श्री पीताम्बरा आरती (सतत स्मरीय श्रीस्वामी जी द्वारा संस्थापित ‘श्रीपीताम्बरा-पीठ’ दतिया (म॰प्र॰) शक्ति-उपासना का आदर्श संस्थान है । वहाँ प्रति-दिन प्रातः और सायं पूर्ण विधि-विधान के साथ श्रीजगदम्बा का अर्चनादि सम्पन्न होता है । उस अवसर पर श्री-पीताम्बरा के आरार्तिक-क्रम में जो स्तुति भक्त-जनों द्वारा स-स्वर पढ़ी जाती है, वही यहाँ उद्धृत है) जय पीताम्बर-धारिणि… Read More


श्री पीताम्बरा आरती पीताम्बरि रवि कोटि, ज्योति परा-माया, माँ ज्योति परा माया । बक-मुख ज्योति महा-मुख, बहु कर पर छाया ।। वर कर अष्टादश भुज, शत भुज शत काया । माँ शत भुज शत काया । द्वि-भुज चतुर्भुज बहु-भुज, भुज-मय जग माया ।। जय देवि, जय देवि ! मणि-मण्डप वेदी, माँ, मणिपुर मणि-वेदी ।… Read More


श्री बगलामुखी तन्त्रम् बगलामुखी देवी दश महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या का नाम से उल्लेखित है । वैदिक शब्द ‘वल्गा’ कहा है, जिसका अर्थ कृत्या सम्बन्ध है, जो बाद में अपभ्रंश होकर बगला नाम से प्रचारित हो गया । बगलामुखी शत्रु-संहारक विशेष है अतः इसके दक्षिणाम्नायी पश्चिमाम्नायी मंत्र अधिक मिलते हैं । नैऋत्य व पश्चिमाम्नायी मंत्र… Read More


श्रीवगला सिद्ध शाबर मन्त्र (१) श्री वगलामुखी के निम्न मन्त्र का अयुत (दस सहस्त्र) जप करने से सिद्धि मिलती है। हल्दी, हड़ताल, मालकांगनी (ज्योतिष्मती) को कूट कर कटु-तैलाक्त निम्ब-काष्ठ, बदरी-काष्ठ या खदिर-काष्ठ की समिधा द्वारा नित्य अष्टोत्तर-शत हवन करें। अर्थात् दस माला मन्त्र-जप और एक माला से हवन किया करे। दस दिनों में अभीष्ट सिद्धि… Read More