श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-112 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-112 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ बारहवाँ अध्याय मयूरेश का गणों की सेना के साथ सिन्धुदैत्य पर आक्रमण करने के लिये प्रस्थान, गणों द्वारा दैत्य सिन्धु की सेना पर आक्रमण, पराजित हो सिन्धुसेना का पलायन, क्रुद्ध दैत्य सिन्धु का स्वयं भी युद्ध के लिये प्रस्थान अथः द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः मयूरेशस्य युद्धाय निश्चयः ब्रह्माजी बोले — दूसरे… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-111 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-111 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ ग्यारहवाँ अध्याय नन्दीश्वर का दैत्य सिन्धु की सभा में प्रवेश करके मयूरेश का सन्देश सुनाना, किंतु दैत्य सिन्धु के द्वारा देवताओं को मुक्त करने से मना कर देना, नन्दीश्वर का वापस लौटकर मयूरेश को सम्पूर्ण वृत्तान्त बतलाना, मयूरेश द्वारा गणों को युद्ध की आज्ञा देना अथः एकादशाधिकशततमोऽध्यायः विचारवर्णनं… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-110 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-110 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ दसवाँ अध्याय सिन्धु दैत्य द्वारा गण्डकीनगर में बन्दी बनाये गये देवताओं को लिये मयूरेश का नन्दीश्वर को वहाँ प्रेषित करना अथः दशाधिकशततमोऽध्यायः दूतप्रेषणं ब्रह्माजी बोले — प्रसन्नता में भरे हुए विजयी मयूरेश सबसे आगे चल रहे थे और उनके पीछे वे मुनिबालक जा रहे थे, और फिर वृषभ… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-109 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-109 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ नौवाँ अध्याय देवर्षि नारद से शिव-पार्वती का मयूरेश के विवाह के लिये कन्या के अन्वेषण के लिये कहना, देवर्षि नारद द्वारा सिद्धि एवं बुद्धि नामक कन्याओं को मयूरेश के योग्य बताना, शिव-पार्वती तथा ससैन्य मयूरेश का गण्डकी नगर की ओर प्रस्थान, मार्ग में हेम नामक दैत्य का ससैन्य… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-108 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-108 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ आठवाँ अध्याय पन्द्रहवें वर्ष में मयूरेश्वर द्वारा व्याघ्ररूपी दैत्य को विकृतरूप वाला बनाने की कथा तथा यमराज के गर्वापहरण का आख्यान अथः अष्टाधिकशततमोऽध्यायः रविजगर्वपरिहारं ब्रह्माजी बोले — पन्द्रहवें वर्ष में एक दिन मयूरेश बालकों के साथ पवित्र जलवाली ब्रह्मकमण्डलु (कमण्डलुभवा) नामक नदी में स्नान करने गये ॥ १… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-107 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-107 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ सातवाँ अध्याय मयूरेश्वर के चौदहवें वर्ष में मुनियों के कहने पर पार्वती का इन्द्रयाग करना, मयूरेश्वर का कल तथा विंकल नामक दैत्यों का वध और फिर इन्द्रयाग को विध्वंस करना, रुष्ट होकर इन्द्र का मयूरेशपुरवासियों तथा मयूरेशपुरी को संतप्त करना, मयूरेश्वर का सबकी रक्षा करना एवं इन्द्र का… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-106 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-106 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ छठवाँ अध्याय मयूरेश द्वारा तेरहवें वर्ष में मंगल दैत्य का वध और शिव के ललाट पर स्थित चन्द्रमा के हरण की लीला, मयूरेश का गणों का स्वामी होना अथः षडधिकशततमोऽध्यायः शिवललाटगतचन्द्रहरणं ब्रह्माजी बोले — मयूरेश के तेरहवें वर्ष की बात है, एक दिन उन मयूरेश ने निद्रा में… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-105 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-105 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ पाँचवाँ अध्याय मयूरेश की बारहवीं जन्मतिथि के महोत्सव में विष्णुभक्त ब्राह्मण विश्वदेव का वहाँ आना, पार्वती द्वारा उनका आतिथ्य, किंतु विश्वदेव द्वारा यह कहकर उनका आतिथ्य स्वीकार नहीं करना कि वे केवल विष्णु को ही भगवान् मानते हैं अन्य को नहीं, तब मयूरेश का अपनी माया द्वारा उनकी… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-104 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-104 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ चारवाँ अध्याय ब्रह्माजी द्वारा मयूरेश की स्तुति, स्तुति का माहात्म्य, ‘कमण्डलुभवा’ नामक नदी का प्राकट्य, मयूरेश की माया से ब्रह्मा का मोहित होना, मयूरेश की परीक्षा के लिये ब्रह्मा द्वारा सृष्टि का तिरोधान, मयूरेश द्वारा पुनः सृष्टि कर लेना और ब्रह्माजी को अपने विश्वरूप का दर्शन कराना अथः… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-103 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-103 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ एक सौ तीनवाँ अध्याय कमलासुर और मयूरेश का भीषण युद्ध, कमलासुर के रक्तबिन्दुओं से अनेक दैत्यों की उत्पत्ति, देवी सिद्धि-बुद्धि की सेना के सैनिकों द्वारा उन असुरों का भक्षण, मयूरेश्वर द्वारा कमलासुर का वध और मुनिगणों द्वारा की गयी मयूरेश्वर – स्तुति अथः त्र्युत्तरशततमोऽध्यायः कमलासुरवध ब्रह्माजी बोले — उस दैत्य… Read More