ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 46 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ छियालीसवाँ अध्याय मनसा देवी के स्तोत्र आदि नारायण बोले — मुनिवर ! अब मैं देवी मनसा की पूजा का विधान तथा सामवेदोक्त ध्यान बतलाता हूँ, सुनो। श्वेतचम्पकवर्णाभां रत्नभूषणभूषिताम् । वह्निशुद्धांशुकाधानां नागयज्ञोपवीतिनीम् ॥ २ ॥ महाज्ञानयुतां चैव प्रवरां ज्ञानिनां सताम्… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 45 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ पैंतालीसवाँ अध्याय मनसा देवी का उपाख्यान भगवान् नारायण कहते हैं — नारद! आगमों के अनुसार देवी षष्ठी और मङ्गलचण्डिका का उपाख्यान कह चुका । अब मनसादेवी का चरित्र, जो धर्म के मुख से मैं सुन चुका हूँ, तुमसे कहता… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 44 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चौवालीसवाँ अध्याय भगवती मङ्गलचण्डी का उपाख्यान भगवान् नारायण कहते हैं — ब्रह्मपुत्र नारद ! आगम शास्त्र के अनुसार षष्ठीदेवी का चरित्र कह दिया। अब भगवती मङ्गलचण्डी का उपाख्यान सुनो, साथ ही उनकी पूजा का विधान भी । इसे मैंने… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 43 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तैंतालीसवाँ अध्याय देवी षष्ठी के ध्यान, पूजन, स्तोत्र तथा विशद महिमा का वर्णन नारदजी ने कहा — प्रभो ! भगवती ‘षष्ठी’, मङ्गलचण्डिका तथा देवी मनसा — ये देवियाँ मूलप्रकृति की कला मानी गयी हैं। मैं अब इनके प्राकट्य का… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 42 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ बयालीसवाँ अध्याय भगवती दक्षिणा के प्राकट्य का प्रसङ्ग, उनका ध्यान, पूजा-विधान तथा स्तोत्र-वर्णन एवं चरित्र श्रवण की फल श्रुति भगवान् नारायण कहते हैं — मुने ! भगवती स्वाहा और स्वधा का परम मधुर उत्तम उपाख्यान सुना चुका । अब… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 41 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ इकतालीसवाँ अध्याय भगवती स्वधा का उपाख्यान उनके ध्यान,  पूजा-विधान तथा स्तोत्र का वर्णन भगवान् नारायण कहते हैं — मुने ! अब भगवती स्वधा का उत्तम उपाख्यान कहता हूँ, सुनो। यह पितरों के लिये तृप्तिप्रद एवं श्राद्धों के फल को… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 40 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चालीसवाँ अध्याय भगवती स्वाहा का उपाख्यान, उनके ध्यान,  पूजा-विधान तथा स्तोत्र का वर्णन नारदजी ने कहा — प्रभो ! मुनिवर नारायण ! आप रूप, गुण, यश, तेज एवं कान्ति में साक्षात् भगवान् नारायण के ही समान हैं । मुने!… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 39 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ उनतालीसवाँ अध्याय इन्द्र के द्वारा महालक्ष्मी के ध्यान तथा स्तवन किये जाने और पुनः अधिकार प्राप्त किये जाने का वर्णन नारदजी ने कहा — प्रभो ! मैं भगवान् श्रीहरि का मङ्गलमय गुणानुवर्णन, उत्तम ज्ञान तथा भगवती लक्ष्मी का अभीष्ट… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 38 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ अड़तीसवाँ अध्याय भगवती लक्ष्मी का समुद्र से प्रकट होना भगवान् नारायण कहते हैं — नारद! तदनन्तर भगवान् श्रीहरि का ध्यान करके देवराज इन्द्र ने बृहस्पतिजी को आगे करके सम्पूर्ण देवताओं के साथ ब्रह्मा की सभा के लिये प्रस्थान किया।… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 37 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सैंतीसवाँ अध्याय महालक्ष्मी के देवलोक-त्याग और इन्द्र के दुःखी होकर बृहस्पति के पास जाने का वर्णन नारदजी ने पूछा —भगवान् श्रीहरि का गुणगान सुनकर इन्द्र को जब ज्ञान प्राप्त हो गया, तब उन्होंने घर जाकर क्या किया ? यह… Read More