श्रीललिता-महा-लक्ष्म्याः स्तोत्रम् वैष्णव-सम्प्रदाय के प्रसिद्ध ग्रन्थ “लक्ष्मी-नारायण-संहिता” से उद्धृत निम्न स्तोत्र शक्ति-साधना से सम्बन्धित है । वैष्णव ग्रन्थ होने के कारण इनकी साधना-प्रणाली ‘वैष्णवाचार’-परक है ।… Read More


दश महा-विद्याओं की उत्पत्ति दक्ष प्रजापति ने अपने द्वारा आयोजित यज्ञ में भगवान् शिव को निमन्त्रित नहीं करने पर जब भगवती ने अपने पिता से कारण पुछने के लिये पितृ-गृह जाने के लिए भगवान् शिव से अनुमति लेनी चाही, तो महादेव ने अनुमति नहीं दी । यह सुनकर क्रोधावेश में सती के अंग कम्पित होने… Read More


दश-महा-विद्या-स्तोत्रम् नमस्ते चण्डिके ! चण्डि ! चण्ड-मुण्ड-विनाशिनि । नमस्ते कालिके ! काल-महा-भय-विनाशिनी ! ।।१ शिवे ! रक्ष जगद्धात्रि ! प्रसीद हरि-वल्लभे ! प्रणमामि जगद्धात्रीं, जगत्-पालन-कारिणीम् ।।२ जगत्-क्षोभ-करीं विद्यां, जगत्-सृष्टि-विधायिनीम् । करालां विकटा घोरां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् ।।३… Read More


श्री प्रत्यंगिरा स्तोत्र श्री गणेशाय नमः। ॐ नमः प्रत्यंगिरायै।। मन्दरस्थं सुखासीनं, भगवन्तं महेश्वरम्। समुपागम्य चरणौ, पार्वती परिपृच्छति।।१ ।।श्रीदेव्युवाच।। धारणी परमा विद्या, प्रत्यंगिरा महोदया। नर-नारी-हितार्थाय, बालानां रक्षणाय च।।२ राज्ञां मण्डलिकानां च, दीनानां च महेश्वर! महा-भयेषु घोरेषु, विद्युदग्नि-भयेषु च।।३ व्याघ्र-दंष्ट्रि-करी-घाते, नदी-नद-समुद्रके। अभिचारेषु सर्वेषु, युद्धे राज-भयेषु च।।४ सौभाग्य-जननी देव! नृणाम् वश्य-करी सदा। तां विद्यां भो सुरेशेह! कथयस्व मम… Read More


विपरीत-प्रत्यंगिरा महा-विद्या स्तोत्र बहुत से व्यक्ति प्रेत, यक्ष, राक्षस, दानव, दैत्य, मरी-मसान, शंकिनी, डंकिनी बाधाओं तथा दूसरे के द्वारा या अपने द्वारा किए गए प्रयोगों के फल-स्वरुप पीड़ित रहते हैं। इन सबकी शान्ति हेतु यहाँ भैरव-तन्त्रोक्त ‘विपरीत-प्रत्यंगिरा’ की विधि प्रस्तुत है। पीड़ित व्यक्ति या प्रयोग-कर्ता गेरुवा लंगोट पहन कर एक कच्चा बिल्व-फल अपने तथा एक… Read More


दश महाविद्या जयन्ती १॰ श्री भुवनेश्वरी जयन्तीः- भाद्रपद शुक्ला द्वादशी, रविवार । २॰ श्री काली जयन्तीः- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को अर्द्ध-रात्रि । ३॰ श्री ललिता जयन्तीः- माघ पूर्णिमा को प्रदोष समय । ४॰ श्री तारा जयन्तीः- चैत्र शुक्ल नवमी, शनिवार को मध्य रात्रि । ५॰ श्री छिन्न-मस्ता जयन्तीः- वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को अर्द्ध-रात्रि । ६॰… Read More


श्रीवगला सिद्ध शाबर मन्त्र (१) श्री वगलामुखी के निम्न मन्त्र का अयुत (दस सहस्त्र) जप करने से सिद्धि मिलती है। हल्दी, हड़ताल, मालकांगनी (ज्योतिष्मती) को कूट कर कटु-तैलाक्त निम्ब-काष्ठ, बदरी-काष्ठ या खदिर-काष्ठ की समिधा द्वारा नित्य अष्टोत्तर-शत हवन करें। अर्थात् दस माला मन्त्र-जप और एक माला से हवन किया करे। दस दिनों में अभीष्ट सिद्धि… Read More


श्रीसाबर-शक्ति-पाठ पूर्व-पीठिका ।। विनियोग ।। श्रीसाबर-शक्ति-पाठ का, भुजंग-प्रयात है छन्द । भारद्वाज शक्ति ऋषि, श्रीमहा-काली काल प्रचण्ड ।। ॐ क्रीं काली शरण-बीज, है वायु-तत्त्व प्रधान । कालि प्रत्यक्ष भोग-मोक्षदा, निश-दिन धरे जो ध्यान ।। ।। ध्यान ।। मेघ-वर्ण शशि मुकुट में, त्रिनयन पीताम्बर-धारी । मुक्त-केशी मद-उन्मत्त सितांगी, शत-दल-कमल-विहारी ।। गंगाधर ले सर्प हाथ में, सिद्धि… Read More


दश महाविद्या शाबर मन्त्र सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी । ॐ सोऽहं सिद्ध की काया, तीसरा नेत्र त्रिकुटी ठहराया । गगण मण्डल में अनहद बाजा । वहाँ देखा शिवजी बैठा, गुरु हुकम से भितरी बैठा, शुन्य में ध्यान गोरख दिठा । यही ध्यान तपे महेशा, यही ध्यान ब्रह्माजी लाग्या ।… Read More