भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व चतुर्थ – अध्याय ६ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — चतुर्थ भाग) अध्याय ६ दिल्ली नगर पर पठानों का आसन और तैमूरलंग का उत्पात महर्षि शौनक बोले — मुनिश्रेष्ठ ! (पृथ्वीराज) के पश्चात् कौन-कौन राजा हुए । महाभाग ! इसे हमें बताने की कृपा करें, क्योंकि… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व चतुर्थ – अध्याय ५ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — चतुर्थ भाग) अध्याय ५ भगवान् से चारों वर्णों की उत्पत्ति, चारों युगों में भगवान् के अवतारों एवं युगों के मनुष्यों की आयु का निरुपण सूतजी बोले— अव्यक्तजन्मा ब्रह्मा के मध्याह्न काल के समय चाक्षुषान्तर (मन्वन्तर) —में… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व चतुर्थ – अध्याय ४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — चतुर्थ भाग) अध्याय ४ परिहारवंश और बंगाल के शूरवंश आदि का वर्णन सूत जी बोले — भृगुवर्य ! मैं परिहार वंश का वर्णन करता हूँ, सुनो ! अथर्ववेद के पारायण करने वाले उस राजा परिहर ने… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व चतुर्थ – अध्याय ३ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — चतुर्थ भाग) अध्याय ३ ब्राह्मणों की उत्पत्ति के प्रसंग में शुक्लवंश एवं उसके आगे होनेवाले विभिन्न क्षत्रियवंशों का वर्णन सूत जी बोले — विप्रवर ! मैं शुक्लवंश का आरम्भ से वर्णन कर रहा हूँ, सुनो !… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व चतुर्थ – अध्याय २ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — चतुर्थ भाग) अध्याय २ राजपूताना तथा दिल्ली नगर के राजवंश का इतिहास सूतजी बोले — मध्यप्रदेश का निवासी राजा वयहानि (चपहानि) ने अपने सिंहासनारूढ़ होने पर ब्रह्म निर्मित उस अजमेर को अपनी राजधानी बनाया । अजन्मा… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व चतुर्थ – अध्याय १ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — चतुर्थ भाग) अध्याय १ भविष्यपुराण के प्रतिसर्गपर्व के इस चतुर्थ खण्ड का इतिहास की दृष्टि से विशेष महत्व है । इसमें मुख्यरुप से सत्ययुग, त्रेता, द्वापर तथा विशेषरूपसे कलियुग के चारों चरणों का इतिहास, राजवंश और… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व तृतीय – अध्याय ३२ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — तृतीय भाग) अध्याय ३२ सूत जी बोले — (उपरोक्त घटना के समय) उदयसिंह की बत्तीसवें वर्ष की अवस्था आरम्भ थी। उस समय रानी बेला ने योगरूप धारणकर हरिनागर नामक घोड़े पर बैठकर महावती (महोबा) नगर को… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व तृतीय – अध्याय ३० ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — तृतीय भाग) अध्याय ३१ सूत जी बोले— महाभाग, विप्र ! मैं कह रहा हूँ, सुनो ! एक बार जिस समय राजा पृथ्वीराज सिंहासन पर बैठे हुए थे, उसी समय वहाँ चन्द्रभट्ट का आगमन हुआ। आये हुए… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व तृतीय – अध्याय ३० ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — तृतीय भाग) अध्याय ३० सूत जी बोले— विप्र ! जिस समय उदयसिंह आदि वीरगण चीन देश गये हुए थे, उस समय राजा कामपाल ने नकुल के अंश से उत्पन्न लक्षण (लाखन) को अपने यहाँ बुलवाया। पत्र… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व तृतीय – अध्याय २९ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — तृतीय भाग) अध्याय २९ ऋषियों ने कहा— महामुने ! आपने जिस किन्नरी नामक कन्या का नाम लिया था, वह किस स्थान में किस प्रकार उत्पन्न हुई है। कृपया विस्तार पूर्वक इसका वर्णन कीजिये । सूत जी… Read More