शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 50 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 50 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता पचासवाँ अध्याय दस महाविद्याओंकी उत्पत्ति तथा देवीके दुर्गा, शताक्षी, शाकम्भरी और भ्रामरी आदि नामोंके पड़नेका कारण मुनिगण बोले – हे महाप्राज्ञ ! हमलोग दुर्गाके चरित्रको निरन्तर सुनना चाहते हैं, अतः आप हमलोगोंसे दूसरे अद्भुत [लीला] तत्त्वका वर्णन कीजिये ॥… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 49 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 49 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता उनचासवाँ अध्याय भगवती उमाके प्रादुर्भावका वर्णन मुनिगण बोले- सर्वार्थवेत्ता सूतजी ! अब आप भुवनेश्वरी उमाके अवतारका वर्णन करें, जिनसे सरस्वती उत्पन्न हुईं, जो परब्रह्म, मूलप्रकृति, ईश्वरी, निराकार होकर भी साकार एवं नित्यानन्दमयी सती कही जाती हैं ॥ १-२ ॥… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 48 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 48 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता अड़तालीसवाँ अध्याय सरस्वतीदेवीके द्वारा सेनासहित शुम्भ निशुम्भका वध राजा बोले- हे भगवन्! देवीके द्वारा धूम्राक्ष, चण्ड-मुण्ड एवं रक्तबीजको मारा गया सुनकर देवताओंको कष्ट देनेवाले शुम्भने क्या किया ? हे ब्रह्मन् ! अब आप जगत्कारणभूता देवीके पापनाशक चरित्रको सुननेकी इच्छावाले… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 47 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 47 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता सैंतालीसवाँ अध्याय शुम्भ निशुम्भसे पीड़ित देवताओं द्वारा देवीकी स्तुति तथा देवीद्वारा धूम्रलोचन, चण्ड-मुण्ड आदि असुरोंका वध ऋषि बोले- हे राजन् ! पूर्व समयमें शुम्भ एवं निशुम्भ नामक प्रतापी दैत्य हुए। उन दोनों भाइयोंने अपने तेजसे चराचरसहित तीनों लोकोंको आक्रान्त… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 46 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 46 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता छियालीसवाँ अध्याय महिषासुरके अत्याचारसे पीड़ित ब्रह्मादि देवोंकी प्रार्थनासे प्रादुर्भूत महालक्ष्मीद्वारा महिषासुरका वध ऋषि बोले – [ हे राजन् ! ] पूर्व समयमें दैत्यवंशशिरोमणि रम्भ नामक दैत्य था, उससे महिष नामक महातेजस्वी दानव उत्पन्न हुआ। उस दैत्यराज महिषने युद्धमें सभी… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 45 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 45 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता पैंतालीसवाँ अध्याय भगवती जगदम्बाके चरितवर्णनक्रममें सुरथराज एवं समाधि वैश्यका वृत्तान्त तथा मधु-कैटभके वधका वर्णन मुनिगण बोले- हे सूतजी ! हमलोगोंने अनेक आख्यानोंसे युक्त मनोहर शिवकथा सुनी, जो अनेक अवतारोंसे सम्बन्धित तथा मनुष्योंको मुक्ति एवं भुक्ति देनेवाली है । हे… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 44 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 44 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता चौवालीसवाँ अध्याय व्यासजीकी उत्पत्तिकी कथा, उनके द्वारा तीर्थाटनके प्रसंगमें काशीमें व्यासेश्वरलिंगकी स्थापना तथा मध्यमेश्वरके अनुग्रहसे पुराणनिर्माण मुनि बोले – हे महाबुद्धे ! हे सूत ! हे दयासागर ! हे स्वामिन्! हे प्रभो ! अब आप व्यासजीकी उत्पत्तिके विषयमें कहिये… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 43 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 43 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता तैंतालीसवाँ अध्याय आचार्यपूजन एवं पुराणश्रवणके अनन्तर कर्तव्य – कथन शौनकजी बोले- हे सूतजी ! हे व्यासशिष्य ! अब आचार्यपूजनकी विधिको कहिये और पुराण सुननेके बाद क्या करना चाहिये, यह भी बताइये ? ॥ १ ॥… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 42 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 42 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता बयालीसवाँ अध्याय ‘सप्त व्याध’ सम्बन्धी श्लोक सुनकर राजा ब्रह्मदत्त और उनके मन्त्रियोंको पूर्वजन्मका स्मरण होना और योगका आश्रय लेकर उनका मुक्त होना भीष्मजी बोले- हे मार्कण्डेयजी ! हे महाप्राज्ञ ! हे पितृभक्तोंमें श्रेष्ठ! हे मुनिश्रेष्ठ ! इसके अनन्तर क्या… Read More
शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 41 शिवमहापुराण — उमासंहिता — अध्याय 41 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण उमासंहिता इकतालीसवाँ अध्याय पितरोंकी महिमाके वर्णनक्रममें सप्त व्याधोंके आख्यानका प्रारम्भ सनत्कुमारजी बोले – हे तपस्वियोंमें श्रेष्ठ ! स्वर्गमें सात पितृगण कहे गये हैं, जिनमें चार मूर्तिमान् हैं एवं तीन अमूर्त हैं। वे पितर पूर्व से ही योगबलके द्वारा सोमको तृप्त… Read More