ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 06 ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 06 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः छठा अध्याय श्रीकृष्ण का नारायण आदि को लक्ष्मी आदि का पत्नी रूप में दान, महादेव जी का दार-संयोग में अरुचि प्रकट करके निरन्तर भजन के लिये वर माँगना तथा भगवान् का उन्हें वर देते हुए उनके नाम आदि की महिमा बताकर उन्हें भविष्य… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 05 ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 05 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः पाँचवाँ अध्याय ब्रह्मा आदि कल्पों का परिचय, गोलोक में श्रीकृष्ण का नारायण आदि के साथ रास मण्डल में निवास, श्रीकृष्ण के वामपार्श्व से श्रीराधा का प्रादुर्भाव; राधा के रोमकूपों से गोपांगनाओं का प्राकट्य तथा श्रीकृष्ण से गोपों, गौओं, बलीवर्दों, हंसों, श्वेत घोड़ों और… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 04 ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 04 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः चौथा अध्याय सावित्री, कामदेव, रति, अग्नि, अग्निदेव, जल, वरुणदेव, स्वाहा, वरुणानी, वायुदेव, वायवी देवी तथा मेदिनी के प्राकट्य का वर्णन सौति कहते हैं – शौनक जी! तत्पश्चात् श्रीकृष्ण की जिह्वा के अग्रभाग से शुद्ध स्फटिक के समान उज्ज्वल वर्ण वाली एक मनोहारिणी देवी… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 03 ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 03 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः तीसरा अध्याय श्रीकृष्ण से सृष्टि का आरम्भ, नारायण, महादेव, ब्रह्मा, धर्म, सरस्वती, महालक्ष्मी और प्रकृति –का प्रादुर्भाव तथा इन सबके द्वारा पृथक-पृथक श्रीकृष्ण का स्तवन सौति कहते हैं – भगवान ने देखा कि सम्पूर्ण विश्व शून्यमय है। कहीं कोई जीव-जन्तु नहीं है। जल… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 02 ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 02 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः दूसरा अध्याय परमात्मा के महान उज्ज्वल तेजःपुञ्ज, गोलोक, वैकुण्ठलोक और शिवलोक की स्थिति का वर्णन तथा गोलोक में श्यामसुन्दर भगवान् श्रीकृष्ण के परात्पर स्वरूप का निरूपण शौनक जी ने पूछा — सूतनन्दन ! आपने कौन-सा परम अद्भुत, अपूर्व और अभीष्ट पुराण सुना है,… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – ब्रह्मखण्ड – अध्याय 01 ब्रह्मवैवर्तपुराण-ब्रह्मखण्ड-अध्याय 01 ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः पहला अध्याय मङ्गलाचरण, नैमिषारण्य में आये हुए सौति से शौनक के प्रश्न तथा सौति द्वारा ब्रह्मवैवर्तपुराण का परिचय देते हुए इसके महत्त्व का निरूपण गणेशब्रह्मेशसुरेशशेषाः सुराश्च सर्वे मनवो मुनीन्द्राः । सरस्वतीश्रीगिरिजादिकाश्च नमन्ति देव्यः प्रणमामि तं विभुम् ॥ १ ॥ गणेश, ब्रह्मा, महादेवजी, देवराज इन्द्र, शेषनाग आदि सब… Read More
भगवान् श्रीकृष्ण की शरणागति और उनका आश्रय प्राप्त करने हेतु भगवान् श्रीकृष्ण की शरणागति और उनका आश्रय प्राप्त करने हेतु मन्त्रों की भाँति ही यन्त्र भी बड़े प्रभावशाली होते हैं । कुछ यन्त्रों के साथ मन्त्र भी होते हैं और कुछ केवल अङ्कात्मक यन्त्र होते हैं । विभिन्न यन्त्र, विभिन्न कार्यों की सिद्धि और रोगनिवृत्ति आदि के लिये काम में लाये जाते हैं । प्रत्येक… Read More
भगवान् श्रीकृष्ण से सर्वमनोकामना पूर्ति हेतु सरल अनुष्ठान भगवान् श्रीकृष्ण से सर्वमनोकामना पूर्ति हेतु सरल अनुष्ठान मन्त्रः- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते राधाप्रियाय राधारमणाय गोपीजनवल्लभाय ममाभीष्टं पूरय पूरय हुं फट् स्वाहा ॥… Read More
भगवान् श्रीकृष्ण के दर्शन के लिये सरल अनुष्ठान भगवान् श्रीकृष्ण के दर्शन के लिये लौकिक सरल अनुष्ठान (१) कच्चित्तुलसि कल्याणि गोविन्दचरणप्रिये । सह त्वालिकुलैर्बिभ्रद् दृष्टस्तेऽतिप्रियोऽच्युतः ॥ (श्रीमद्भागवत १० । ३०। ७)… Read More
गोपालस्तोत्रं अथवा गोपालस्तवराजस्तोत्रम् ॥ गोपालस्तोत्रं अथवा गोपालस्तवराजस्तोत्रम् ॥ श्रीमद्गोपीजनवल्लभाय नमः । विनियोगः- ॐ अस्य श्रीगोपालस्तवराजमन्त्रस्य श्रीनारद ऋषिः । अनुष्टुप् छन्दः । श्रीकृष्णः परमात्मा देवता । श्रीकृष्णप्रीत्यर्थे जपे विनोयोगः ॥ ॥ ध्यानम् ॥ सजलजलदनीलं दर्शितोदारशीलं करतलधृतशैलं वेणुवाद्यै रसालम् । व्रजजनकुलपालं कामिनीकेलिलोलं तरुणतुलसिमालं नौमि गोपालबालम् ॥… Read More