मृत्युञ्जय कवच मृत्युञ्जय-कवच विनियोगः ॐ अस्य मृत्युञ्जयकवचस्य वामदेव ऋषिः गायत्रीछन्दः मृत्युञ्जयो देवता साधकाभीष्टसिद्धयर्थं जपे विनियोग। ऋष्यादि-न्यासः वामदेव ऋषये नमः शिरसि, गायत्रीछन्दसे नमः मुखे, मृत्युञ्जयो देवतायै नमः हृदि, साधकाभीष्टसिद्धयर्थं जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे। करहृदयादि-न्यासः- ॐ जूं सः (इस मन्त्र से सभी न्यास करें) ध्यानः हस्ताभ्यां कलश-द्वयामृत-रसैराप्लावयन्तं शिरो, द्वाभ्यां तौ दधतं मृगाक्ष-वलये द्वाभ्यां वहन्तं परम्। अङ्क-न्यस्त-कर-द्वयामृत-घटं कैकाश-कान्तं शिवम्, स्वच्छाम्भोज-गतं… Read More
मृत-सञ्जीवनी-कवचम् श्रीमहादेव-प्रोक्तं-मृत-सञ्जीवनी-कवचम् ।। पूर्व-पीठिका ।। एवमाराध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयमहेश्वरं । मृतसञ्जीवनं नाम्ना कवचं प्रजपेत् सदा ॥१॥ सारात् सार-तरं पुण्यं गुह्याद्गुह्यतरं शुभं । महादेवस्य कवचं मृतसञ्जीवनामकं ॥ २॥ समाहित-मना भूत्वा श्रृणुष्व कवचं शुभं । श्रृत्वैतद्दिव्य कवचं रहस्यं कुरु सर्वदा ॥३॥ विनियोगः- ॐ अस्य श्रीमृतसञ्जीवनीकवचस्य श्री महादेव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमृत्युञ्जयरुद्रो देवता ॐ बीजं, जूं शक्तिः, सः कीलकम्… Read More
अर्जुन-कृत श्रीदुर्गा-स्तवन श्री अर्जुन-कृत श्रीदुर्गा-स्तवन विनियोग – ॐ अस्य श्रीभगवती दुर्गा स्तोत्र मन्त्रस्य श्रीकृष्णार्जुन स्वरूपी नर नारायणो ऋषिः, अनुष्टुप् छन्द, श्रीदुर्गा देवता, ह्रीं बीजं, ऐं शक्ति, श्रीं कीलकं, मम अभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः। ऋष्यादिन्यास- श्रीकृष्णार्जुन स्वरूपी नर नारायणो ऋषिभ्यो नमः शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीदुर्गा देवतायै नमः हृदि, ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये, ऐं शक्त्यै नमः पादयो,… Read More
श्री शिव-शत-नाम श्री शिव-शत-नाम ।। पूर्व-पीठिका ।। ।। श्री देव्युवाच ।। देव-देव महादेव ! संसारार्णवतारक ! शिव-लिंगार्चनं देव ! कृपया कथय प्रभो ! ।। श्री शंकर उवाच ।। श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, यन्मत्त्वं परि-पृच्छसि । मम नाम-शतं चैव, कलौ पुण्य-फल-प्रदम् ।। यस्य स्मरण-मात्रेण, संसारान्मुच्यते नरः ।। अति गुह्यं महा-पुण्यं, यव स्नेहात् प्रकाशितं । गोपनीयं प्रयत्नेन, न प्रकाश्यं… Read More
सौभाग्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्र सौभाग्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्र किसी भी श्रद्धा-विश्वास-युक्त स्त्री के द्वारा स्नानादि से शुद्ध होकर सूर्योदय से पहले नीचे लिखे मन्त्र की १० माला प्रतिदिन जप किये जाने से घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है तथा उसका सौभाग्य बना रहता है। किसी शुभ दिन जप का आरम्भ करना चाहिये तथा प्रतिवर्ष चैत्र और आश्विन के नवरात्रों में विधिपूर्वक… Read More
त्रैलोक्य मंगल सूर्य कवच ।। त्रैलोक्य मंगल सूर्य कवच।। ।।पूर्व पीठीका: श्री सूर्योवाच।। साम्ब साम्ब महाबाहो ! श्रृणु मे कवचं शुभम्। त्रैलोक्य मंगलं नाम, कवचं परमाद्भुतम्।। यद् ज्ञात्वा मन्त्र वित् सम्यक्, फलं निश्चितम्। यद् धृत्वा च महा देवो, गणानामधिपोऽभवत्।। पठनाद्धारणाद्विष्णुः, सर्वेषां पालकः सदा। एवमिन्द्रादयः सर्वे, सर्वैश्वर्यमवाप्रुवन्।। विनियोग:- ॐ अस्य श्रीसूर्य कवस्य ब्रह्मा ऋषि, अनुष्टुप छन्दः, सर्वदेव नमस्कृत श्रीसूर्योदेवता, यशारोग्य… Read More
एकादशमुखी हनुमान कवच एकादशमुखी हनुमान कवच ।। श्रीगणेशाय नम: ।। ।। लोपामुद्रोवाच ।। कुम्भोद्भवदया सिन्धो श्रुतं हनुमंत: परम् । यंत्रमंत्रादिकं सर्वं त्वन्मुखोदीरितं मया ।।१।। दयां कुरु मयि प्राणनाथ वेदितुमुत्सहे । कवचं वायुपुत्रस्य एकादशखात्मन: ।।२।। इत्येवं वचनं श्रुत्वा प्रियाया: प्रश्रयान्वितम् । वक्तुं प्रचक्रमे तत्र लोपामुद्रां प्रति प्रभु: ।।३।। ।। अगस्त उवाच ।। नमस्कृत्वा रामदूतं हनुमन्तं महामतिम् । ब्रह्मप्रोक्तं तु… Read More
एक-मुखी-हनुमत्-कवचम् एक-मुखी-हनुमत्-कवचम् यह कवच भोजपत्र के ऊपर, ताड़पत्र पर या लाल रंग के रेशमी वस्त्र पर त्रिगन्ध की स्याही से लिखकर कण्ठ या भुजा पर धारण करना चाहिये । इसे त्रिलोह के ताबीज में भर कर धारण करना लाभकारी रहता है । रविवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर इसका पाठ करने से धन… Read More
अभीष्ट फल-दायक सदा-शिव-कवच अभीष्ट फल-दायक सदा-शिव-कवच भगवान् शिव का प्रस्तुत कल्याणकारी कवच अत्यन्त छोटा है और प्रायः अनुभूत है । आशा है, भक्त-जन इसका प्रातः-काल नित्य-पाठ कर इससे लाभ उठाएँगे । इस कवच के पाठ से सभी कामनाओं की पूर्ति एवं सर्व प्रकार से रक्षा होती है । ।।श्रीदेवी उवाच।। भगवन् देव-देवेश ! सर्वाम्नाय-प्रपूजित! सर्वं मे कथितं देव… Read More
अमोघ शिव कवच अमोघ शिव कवच भगवान् शङ्कर का नाम लेने से ही प्राणियों के सब दुःख दूर हो जाते हैं, फिर उनकी विधिवत् उपासना करने से क्या नहीं हो सकता ! निश्चय ही भगवान् शिव की पूजा करके लोग अपना सभी प्रकार का हित साधन कर सकते हैं । यहाँ श्रीस्कन्द-पुराण के ब्रह्मोत्तर खण्ड में ‘भद्रायु’ को… Read More