ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 123 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ तेईसवाँ अध्याय गणेश के अग्रपूज्यत्व-वर्णन के प्रसङ्ग में राधा द्वारा गणेश की अग्रपूजा का कथन नारदजी ने पूछा — मुने ! पुराणों में जो गणेश-पूजन का दुर्लभ आख्यान वर्णित है, उसे मैंने सामान्यतया ब्रह्मा के मुख से संक्षेप में सुना… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 122 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ बाईसवाँ अध्याय स्यमन्तक मणि का उपाख्यान नारद बोले — कृष्ण के साथ सभी रमणियों का विवाह तो आपने हर्षपूर्वक बता दिया, किन्तु स्यमन्तक मणि का उपाख्यान अभीष्ट है । हे महाभाग ! वह मैंने नहीं सुना है, उसे आप (… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 121 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ इक्कीसवाँ अध्याय शृगालोपाख्यान श्रीनारायण कहते हैं — नारद! एक समय की बात है। श्रीकृष्ण अपने गणों के साथ सुधर्मा- सभा में विराजमान थे। उसी समय वहाँ एक ब्राह्मणदेवता आये, जो ब्रह्मतेज से प्रज्वलित हो रहे थे। वहाँ आकर उन्होंने पुरुषोत्तम… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 120 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ बीसवाँ अध्याय बाण का यादवी सेना के साथ युद्ध, बाण का धराशायी होना, शंकरजी का बाण को उठाकर श्रीकृष्ण के चरणों में डाल देना, श्रीकृष्ण द्वारा बाण को जीवन-दान, बाण का श्रीकृष्ण को बहुत-से दहेज के साथ अपनी कन्या समर्पित… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 119 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ उन्नीसवाँ अध्याय शिवजी का कन्या देने के लिये बाण को समझाना, बाण का उसे अस्वीकार करना, बलि का आगमन और सत्कार, बलि का महादेवजी का चरणवन्दन करके श्रीभगवान् ‌का स्तवन करना, श्रीभगवान् द्वारा बलि को बाण के न मारने का… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 118 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ अठारहवाँ अध्याय मणिभद्र का शिवजी को सेनासहित श्रीकृष्ण के पधारने की सूचना देना, शिवजी का बाण की रक्षा के लिये दुर्गा से कहना, दुर्गा का बाण को युद्ध से विरत होने की सलाह देना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! इस… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 117 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ सत्रहवाँ अध्याय गणेश-शिव-संवाद श्रीनारायण कहते हैं — नारद! इसी समय गणेश ने शिवजी के स्थान पर जाकर उन महेश्वर को नमस्कार किया और बाण-अनिरुद्ध का युद्ध, सुभद्रा का वध, स्कन्द और अनिरुद्ध का युद्ध तथा अनिरुद्ध का प्रबल पराक्रम –… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 116 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ सोलहवाँ अध्याय बाण और अनिरुद्ध के संवाद – प्रसङ्ग में अनिरुद्ध द्वारा द्रौपदी के पाँच पति होने का वर्णन, बाणसेनापति सुभद्र का अनिरुद्ध के साथ युद्ध और अनिरुद्ध द्वारा उसका वध बाण ने कहा — अनिरुद्ध ! तुम बड़े बुद्धिमान्… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 115 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ पन्द्रहवाँ अध्याय कन्या की दुःशीलता का समाचार पाकर बाण का युद्ध के लिये उद्यत होना; शिव, पार्वती, गणेश, स्कन्द और कोटरी का उसे रोकना; परंतु बाण का स्कन्द को सेनापति बनाकर युद्ध के लिये नगर के बाहर निकलना, उषाप्रदत्त रथ… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 114 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ चौदहवाँ अध्याय अनिरुद्ध और उषा का पृथक्-पृथक् स्वप्न में दर्शन, चित्रलेखा द्वारा अनिरुद्ध का अपहरण, अन्तः पुर में अनिरुद्ध और उषा का गान्धर्व-विवाह श्रीनारायण कहते हैं — नारद! प्रद्युम्न श्रीकृष्ण के पुत्र थे, जो महान् बल-पराक्रम से सम्पन्न थे। उनके… Read More