम्बा का वही चिन्तामणि नामक भवन विराजमान है। उसमें हजार स्तम्भों वाले चार मण्डप विद्यमान हैं ॥ १… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-11 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-11 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-एकादशोऽध्यायः ग्यारहवाँ अध्याय मणिद्वीप के रत्नमय नौ प्राकारों का वर्णन पद्मरागादिमणिविनिर्मितप्राकारवर्णनम् व्यासजी बोले — पुष्परागनिर्मित प्राकार के आगे कुमकुम के समान अरुण विग्रह वाला पद्मरागमणियुक्त प्राकार है, जिसके मध्य में भूमि भी उसी प्रकार की है । अनेक गोपुर और… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-10 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-10 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-दशमोऽध्यायः दसवाँ अध्याय मणिद्वीप का वर्णन मणिद्वीपवर्णनम् व्यासजी बोले — [ हे महाराज जनमेजय ! ] ब्रह्मलोक से ऊपर के भाग में जो सर्वलोक सुना गया है, वही मणिद्वीप है; जहाँ भगवती विराजमान रहती हैं ॥ १ ॥ चूँकि यह… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-09 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-09 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-नवमोऽध्यायः नौवाँ अध्याय भगवती गायत्री की कृपा से गौतम के द्वारा अनेक ब्राह्मण परिवारों की रक्षा, ब्राह्मणों की कृतघ्नता और गौतम के द्वारा ब्राह्मणों को घोर शाप-प्रदान ब्राह्मणादीनां गायत्रीभिन्नान्यदेवोपासनाश्रद्धाहेतुनिरूपणम् व्यासजी बोले — हे विभो ! एक समय की बात है,… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-08 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-08 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-अष्टमोऽध्यायः आठवाँ अध्याय देवताओं का विजयगर्व तथा भगवती उमा द्वारा उसका भंजन, भगवती उमा का इन्द्र को दर्शन देकर ज्ञानोपदेश देना पराशक्तेराविर्भाववर्णनम् जनमेजय बोले — सम्पूर्ण शास्त्रवेत्ताओं में श्रेष्ठ तथा समस्त धर्मों को जानने वाले हे भगवन् ! सभी द्विजातियों… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-07 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-07 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-सप्तमोऽध्यायः सातवाँ अध्याय दीक्षाविधि मन्त्रदीक्षाविधिवर्णनम् नारदजी बोले — [हे भगवन् ! ] मैंने यह श्रीगायत्रीदेवी का सहस्रनाम संज्ञक श्रेष्ठ फल प्रदान करने वाला, महान् उन्नति की प्राप्ति कराने वाला तथा महान् भाग्योदय करने वाला स्तोत्र सुन लिया। अब मैं दीक्षा… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-06 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-06 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-षष्ठोऽध्यायः छठा अध्याय गायत्रीसहस्त्रनाम स्तोत्र तथा उसके पाठ का फल गायत्रीसहस्रनामस्तोत्रवर्णनम् नारदजी बोले — सभी धर्मों को जानने वाले तथा सभी शास्त्रों में निष्णात हे भगवन्! मैंने आपके मुख से श्रुतियों, स्मृतियों तथा पुराणों से सम्बद्ध सभी प्रकार के पापों… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-05 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-05 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-पञ्चमोऽध्यायः पाँचवाँ अध्याय गायत्री स्तोत्र तथा उसके पाठ का फल श्रीगायत्रीस्तोत्रवर्णनम् नारदजी बोले — हे भक्तों पर अनुकम्पा करने वाले ! हे सर्वज्ञ ! आपने पापों का नाश करने वाले गायत्रीहृदय का तो वर्णन कर दिया; अब गायत्री-स्तोत्र का कथन… Read More