वंशवृद्धिकरं दुर्गाकवचम् अथवा वंशकवचम् ॥ वंशवृद्धिकरं दुर्गाकवचम् अथवा वंशकवचम् ॥ भगवन् देव देवेशकृपया त्वं जगत् प्रभो । वंशाख्य कवचं ब्रूहि मह्यं शिष्याय तेऽनघ । यस्य प्रभावाद्देवेश वंश वृद्धिर्हिजायते ॥ १ ॥… Read More
श्री चण्डिका मालामन्त्र प्रयोगः ॥ श्री चण्डिका मालामन्त्र प्रयोगः ॥ उक्तं चाथर्वणागमसंहितायाम् मंत्रों यथा — “ॐ ह्रः ॐ सौं ॐ ह्रौं ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीर्जयजय चण्डिका चामुण्डे चण्डिके त्रिदश-मुकुट-कोटि-संघट्टित-चरणारविंदे गायत्रि सावित्रि सरस्वति अहिकृताभरणे भैरव-रूप-धारिणि प्रकटित-दंष्ट्रोग्र-वदने घोरानन-नयने ज्वलज्ज्वाला-सहस्र-परिवृते महाट्टहास-धवलीकृत-दिगन्तरे सर्वयुग-परिपूर्णे कपाल-हस्ते गजाजिनोत्तरीय-भूत-वेताल-परिवृते अकंपित-धराधरे मधु-कैटभ महिषासुर-धूम्रलोचन चण्ड-मुण्ड-रक्तबीज-शुम्भनिशुम्भदैत्यनिकृन्ते कालरात्रि महामाये शिवे नित्ये ॐ ऐं ह्रीं ऐन्द्रि आग्नेयि याम्ये नैर्ऋति वारुणि वायवि… Read More
भगवती दुर्गा ॥ भगवती दुर्गा ॥ एकाक्षर:- भगवती दुर्गा का एकाक्षरी बीजमंत्र “दुं” है । दां दीं दूं दें दौं दः से अङ्गन्यास करे । ॥ अथ अष्टाक्षर मंत्र प्रयोगः ॥ भगवती दुर्गा का अष्टाक्षर मंत्र प्रधान हैं ।… Read More
भगवती गौरी ॥ भगवती गौरी ॥ चतुरक्षर मन्त्रः- “ह्रीं भवान्यै नमः” मंत्र के अज ऋषि, छन्द अनुष्टप, देवता गौरी हैं । बालार्काऽभां त्रिनयनां खड्गखेटवराभयान् । दोर्भिदधानां सिंहस्थां भवानीं भावयेत् सदा ॥… Read More
दुर्गाभुवनवर्णनम् ॥ दुर्गाभुवनवर्णनम् ॥ ॥ श्री भैरव उवाच ॥ तंत्रादौ देवि वक्ष्येऽहं दुर्गाभुवनमद्भुतम् । जयं नाम महादिव्यं बहुविस्तारविस्तृतम् । नानारत्न समाकीर्णं सूर्यकोटिसमप्रभम् ॥ १७ ॥ इन्द्रगोपकवर्णं च चन्द्रकोटिमनोहरम् । अप्रमेयमसंख्यैयमगम्यं सर्ववादिनाम् ॥ १८ ॥… Read More
श्रीभगवती-मानस-पूजा-स्तोत्र भगवान् श्रीशङ्कराचार्य विरचित श्रीभगवती-मानस-पूजा-स्तोत्र (हिन्दी पद्यानुवाद श्री अमरसिंह ‘अमर’) ॥ प्रबोधन ॥ उषा-काल में गायक जन की मङ्गल-ध्वनि से शीघ्र जागिए । महती कृपा-कटाक्ष द्वारा, जगदम्बे ! जग को सुख-मय करिए ॥ १ ॥ ॥ आवाहन ॥ स्वर्ण-वेदियों से अति शोभित, दिशि-दिशि स्वर्ण-कलश से सज्जित । मणि-मय मम मानस-मण्डप में, कृपया पूजन ग्रहण कीजिए ॥… Read More
श्रीभगवती शतक श्रीभगवती शतक (पञ्जाब के सिद्ध सन्त पूज्य दौलतराम जी रचित) नमो भगवती ! जागती ज्योति-ज्वाला । तुही रक्ष-पाला कृपाला दयाला ॥ तुही दीन के दुःख-दारिद्र हरती । तुही भक्त को पार संसार करती ॥ १ ॥ तुही भूरि सुख की सदा देन-हारी । सभी छोंड़ि मैं ओट लीन्ही तिहारी ॥ नमो योगिनी ! योग में… Read More
आकूतिसूक्त ॥ आकूतिसूक्त ॥ इस सूक्त में शक्तितत्त्व ‘आकूति’ नाम से व्यक्त हुआ है । ‘आकूति’ नाम सभी शक्तिभेदों हेतु समानरूप से व्यवहार में आता है । इस सूक्त में इच्छा, ज्ञान तथा क्रिया-शक्ति के इन तीन भेदों को ही आकूति कहा गया है । इस सूक्त के द्रष्टा ऋषि अथर्वाङ्गिरा तथा देवता अग्निस्वरूपा आकूति हैं… Read More
विविध कार्य-साधक अम्बिका मन्त्र विविध कार्य-साधक अम्बिका मन्त्र मन्त्रः- “ॐ आठ-भुजी अम्बिका, एक नाम ओङ्कार । खट्-दर्शन त्रिभुवन में, पाँच पण्डवा सात दीप । चार खूँट नौ खण्ड में, चन्दा-सूरज दो प्रमाण । हाथ जोड़ बिनती करूँ, मम करो कल्याण ।।”… Read More
सन्तोषी माता का मन्त्र सन्तोषी माता का मन्त्र मन्त्रः- “ॐ नमो सन्तोषी माई । सत की सदा सहाई । बाबा गणपत की बेटडी । ऋद्धि सिद्धि की जाई । भक्तों को बख्शे सन्तुष्टि । नाम सन्तोषी कहलाई । दुःख हरो, सुख करो । मुरादें पूर्ण करो, सिर पर मेहर का हाथ धरो । माई, तेरी महिमा अपरम्पार । तोहे… Read More