॥ अथ शरभेशाष्टक स्तोत्रम् ॥ कुण्डलिनी शक्ति का ध्यान करते हुये स्तोत्र का 3 बार पाठ करे । तडित्कोटि प्रतीकाशां विषतन्तु तनीयसीं । इति कुण्डलिनी ध्यात्वा ॥ विनियोगः – अस्य श्री शरभेष्टाक मंत्रस्य कालाग्निरुद्र ऋषिः, जगती छंदः, भगवान श्री शरभेश्वरो देवता, खं बीजं, स्वाहा शक्तिः, चतुर्विध पुरुषार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगः । ऋष्यादिन्यासः – कालाग्निरुद्राय ऋषये… Read More


॥ शरभहृदय स्तोत्रम् ॥ किसी भी देवता का हृदय मित्र के समान कार्य करता है, शतनाम अंगरक्षक के समान एवं सहस्रनाम सेना के समान रखा करता है अत: इनका अलग-अलग महत्व है । भूमिका के अनुसार समुन्द्र मंथन के समय विष्णु ने शरभ हृदय की २१ आवृति ३ मास तक की तब शरभराज प्रकट ने… Read More


॥ श्रीआकाशभैरव चित्रमाला मंत्र ॥ आकाशभैरव से तात्पर्य रुद्रावतार भगवान् शरभ शालुव पक्षिराज से है । शत्रूनाश हेतु यह प्रयोग किया जाता है । गुरु स्मरण एवं इष्ट-देवता-पूजन कर निम्न मन्त्र का १०८ बार पाठ करें अथवा शरभ पूजन उपरांत एक बार पाठ करे । इससे सभी कार्य सिद्ध होते हैं । साधारण कार्यों हेतु… Read More


॥ अथ शरभ मालामन्त्रम् ॥ माला विनियोग मंत्रः- अस्य मंत्रस्य कालाग्नि रुद्र ऋषिः अति जगती छन्दः श्री शरभेश्वरो देवता, खं बीजं , स्वाहा शक्तिः:, फट् कीलकं चतुर्विध पुरूषार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगः । ॥ ध्यानम् ॥ चन्द्रार्काग्निस्त्रिदृष्टि कुलिशवरनखश्चञ्चलोऽत्युग्र जिह्वः । काली दुर्गा च पक्षौ हृदय जठरगो भैरवो वाडवाग्निः ॥ ऊरूस्थौ-व्याधिमृत्युशरभवरखगरचश्चण्ड – वातातिवेगः । संहर्ता-सर्वशत्रून स जयति… Read More


शत्रु को परास्त करने का मन्त्र विधिः- उक्त मन्त्र के दो प्रकार के अनुष्ठान हैं — १ छोटा, २ बड़ा । छोटा अनुष्ठान १० दिनों का है, बड़ा अनुष्ठान एक वर्ष का । इन अनुष्ठानों से शत्रु का पराभव होता है । शत्रु को परास्त करने और उस पर विजय प्राप्त करने के लिए यह… Read More


मामदा (महम्मदा) वीर की साधना – शत्रु को घोर कष्ट  विधिः- किसी भी ग्रहणकाल में मन्त्र को सिद्ध कर ले । बाद में जब मन्त्र से काम लेना हो, तब जल-नदी या तालाब के पास जाए । नागरबेल के बड़े ‘पान’ में, जो पूजा में प्रयोग किया जाता है । थोड़ा-सा ‘अबीर’ रखकर उसे ‘गूगल’… Read More


उल्टी-सीधी बिस्मल्लाह हमजाद साधना विधिः- रात्रि में बारह बजे के बाद कुएँ में अपने पाँव लटका कर उक्त मन्त्र का ११ बार जप करे । दूसरे दिन १०० बार, तीसरे दिन १०१ बार जप करे । इसी प्रकार प्रति-दिन एक – एक संख्या बढ़ाते-बढ़ाते २१ दिनों में पूरा करे । बाद में आनेवाला दिन बाइसवाँ… Read More


शाबर मन्त्रों का प्रभाव और साधना ‘शाबर-मन्त्रों का प्रभाव अचूक होता है । इस विद्या के पितामह भगवान् दत्तात्नेय हैं । भगवान् दत्तावेय ने भगवान् मत्स्येन्द्रनाथ, गोरक्षनाथ आदि नव-नाथों को यह विद्या बताई थी । आदि-शङ्कराचार्य ने भी तपस्या करके ‘शाबरी माता’ का आशीर्वाद प्राप्त किया था । ‘नवनाथ-पन्थ’ में ‘शाबर’ – मन्त्रों को ही… Read More


साधना-रक्षक मन्त्र-प्रयोग मन्त्र – “ॐ नमो सर्वार्थ-साधिनी स्वाहा ।” विधि–उक्त ११ अक्षरों के मन्त्र को शुभ मुहूर्त में १००० बार जपे । १ माला जप के साथ ‘होम’ करे । अथवा ग्रहण – काल में १२५००० जप कर हवन-तर्पण-मार्जन और ब्रह्म-भोज करे । फिर आवश्यकता पड़ने पर जब किसी शाबर – मन्त्र का अनुष्ठान करे,… Read More


श्री परशुराम प्रयोग भगवान् परशुराम की उपासना के फल-स्वरुप साधक अपनी विविध कामनाओं की पूर्ति करते है। यथा-सन्तान, विवाह, कृषि, वर्षा, ऐश्वर्य, वाक्-सिद्धि, स`र्व-शत्रुओं का नाश, रोगों का निवारण आदि।… Read More