ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 93 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) तिरानबेवाँ अध्याय राधा- उद्धव-संवाद श्रीनारायण कहते हैं — नारद! उद्धव द्वारा किये गये स्तवन को सुनकर राधिका की चेतना लौट आयी। तब वे विषादग्रस्त हो उद्धव को श्रीकृष्ण के सदृश आकार वाला देखकर बोलीं। श्रीराधिका ने कहा — वत्स ! तुम्हारा क्या… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 92 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) बानबेवाँ अध्याय उद्धव का गोकुल में सत्कार तथा उनका वृन्दावन आदि सभी वनों की शोभा देखते हुए राधिका के पास पहुँचना और राधास्तोत्र द्वारा उनका स्तवन करना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! श्रीकृष्णकी प्रेरणासे उद्धव हर्षपूर्वक गणेश्वरको प्रणाम करके नारायण, शम्भु, दुर्गा,… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 91 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) इक्यानबेवाँ अध्याय श्रीकृष्ण का उद्धव को गोकुल भेजना श्रीभगवान् ने कहा — तात ! कर्मफल- भोग के अनुसार संयोग और उसी से वियोग भी होता है तथा उसी से क्षणमात्र में दर्शन भी प्राप्त हो जाता है। भला, उस कर्मभोग को कौन… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 90 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) नब्बेवाँ अध्याय श्रीकृष्ण द्वारा चारों युगों के धर्मादि का कथन, श्रीकृष्ण को गोकुल चलने के लिये नन्द का आग्रह श्रीकृष्ण ने कहा — नन्दजी ! पुराणों में जैसी अत्यन्त मधुर रमणीय कथा कही गयी है, उसे कहता हूँ। आप प्रसन्नमन होकर उसे… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 89 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) नवासीवाँ अध्याय श्रीकृष्ण द्वारा नन्द प्रार्थना तथा वर प्रदान [ तत्पश्चात् नन्द से श्रीकृष्ण ने कहा- ] ‘नन्दजी ! अब आप दुर्लभ ज्ञान से संयुक्त होने के कारण मोह का त्याग करके प्रसन्न मन से व्रजवासियों सहित व्रज को लौट जाइये ।… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 88 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) अट्ठासीवाँ अध्याय श्रीकृष्ण का नन्द को दुर्गा स्तोत्र सुनाना तथा व्रज लौट जाने का आदेश देना, नन्द का श्रीकृष्ण से चारों युगों के धर्म का वर्णन करने के लिये प्रार्थना करना श्रीकृष्ण ने कहा — हे तात! चेत करो । पिताजी! होश… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 87 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) सत्तासीवाँ अध्याय सनत्कुमार आदि के साथ श्रीकृष्ण का समागम, सनत्कुमार के द्वारा श्रीकृष्ण के रहस्योद्घाटन करने पर नन्दजी का पश्चात्तापपूर्ण कथन तथा मूर्च्छित होना नन्दजी ने कहा — प्रभो ! आप स्वयं वेदों के अधीश्वर हैं; अतः वेद, ब्रह्मा, शिव और शेष… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 86 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) छियासीवाँ अध्याय केदार-कन्या के वृत्तान्त का वर्णन नन्दजी ने पूछा — प्रभो ! आपने स्त्रियों के प्रसङ्ग से केदार-कन्या का प्रस्ताव करके कर्मविपाक का वर्णन किया। अब विस्तारपूर्वक केदार-कन्या का चरित्र बतलाइये । वह केदार-कन्या कौन थी ? भूपाल केदार कौन थे… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 85 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) पचासीवाँ अध्याय चारों वर्णों के भक्ष्याभक्ष्य का निरूपण तथा कर्म-विपाक का वर्णन नन्दजी ने कहा — महाभाग ! अब चारों वर्णों के भक्ष्याभक्ष्य का तथा समस्त प्राणियों के कर्मविपाक का वर्णन कीजिये । श्रीभगवान् बोले — तात ! मैं चारों वर्णों के… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 84 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) चौरासीवाँ अध्याय गृहस्थ, गृहस्थ-पत्नी, पुत्र और शिष्य के धर्म का वर्णन, नारियों और भक्तों के त्रिविध भेद, ब्रह्माण्ड-रचना के वर्णन-प्रसङ्ग में राधा की उत्पत्ति का कथन श्रीभगवान् कहते हैं — नन्दजी ! गृहस्थ पुरुष सदा ब्राह्मणों और देवताओं का पूजन करता है… Read More