दुःस्वप्न-नाशक प्रयोग

१॰ विष्णुं नारायणं कृष्णं, रामं च श्रीहरिं शिवम् ।
श्रियं लक्ष्मीं राधिकां जानकीं प्रभां च पार्वतीम् ।।
जपन् द्वादश दुःस्वप्नः, सत्-फलदः प्रजायते ।।
विधिः- दुःस्वप्न दिखने पर उक्त बारह नामों का बारह बार स्मरण करने से दुःस्वप्न शुभ-फल-दायक हो जाता है ।

२॰ “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुःख-हन्त्र्यै दुर्गायै ते नमः स्वाहा ।।”

विधिः- उक्त श्रीदुर्गा-मन्त्र का दस बार जप करने से दुःस्वप्न भी शुभ फल देते हैं ।

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