जय जगदम्बिके ! हो रही सुशोभित लिए खड्ग-गदा-चक्र-चाप, परिधान शूल भुशुण्डि और शंख भी सुघोष हैं । नील घनश्याम रंग नेत्र हैं विशाल तीन, अंग-अंग साज रहे छवि के सु-कोष हैं ।। भक्त-जन ध्यावें जिनके कोमल चरण दस, पावें सुत बित ज्ञान मोक्ष सौं सु-पोष हैं । ऐसी महा-काली गल मुण्ड-माल धारि, करें रक्षा हमारी… Read More


हरि भजन बिना सुख नाहीं रे हरि भजन बिना सुख नाहीं रे । नर क्यों बिरथा भटकाई रे ।। काशी गया द्वारका जावे, चार धाम तीरथ फिर आवे, मन की मैल न जाई रे । हरि भजन बिना सुख नाहीं रे । छाप तिलक बहु भाँत लगाए, सिर पर जटा विभूत रमाए, हिरदे शांति न… Read More


दीन-दयालु दिवाकर देवा दीन-दयालु दिवाकर देवा । कर मुनि, मनुज, सुरासुर सेवा ।। हिम-तम-करि-केहरि करमाली । दहन दोष-दुख-दुरित-रुजाली ।।… Read More


प्रार्थना- तेरी पोर पै परयो रहूँ मेरी चित्त-वृत्ति निज चर्नन में राखो नित, दीजिए सु-भक्ति पाप-कर्म तैं डरयो रहूँ । होय कैं कृपाल मोह-जाल तैं निबेरो देवि ! पाय कैं विवेक-ज्ञान ध्यान से भरयो रहूँ ।।… Read More


माँ बगलामुखी हेम रुचिर पट पीत सरोवर, प्रकटित धन्य स्व-नाम । मन्त्र-मयी बगलामुखि वैष्णवि, शक्ति सबल बल-धाम ।। ऊपर गगन हकार धराधर, धरणी बीज ललाम । बिन्दु-मयी बगला पीठेश्वरि, ह्रींकारेश्वरि-धाम ।।… Read More


श्री बगला प्राकट्य शिव के सम्मुख पार्वती, धर कर बोली माथ । बगला की उत्पत्ति की, कथा सुनाओ नाथ ! ।। ।। शिव उवाच ।। कृत-युग के पहिले भुतल पर, वात-क्षोभ-हिन्दोल उठा । ध्रुव तारा हिल गया अचानक, जड़-चेतन भू डोल उठा ।। प्रकृति पुरातन की शाखा के, नखत नीड़-सम टूट गए । सूरज-चन्दा की… Read More


श्री पीताम्बरा जय जयति सुखदा, सिद्धिदा, सर्वार्थ-साधक शंकरी । स्वाहा, स्वधा, सिद्धा, शुभा, दुर्गा नमो सर्वेश्वरी ।। जय सृष्टि-स्थिति-कारिणी-संहारिणी साध्या सुखी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। १… Read More