September 10, 2015 | Leave a comment दुःस्वप्न-नाशक प्रयोग १॰ विष्णुं नारायणं कृष्णं, रामं च श्रीहरिं शिवम् । श्रियं लक्ष्मीं राधिकां जानकीं प्रभां च पार्वतीम् ।। जपन् द्वादश दुःस्वप्नः, सत्-फलदः प्रजायते ।। विधिः- दुःस्वप्न दिखने पर उक्त बारह नामों का बारह बार स्मरण करने से दुःस्वप्न शुभ-फल-दायक हो जाता है । २॰ “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुःख-हन्त्र्यै दुर्गायै ते नमः स्वाहा ।।” विधिः- उक्त श्रीदुर्गा-मन्त्र का दस बार जप करने से दुःस्वप्न भी शुभ फल देते हैं । Related