पीरों के पीर गौस ए आजम

पीरों के पीर शेख सैय्यद अबू मोहम्मद अब्दुल कादिर जीलनी रहमतुल्लाह अलैह से निस्बत रखता है। जिन्हें गौस ए आजम के नाम से जाना जाता है।

आपका नाम ” अब्दुल कादिर जिलानी ” है ! आप ” शेख अबू सईद मरमक दूमी ” के पुत्र थे ! आपका जन्म जिल्लान शहर में हुआ था ! आप अल्लाह के मित्र के रूप में पैदा हुए थे और आपने पैदा होते ही रोजा रखा और सूर्यास्त के बाद ही अपनी माँ का दूध पिया ! जिस दिन आपका जन्म हुआ उस दिन जिल्लान शहर में 1100 लड़के पैदा हुए और वे सारे के सारे आपके रहमो करम से खुदा के मित्र ( क़ुतुब ) हुए ! जब आप माँ के पेट में थे उस समय आपकी माँ कुरान पढ़ा करती थी और आपने माँ के पेट में ही सारी कुरान याद कर ली थी ! जब पहली बार आप मदरसे गए तो आपकी उम्र पांच साल थी उस समय आपने इमाम को सारी कुरान जुबानी बोलकर सुना दी !

एक बार की बात है आप गेंद से खेल रहे थे उस समय ” पीर सखी सुल्तान ” का दरबार सजा हुआ था ! एक औरत सखी सुल्तान जी के दरबार में से रोती हुयी बाहर आई ! पीर गौंस पाक जी ने उनसे पूछा आप रो क्यों रही है ? उस औरत ने कहा मेरे कोई औलाद नहीं है मैं सखी सुल्तान जी के दरबार में एक पुत्र मांगने आई थी पर उन्होंने कह दिया पुत्र का सुख तुम्हारे नसीब में नहीं है !
यह सुनकर पीर गौंस पाक जी ने कहा जाओ जाकर सुल्तान जी से कहो अगर पुत्र सुख मेरे नसीब में होता तो आपके पास क्यों आती ? पुत्र मुझे मेरे नसीब से ही मिल जाता ! उस औरत ने ऐसा ही किया ! जब सुल्तान जी को पता चला तो उन्होंने उस औरत से कहा तुझे यह बात किसने कही है ? मैं उससे मिलना चाहता हूँ ! जब सुल्तान जी गौंस पाक से मिले तो उन्होंने गौंस पाक को थप्पड़ मारा और कहा तुम लोगो को हमारे खिलाफ भड़का रहे हो ? पीर गौंस पाक जी ने गुस्से में आकर कहा एक थप्पड़ आपने मारा है अगर एक थप्पड़ और मार दिया तो दोबारा दुनिया में लड़के ही पैदा होंगे लड़कियां पैदा होनी ही बंद हो जाएगी और उस औरत से कहा जा तेरे घर लड़का पैदा होगा उसका नाम ” खुदा बक्श ” रखना और नए चाँद की ग्यारवी तारीख को ग्यारवी का माथा टेकना और नयाज़ ( पीले चावल ) बाँटना ! उस औरत ने ऐसा ही किया और उसके घर खुदा बक्श का जन्म हुआ ! उसके बाद पीर गौंस पाक जी ग्यारवी वाले पीर के रूप में प्रसिद्द हुए !

गौस ए आजम के करामात बचपन से ही दुनिया वालों ने देखा है । जब आप छोटे ही थे तो इल्म हासिल करने के लिए मां ने 40 दीनार (रुपये) देकर काफिला के साथ बगदाद रवाना किया । रास्ते में 60 डाकुओं ने काफिला को रोक कर लूटपाट मचाया । डाकुओं ने किसी को भी नहीं छोड़ा और सबों का माल व पैसे लूट लिये । गौस ए आजम को नन्हा जान कर किसी ने नहीं छेड़ा । चलते-चलते जब एक डाकू ने यूं ही पूछ लिया कि तुम्हारे पास क्या है । गौस ए आजम ने पूरी इमानदारी से कहा मेरे पास 40 दीनार है । वह मजाक समझा और आगे निकल गया । एक दूसरे डाकू के साथ भी यही सब हुआ । जब लूट का माल लेकर डाकू अपने सरदार के पास पहुंचे और नन्हें बच्चे का जिक्र किया तो सरदार ने बच्चे को बुलाकर कर मिलना चाहा । सरदार ने भी जब वही बातें पूछा तो गौस ए आजम ने जवाब में वही दोहराये कि मेरे पास चालीस दीनार हैं । तलाशी ली गई तो 40 दीनार निकले ।

