June 30, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 199 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ एक सौ निन्यानबेवाँ अध्याय ऋतु, वर्ष, मास, संक्रान्ति आदि विभिन्न व्रतों का वर्णन नानाव्रतानि अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ ! अब मैं आपके सम्मुख ऋतु सम्बन्धी व्रतों का वर्णन करता हूँ, जो भोग और मोक्ष को सुलभ करनेवाले हैं। जो वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर ऋतु में इन्धन का दान करता है, एवं व्रतान्त में घृत धेनु का दान करता है, वह ‘अग्निव्रत’ का पालन करनेवाला मनुष्य दूसरे जन्म में ब्राह्मण होता है जो एक मास तक संध्या के समय मौन रहकर मासान्त में ब्राह्मण को घृतकुम्भ, तिल, घण्टा और वस्त्र देता है वह ‘सारस्वतव्रत’ करने वाला मनुष्य सुख का उपभोग करता है। एक वर्षतक पञ्चामृत से स्नान करके गोदान करनेवाला राजा होता है ॥ १-३ ॥’ चैत्र की एकादशी को नक्तभुक्तव्रत करके चैत्र के समाप्त होने पर विष्णुभक्त ब्राह्मण को स्वर्णमयी विष्णु प्रतिमा का दान करे। इस विष्णु-सम्बन्धी उत्तम व्रत का पालन करने वाला विष्णुपद को प्राप्त करता है। (एक वर्ष तक) खीर का भोजन करके गोयुग्म का दान करने वाला इस ‘देवीव्रत ‘के पालन के प्रभाव से श्रीसम्पन्न होता है। जो (एक वर्षतक) पितृदेवों को समर्पित करके भोजन करता है, वह राज्य प्राप्त करता है। ये वर्ष सम्बन्धी व्रत कहे गये। अब मैं संक्रान्ति सम्बन्धी व्रतों का वर्णन करता हूँ। मनुष्य संक्रान्ति की रात्रि को जागरण करने से स्वर्गलोक को प्राप्त होता है। जब संक्रान्ति अमावास्या तिथि में हो तो शिव और सूर्य का पूजन करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। उत्तरायण सम्बन्धिनी मकर संक्रान्ति में प्रातः काल स्नान करके भगवान् श्रीकेशव की अर्चना करनी चाहिये। उद्यापन में बत्तीस पल स्वर्ण का दान देकर वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है। विषुव आदि योगों में भगवान् श्रीहरि को घृतमिश्रित दुग्ध आदि से स्नान कराके मनुष्य सब कुछ प्राप्त कर लेता है ॥ ४-८ ॥ ‘स्त्रियों के लिये ‘उमाव्रत’ लक्ष्मी प्रदान करनेवाला है। उन्हें तृतीया और अष्टमी तिथि को गौरीशंकर की पूजा करनी चाहिये। इस प्रकार शिव-पार्वती की अर्चना करके नारी अखण्ड सौभाग्य प्राप्त करती है और उसे कभी पति का वियोग नहीं होता। ‘मूलव्रत’ एवं ‘उमेश व्रत’ करने वाली तथा सूर्य में भक्ति रखने वाली स्त्री दूसरे जन्म में अवश्य पुरुषत्व प्राप्त करती है ॥ ९-११ ॥ ॥ इस प्रकार आदि आग्नेय महापुराण में ‘विभिन्न व्रतों का वर्णन’ नामक एक सौ निन्यानवेवाँ अध्याय पूरा हुआ ॥ १९९ ॥ Content is available only for registered users. Please login or register Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe