धनाधीश कुबेर के मन्त्र
धनतेरस पर धनाधीश कुबेर की साधना भी की जाती है । कुबेर के कुछ मन्त्र इस प्रकार हैं –
१॰ अष्टाक्षरः- “ॐ वैश्रवणाय स्वाहा” (मन्त्र-महोदधि)
ध्यान –
धन-पूर्णं स्वर्ण-कुम्भं तथा रत्न-करण्डकं, हस्ताभ्यां विप्लुतं खर्व-कर-पादं च तुन्दिलम् ।
वटाधस्ताद् रत्न-पीठोपविष्टं सुस्मिताननं, होम-काले कुबेरं तु चिन्तयेदग्नि-मध्यगम् ।।


२॰ षोडशाक्षरः- “ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः” (मन्त्र-महोदधि)
ऋषि विश्रवा, वृहती छन्द, शिव-मित्र धनेश्वर देवता । मन्त्र के ३, २, २, २, ५, २ अक्षरों से षडङ्ग-न्यास । ध्यान –
मनुज-बाह्य-विमान-वर-स्थितं, गरुड-रत्न-निभं निधि-नायकम् ।
शिव-सखं मुकुटादि-विभूषितं, वर-गदे दधतं भज तुन्दिलम् ।।

पुरश्चरणः- एक लाख जप कर तिलों से दशांश हवन।

३॰ पञ्च-त्रिंशदक्षरः- “यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये धन-धान्य-समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा “ (मन्त्र-महोदधि)
विनियोग – ॐ अस्य मन्त्रस्य विश्रवा ऋषि:, वृहती छन्द:, शिव-मित्र धनेश्वर देवता, सर्वेष्ट-सिद्धये जपे विनियोग:।
ऋष्यादि-न्यास – विश्रवा-ऋषये नम: शिरसि, वृहती-छन्दसे नम: मुखे, शिव-मित्र धनेश्वर-देवतायै नम: हृदि। सर्वेष्ट-सिद्धये जपे विनियोगाय नम: सर्वांगे।

षडग्-न्यास कर-न्यास अग्-न्यास
ॐ यक्षाय अंगुष्ठाभ्यां नम: हृदयाय नम:
ॐ कुबेराय तर्जनीभ्यां स्वाहा शिरसे स्वाहा
ॐ वैश्रवणाय मध्यमाभ्यां वषट् शिखायै वषट्
ॐ धन-धान्यधिपतये अनामिकाभ्यां हुं कवचाय हुं
ॐ धन-धान्य-समृद्धिं मे कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् नेत्र-त्रयाय वौषट्
ॐ देही दापय स्वाहा करतल करपृष्ठाभ्यां फट् अस्त्राय फट्

ध्यान –
मनुज-बाह्य-विमान-वर-स्थितं, गरुड-रत्न-निभं निधि-नायकम् ।
शिव-सखं मुकुटादि-विभूषितं, वर-गदे दधतं भज तुन्दिलम् ।।

पुरश्चरणः- एक लाख जप कर तिलों से दशांश हवन।

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