डाकुओं ने जानना चाहा कि आप ने ऐसा क्यों किया । गौस ए आजम ने फरमाया सफर में निकलते वक्त मेरी मां ने कहा था हमेशा हर हाल में सच ही बोलना । इसलिए मैं दीनार गंवाना मंजूर करता हूं लेकिन मां की बातों के विरुद्ध जाना पसंद नहीं किया । गौस ए आजम की बातों का इतना असर हुआ कि सरदार समेत सभी डाकूओं गुनाहों से तौबा कर नेक इंसान बन गये । गौस पाक अपनी जिंदगी में मुसीबतें झेल कर वलायत के मुकाम तक पहुंचे । उन्हें वलायत में वह मुकाम हासिल हुआ जो किसी अन्य वली को नहीं मिला । इसलिए गौस ए आजम ने फरमाया मेरा यह कदम अल्लाह के हर वली की गर्दन पर है । यह सुन कर संसार के सभी वलियों ने अपनी गर्दन झुका ली ।

मुल्क शाम में पीरों के पीर कहे जाने वाले हजरत मोहम्मद बिन उमर अबू बकर बिन कवाम ने भी गौस ए आजम के एलान पर अपनी गर्दन झुका ली । ख्वाजा गरीब नवाज सय्यदना मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह मुल्क खरामां के एक पहाड़ में उन दिनों इबादत किया करते थे । जब आप गौस ए आजम का एलान सुने तो अपना सिर पूरी तरह जमीन तक झुका लिया और अर्ज किये गौस ए आजम आप का एक नहीं, बल्कि दोनों पैर मेरे सिर और आंखों पर है। गौस ए आजम परहेजगार, इबादत गुजार, पाकीजा, पाक व अल्लाह वालों के इमाम हैं। आप के हुक्म पर आम इंसान ही नहीं बल्कि सभी वली भी अमल करते हैं। अल्लाह ने गौस ए आजम को वह बलुंद मुकाम अता फरमाया कि वह अपनी नजर ए वलायत से वह सब कुछ देख लेते, जहां तक किसी आम इंसान की नजर, अक्ल व सोच भी नहीं जाती।

गौस ए आजम की मजलिस में चाहने वालों का मजमा लगा होता था। लेकिन आप की आवाज में अल्लाह ने वह असर दिया था कि जैसे नजदीक वालों को आवाज सुनाई देती थी, वैसी ही दूर वालों को भी। गौस ए आजम की पैदाइश रमजान महीने में हुई थी। जन्म के समय ही आप सेहरी से इफ्तार तक मां का दूध नहीं पीते। जिस तरह रोजेदार रोजा रखता है, उसी तरह आप मां का दूध केवल सेहरी व इफ्तार के वक्त पीते थे। आप जब दस साल के हुए और मदरसा में पढ़ाई करने जाया करते थे तो फरिश्ते आते और आप के लिए मदरसा में बैठने की जगह बनाते थे।
फरिश्ते दूसरे बच्चों से कहते थे अल्लाह के वली के लिए बैठने की जगह दो। आप का लकब मोहिउद्दीन है। जिसका अर्थ मजहब को जिंदा करने वाला है।

गौंस पाक जी अल्लाह को बहुत प्यारे थे। एक बार गौंस पाक जी क़ब्रिस्तान से गुजर रहे थे ! जिस जिस कब्र को उनकी ठोकर लग जाती थी उसमे से मुर्दे जीवित हो जाते थे ! पीर गौंस पाक घूमते घुमते बग़दाद जा पहुचे ! बग़दाद में एक से एक करामाती अल्लाह के प्यारे मुस्लिम फकीर थे ! उन फकीरों ने पीर गौंस पाक जी के पास एक दूध का कटोरा भरकर भेजा और कहा जिस प्रकार यह दूध का कटोरा भरा है अगर इसमें और दूध डालेंगे तो दूध बाहर गिर जायेगा ठीक उसी प्रकार बग़दाद में पहले ही बहुत से फकीर है तुम्हारी इस बग़दाद को कोई जरूरत नहीं ! फकीरों की इस बात को समझकर पीर गौंस पाक जी ने एक गुलाब के फूल की पंखुड़ी तोड़ी और दूध के ऊपर रख दी और कहा जिस प्रकार यह गुलाब दूध के ऊपर अलग नज़र आ रहा है, उसी प्रकार मैं भी बग़दाद में गुलाब की पंखुड़ी की तरह अलग नज़र आऊंगा !

