।। अथ नवार्ण-मन्त्र जप विधानम् ।। “मन्त्र-महोदधि” व “श्रीदुर्गाकल्पतरु” में मन्त्र का उद्धार इस प्रकार है – ‘अथ नवाक्षरं मन्त्रं वक्ष्ये चण्डी-प्रवृत्तये । वाङ्-माया मदनो दीर्घा लक्ष्मीस्तन्द्री श्रुतीन्दु-युक्। डायै सदृग्-जलं कूर्म-द्वयं झिण्टीश-संयुतं – “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” ।’ “मन्त्र-महार्णव” में उद्धार में प्रणव का उल्लेख नहीं है, किन्तु स्पष्ट मन्त्र को “ॐ” सहित दिया… Read More