शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 03 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता तीसरा अध्याय अत्रीश्वरलिंगके प्राकट्यके प्रसंगमें अनसूया तथा अत्रिकी तपस्याका वर्णन सूतजी बोले- ब्रह्मपुरीके समीपमें चित्रकूटपर्वतपर मत्तगजेन्द्र नामक लिंग है, जिसे ब्रह्माजीने पूर्वकालमें स्थापित किया था; वह सभी कामनाओंको पूर्ण करनेवाला है। उसके पूर्वमें सभी प्रकारके वरोंको देनेवाला कोटीश्वर नामक… Read More


शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 02 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता दूसरा अध्याय काशीस्थित तथा पूर्व दिशामें प्रकटित विशेष एवं सामान्य लिंगों का वर्णन सूतजी बोले- गंगाके तटपर परम प्रसिद्ध काशी नगरी है, जो सबको मुक्ति प्रदान करनेवाली है। उसे लिंगमयी ही जानना चाहिये, वह सदाशिवकी निवास- स्थली मानी गयी… Read More


शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 01 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता पहला अध्याय द्वादश ज्योतिर्लिंगों एवं उनके उपलिंगोंके माहात्म्यका वर्णन यो धत्ते निजमाययैव भुवनाकारं विकारोज्झितो यस्याहुः करुणाकटाक्षविभवौ स्वर्गापवर्गाभिधौ । प्रत्यग्बोधसुखाद्वयं हृदि सदा पश्यन्ति यं योगिन— स्तस्मै शैलसुताञ्चितार्धवपुषे शश्वन्नमस्तेजसे ॥ जो निर्विकार होते हुए भी अपनी मायासे विराट् विश्वका आकार धारण… Read More


शिवमहापुराण — शतरुद्रसंहिता — अध्याय 42 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण शतरुद्रसंहिता बयालीसवाँ अध्याय भगवान् शिवके द्वादश ज्योतिर्लिंगरूप अवतारोंका वर्णन नन्दीश्वरजी बोले — [ हे सनत्कुमार ! ] हे मुने ! अब अनेक प्रकारकी लीला करनेवाले परमात्मा शिवजीके ज्योतिर्लिंगरूप द्वादशसंख्यक अवतारोंको सुनिये ॥ १ ॥ सौराष्ट्रे सोमनाथश्च श्रीशैले मल्लिकार्जुनः । उज्जयिन्यां… Read More


शिवमहापुराण — शतरुद्रसंहिता — अध्याय 41 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण शतरुद्रसंहिता इकतालीसवाँ अध्याय भगवान् शिवके किरातेश्वरावतारका वर्णन नन्दीश्वर बोले— सेनाके साथ किरातेश्वरको युद्धके लिये आया देखकर शिवजीका ध्यान करते हुए अर्जुनने वहाँ जाकर उसके साथ भयंकर युद्ध किया ॥ १ ॥ उस भीलराजने अपने अनेक गणों तथा तीक्ष्ण शस्त्रोंके द्वारा… Read More


शिवमहापुराण — शतरुद्रसंहिता — अध्याय 40 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण शतरुद्रसंहिता चालीसवाँ अध्याय भीलस्वरूप गणेश्वर एवं तपस्वी अर्जुनका संवाद नन्दिकेश्वर बोले — हे सनत्कुमार! हे सर्वज्ञ ! अब परमात्मा शिवकी भक्तवत्सलतासे युक्त तथा उनकी दृढ़ भक्तिसे भरी हुई लीला सुनिये ॥ १ ॥ उसके बाद उन शिवजीने अपना बाण लानेके… Read More


शिवमहापुराण — शतरुद्रसंहिता — अध्याय 39 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण शतरुद्रसंहिता उनतालीसवाँ अध्याय मूक नामक दैत्यके वधका वर्णन नन्दीश्वर बोले— इस प्रकार व्यासजीने जैसा कहा था, उसी प्रकार अर्जुन विधिवत् स्नान, न्यासादि करके उत्तम भक्तिसे शिवका ध्यान करने लगे ॥ १ ॥ वे एक श्रेष्ठ मुनिके समान एक पैर के… Read More


शिवमहापुराण — शतरुद्रसंहिता — अध्याय 38 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण शतरुद्रसंहिता अड़तीसवाँ अध्याय इन्द्रका अर्जुनको वरदान देकर शिवपूजनका उपदेश देना नन्दीश्वर बोले — [ हे सनत्कुमार!] उस समय शिवस्वरूप मन्त्रके कारण अतुल तेज धारण किये हुए अर्जुन भी अत्यन्त दीप्तिमान् दिखायी पड़ने लगे ॥ १ ॥ उस समय उन सभी… Read More


शिवमहापुराण — शतरुद्रसंहिता — अध्याय 37 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण शतरुद्रसंहिता सैंतीसवाँ अध्याय व्यासजीका पाण्डवोंको सान्त्वना देकर अर्जुनको इन्द्रकील पर्वतपर तपस्या करने भेजना नन्दीश्वर बोले — हे प्राज्ञ ! अब आप शिवजीका किरातावतार सुनिये, [जिसमें ] उन्होंने प्रसन्न होकर मूक दानवका वध किया एवं अर्जुनको वर प्रदान किया ॥ १… Read More


शिवमहापुराण — शतरुद्रसंहिता — अध्याय 36 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण शतरुद्रसंहिता छत्तीसवाँ अध्याय अश्वत्थामाके रूपमें शिवके अवतारका वर्णन नन्दीश्वर बोले — हे सनत्कुमार! हे सर्वज्ञ ! अब आप सर्वव्यापी परमात्मा शिवके अश्वत्थामा नामक श्रेष्ठ अवतारको सुनें ॥ १ ॥ मुने! महाबुद्धिमान् देवर्षि बृहस्पतिके अंशसे महर्षि भरद्वाजसे अयोनिज पुत्रके रूपमें आत्मवेत्ता… Read More