जिस प्रकार ” हज़रत अली ” जी ने पांच चिश्ती खानदान चलाये उसी प्रकार पीर गौंस पाक जी ने नौ ” कादरी ” खानदान चलाये ! कादरी खानदान में बहुत से करामाती अल्लाह के प्यारे फकीर हुए और इन्होने इस्लाम का खूब प्रचार किया ! कादरी खानदान का भारत में खूब प्रसार हुआ पर इन फकीरों ने भारत का इस्लामीकरण नहीं किया उल्टा इस्लाम का भारतीकरण कर दिया और योग ध्यान को महत्व दिया और सूफी मत का जन्म हुआ ! इन्ही सूफी मतों में आगे चलकर हिन्दू फकीरों की तर्ज़ पर मस्त, अलमस्त, मलंग और क़लन्दर जैसी शाखाएं विकसित हुयी ! इन शाखाओं ने हठयोग का सहारा लिया और कठिन तप द्वारा अल्लाह को पाया ! जिस प्रकार ” पीर बुल्ले शाह ” जी ने हिन्दुओं का विरोध न करके उनके धार्मिक सिद्धांतो को समझा और मूर्ति पूजा का सम्मान किया और कहा !

” बिन सूरत दे रब्ब नहीं लबदा , ओहदी शकल नूरानी मुख रब्ब दा “
बुल्ले शाह जी ने कहा मूर्ति पूजा से भी अल्लाह मिलते है क्योंकि अल्लाह तो कण कण में बसे है इसलिए वे मूर्ति में भी बसे हुए है !

आप मजहब की तबलीग करने के लिए बगदाद गये. आप ने 521 हिजरी में बगदाद में लोगों को मजहब व दीन की बातें फैलाने के लिए बयान फरमाये और 40 सालों तक अर्थात 561 हिजरी तक मुसलसल बहुत मजबूती से नेकी व मजहब की बातों को फैलाते रहे।

आप की मजलिस में लोगों की भीड़ उमड़ती भीड़ को देखकर ईदगाह में बयान देना शुरू किये, लेकिन वहां भी जगह कम पड़ जाती इसके बाद शहर से बाहर दूर खाली जगहों पर जाकर बयान करते। उस जमाने में मजलिस में 70-70 हजार लोगों की भीड़ उमड़ आती थी। रवायत है कि आपका बयान सुनने के लिए जिन्नात भी आया करते थे। आप के पास बेशुमार इल्म था। जिसका फायदा दुनिया को मिला।

पीर गौंस पाक जी की साधना से व्यक्ति करामाती बन जाता है और बड़े बड़े कामो को बड़ी आसानी से पूरा कर देता है ! इस साधना से आप गड़े खजाने को निकाल सकते है और बाँझ स्त्री के पुत्र होना, भूत प्रेत जैसी समस्या का निपटारा बड़ी आसानी से कर सकते है ! पीर गौंस पाक सट्टे का नंबर भी कान में बता देते है ! इस साधना के बाद होने वाली घटनाओ का पहले से पता चल जाता है ! इस साधना की जितनी तारीफ की जाये कम है ” कादरी ” खानदान के फकीरों ने इसी साधना द्वारा बड़ी बड़ी करामातों को अंजाम दिया ! इस साधना में पीर गौंस पाक जी का प्रत्यक्षीकरण होता है !

॥ मन्त्र ॥
पंज पीर दस्तगीर
कला रहे शरीर
हाजर हो मेरे ग्यारवी वाले पीर !

॥ विधि ॥
इस साधना को आप किसी भी शुक्ल पक्ष की दूज के बाद चाँद देखे और उसके बाद जो भी पहला गुरुवार आये उस दिन से इस साधना को शुरू करे ! साधना में बैठने से पहले पीले मीठे चावल बांटे फिर एक सरसों के तेल का दिया जलाएं और पश्चिम की तरफ मुख करके बैठ जाये अपने गुरुदेव को प्रणाम करे और इस मन्त्र का 41 माला जाप करे ! यह क्रिया आपको पूरे 101 दिन करनी है ! माला 101 मनके वाली मुस्लिम तजबी इस्तेमाल करे और पूजा समाप्त होने तक दीपक जलता रहना चाहिए ! हर गुरुवार को पीले मीठे चावल बांटे ! जब गौंस पाक जी दर्शन दे तो इच्छित वर मांग ले !

 

One comment on “पीरों के पीर गौस ए आजम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.