March 22, 2025 | aspundir | Leave a comment गृहमहिमासूक्त अथर्ववेदीय पैप्पलाद शाखा में वर्णित इस ‘गृहमहिमासूक्त की अतिशय महत्ता एवं लोकोपयोगिता है। इसमें मन्त्रद्रष्टा ऋषि ने गृह में निवास करने वालों के लिये सुख, ऐश्वर्य तथा समृद्धि सम्पन्नता की कामना की है। गृहानैमि मनसा मोदमान ऊर्जं बिभ्रद् वः सुमतिः सुमेधाः । अघोरेण चक्षुषा मित्रियेण गृहाणां पश्यन्पय उत्तरामि ॥ १ ॥ इमे गृहा मयोभुव ऊर्जस्वन्तः पयस्वन्तः । पूर्णा वामस्य तिष्ठन्तस्ते नो जानन्तु जानतः ॥ २ ॥ सूनृतावन्तः सुभगा इरावन्तो हसामुदाः । अक्षुध्या अतृष्यासो गृहा मास्मद् बिभीतन ॥ ३ ॥ येषामध्येति प्रवसन् येषु सौमनसो बहुः । गृहानुपह्वयाम यान् ते नो जानन्त्वायतः ॥ ४ ॥ उपहूता इह गाव उपहूता अजावयः । अथो अन्नस्य कीलाल उपहूतो गृहेषु नः ॥ ५ ॥ उपहूता भूरिधनाः सखायः स्वादुसन्मुदः । अरिष्टाः सर्वपूरुषा गृहा नः सन्तु सर्वदा ॥ ६ ॥ [ अथर्ववेद पैप्पलाद ] ऊर्ज (शक्ति) को पुष्ट करता हुआ, मतिमान् और मेधावी मैं मुदित मन से गृह में आता हूँ । कल्याणकारी तथा मैत्रीभाव से सम्पन्न चक्षु से इन गृहों को देखता हुआ, इनमें जो रस है, उसका ग्रहण करता हूँ ॥ १ ॥ ये घर सुख के देने वाले हैं, धान्य से भरपूर हैं, घी-दूध से सम्पन्न हैं । सब प्रकार के सौन्दर्य से युक्त ये घर हमारे साथ घनिष्ठता प्राप्त करें और हम इन्हें अच्छी तरह समझें ॥ २ ॥ जिन घरों में रहने वाले परस्पर मधुर और शिष्ट सम्भाषण करते हैं, जिनमें सब तरह का सौभाग्य निवास करता है, जो प्रीतिभोजों से संयुक्त हैं, जिनमें सब हँसी-खुशी से रहते हैं, जहाँ कोई न भूखा है, न प्यासा उन घरों में कहीं से भय का संचार न हो ॥ ३ ॥ प्रवास में रहते हुए हमें जिनका बराबर ध्यान आया करता है, जिनमें सहृदयता की खान है, उन घरों का हम आवाहन करते हैं, वे बाहर से आये हुए हमको जानें ॥ ४ ॥ हमारे इन घरों में दुधार गौएँ हैं; इनमें भेड़, बकरी आदि पशु भी प्रचुर संख्या में हैं । अन्न को अमृततुल्य स्वादिष्ट बनाने वाले रस भी यहाँ हैं ॥ ५ ॥ बहुत धन वाले मित्र इन घरों में आते हैं, हँसी-खुशी के साथ हमारे साथ स्वादिष्ट भोजनों में सम्मिलित होते हैं। हे हमारे गृहो ! तुममें बसने वाले सब प्राणी सदा अरिष्ट अर्थात् रोगरहित और अक्षीण रहें, किसी प्रकार उनका ह्रास न हो ॥ ६ ॥ Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe