August 2, 2015 | aspundir | Leave a comment गण्डा देने का मन्त्र “बन्ध तो बन्ध, मौला मुर्त्तजा अली का बन्ध, कीड़े और मकोड़े का बन्ध, ताप और तिजारी का बन्ध, जड़ी और बुखार का बन्ध, नजर और गुजर का बन्ध, दीठ और मूठ का बन्ध, कीए और कराए का बन्ध, भेजे और भीजाएका बन्ध, पैरों और हाथन का बन्ध, बन्ध तो बन्ध, मौला मुर्त्तजा का बन्ध, राह और बाट का बन्ध, जमीन और आसमान का बन्ध, घर और बाहर का बन्ध, पवन और पानी का बन्ध, कुँआँ और पनिहारी का बन्ध, लोहा और कलम का बन्ध, बन्ध तो बन्ध, मौला मुर्त्तजा का बन्ध।” विधिः- शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार की रात्रि को या ग्रहण काल में इस मन्त्र को १०८ बार जप कर सिद्ध कर लें, फिर जिसे गण्डा देना हो, उसकी चोटी से पैर की एड़ी तक ‘नीला धागा’ नाप कर सात गाँठें मन्त्र पढ़कर लगावें तथा सवा पाव मिठाई मँगाकर ‘मौला मुर्त्तजा अली’ के नाम से बच्चों को बाँट दें। ‘गण्डे’ को लोबान की धूप से धूपित करके रोगी के गले में बाँध दें। यह प्रयोग हर कार्य के लिए किया जाता है। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe